हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग तिहत्तर

हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग तिहत्तर

तंद्रा में होश बेहोश हुए गुरु गुरुलाल सोच रहे थे कि उन्हें अंत समय पर अब परमेश्वर का दूत लेने पहुंच गया है। अब उन्हें मरना है और संसार छोड़ कर जाना है – खाली हाथ! अपने अंत को अपनी आंखों से देखने के लिए उन्होंने हिम्मत जुटा कर एक बार फिर आंखें खोली थीं! जो दूत...
हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग तिहत्तर

हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग बहत्तर

हुमायू की भेजी खबर पढ़ कर बाबर के तोते उड़ गये थे। रातों रात बिना किसी हीलो-हुज्जत के पूरब के सारे पठान ओर अफगान एक हो गये थे। दिल्ली से भागा सुलतान मोहम्मद लोधी अब अफगानों और पठानों का बिहार का बादशाह था! और इनकी पीठ पर बंगाल का नवाब था। लाखों की तादाद में सेना खड़ी...
हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग तिहत्तर

हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग इकहत्तर

बाबर को अभी तक हिन्दुस्तान में अपना हितैषी नजर नहीं आया था। दल बल से चढ़ बैठा बाबर किसी को भी अच्छा न लगा था। उसका लौट कर काबुल न जाना भी हर किसी को अखर गया था। बाबर के वंशज तैमूर और चंगेज खान की हैरतअंगेज कहानियां लोगों को याद थीं। अब बाबर क्या क्या करेगा – कौन...
हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग तिहत्तर

हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग सत्तर

चांदनी रात खिली खड़ी थी। केसर का महकता बदन उसके आस पास था। माथा सहलाती केसर की सुधड़ उंगलियां उसका संताप हरती लग रही थीं। चारों ओर खड़ी नीरवता बार बार उसे गिरे गिरे अहसासों से भरने लगती थीं! “हिन्दू ..! हिन्दू ..! हिन्दू ..!” एक शोर था जो हेमू के कानों के...
हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग तिहत्तर

हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग उनहत्तर

बाबर को कोई नहीं चाहता था। बाबर का आगमन पूरे भारतवर्ष ने एक अपशकुन की तरह देखा था। कौन था जिसे तैमूर याद न था। या कि तैमूर के कारनामे भूला कौन था? या कभी भुलाए जा सकते थे – उसके किये करतब! और अगर बाबर अब आ गया था तो वही सब होना था जो तैमूर ने किया था! और सबसे...
हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग तिहत्तर

हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग अड़सठ

सन 1526 के पानीपत के युद्ध के बाद हेमू को आज भी यह पता न था कि कौन तारीख चल रही थी और आज दिन क्या था? उस दिन तो अचानक ही, उस होते घमासान के बीचों बीच से महावत अनिकेत ने अपने हाथी अश्वस्थामा को दौड़ाया था और उसे साफ बचा कर भाग आया था! तब से वो तीन प्राणी थे और तीन...