by Major Krapal Verma | Sep 7, 2021 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
वीराने में बहार आई हुई थी। आमोद प्रमोद की किलकारियां सुदूर से चलकर हेमू के कानों तक पहुंच रही थीं। सब कुछ सहज था, सहल था और हर ओर मुक्त आवाजाही थी। दोनों ओर की सेनाएं जैसे मेले में थीं, जश्न मना रही थीं और .. हेमू का ललाट चिंता रेखाओं से भर गया था। कुछ था –...
by Major Krapal Verma | Sep 2, 2021 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
सुख स्वप्नों में डूबे हुमायू की जब नींद खुली थी तो उसने चारों ओर चौड़ा हुआ देखा था! शेर खान ने बंगाल बिहार और गुजरात पर कब्जा कर लिया था। अब उसकी आंख आगरा पर लगी थी। हुमायू के रोंगटे खड़े हो गये थे। बाबर की सल्तनत उसे जाती लगी थी। उसे लगा था कि शेर खान – जो कभी...
by Major Krapal Verma | Aug 8, 2021 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
शेर शाह सूरी के दिमाग में बहुत गहरे में हेमू जा बैठा था! इतना आकर्षक, विद्वान, सुलझा हुआ, विनम्र और जहीन युवक उसने पहली बार देखा था। एक दिव्यता जैसा कुछ दैवीय स्वरूप था उसका। शेर शाह सूरी किसी भी तरह उसे अपने साथ ले लेना चाहता था। वह व्यापारी था धनवान था, गुणवान था और...
by Major Krapal Verma | Aug 3, 2021 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
“हुमायू से बात संभल नहीं रही है!” निपट एकांत में बैठे अंगद और हेमू मशविरा कर रहे थे। “एक तो नासमझ है ये हुमायू! है ही कुल बाईस साल का!” अंगद ने जानकारी दी थी। “फिर थोड़ा रहमदिल इंसान भी है। ये बाबर की तरह खूंखार नहीं है। और इसके भाई भी...
by Major Krapal Verma | Jul 28, 2021 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
“तुम ही तो मेरे विक्रम जीत हो साजन!” केसर की आवाजें थीं, आग्रह थे, प्रोत्साहन था और उसकी आंखों में समाई आकांक्षा की महक थी, एक सुखद भविष्य था – एक साम्राज्य का जिसे हेमू ने पहली बार देखा था! उसे आश्चर्य तो हुआ था .. लेकिन आज का विश्वास ..?...
by Major Krapal Verma | Jul 17, 2021 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
राय पूरन दास के घर में बधाइयां बज रही थीं! हेमू और केसर के आगमन की खुशी में हर कोई खुश था! चूंकि हेमू एक लंबे अंतराल के बाद लौटा था, जिंदा था और लड़ना भिड़ना छोड़ शोरे का व्यापार संभालने लगा था – यह एक बड़ी खुश खबरी थी। मुसलमानों के बीच में किसी भी हिन्दू का...