by Major Krapal Verma | Nov 12, 2021 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
“राजा वीर भान सिंह साथियों सहित नदारद हैं!” राजा टोडरमल ने बादशाह शेर शाह सूरी को सूचना दी थी। उनका स्वयं का हुलिया भी बिगड़ा हुआ था। मौत जैसी मुर्दानगी उनके चेहरे पर छपी थी। डर था उन्हें कि अब हिन्दुओं पर एक अलग से कहर टूटेगा। “बगावत ..?” शेर...
by Major Krapal Verma | Oct 28, 2021 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
शहंशाह शेर शाह सूरी के मनाकाश पर अब हिन्दुस्तान एक इस्लाम के नए सितारे के रूप में उगा टिमटिमा रहा था। खुरासान और उस्मानिया के माप दंड के मुताबिक ही शहंशाह शेर शाह सूरी ने तय कर लिया था कि अब वह हिन्दुस्तान में हिन्दुओं का सफाया करेगा और मुसलमानों को हर कीमत पर बसाएगा,...
by Major Krapal Verma | Oct 25, 2021 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
लग रहा था जैसे आज हिन्दुस्तान में एक नया सवेरा हुआ था। सूरज की तरह आसमान पर उदय होकर आज शहंशाह शेर शाह सूरी ने नई घोषणाएं हुई थीं। शेख निजामी शहंशाह शेर शाह सूरी के फरमान को दरबार में पढ़ कर सुना रहे थे, “काफिरों के खिलाफ इस्लाम की जंग खुदा का पैगाम है।”...
by Major Krapal Verma | Oct 18, 2021 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
“खुरासान में खबर ये है शहंशाह कि आप इस्लाम की कब्र खोद रहे हैं!” हदीस बता रहे थे। “हमने भी हिन्दुस्तान में आ कर देखा है तो पाया है कि बात में वजन है।” हदीस ने आंख उठा कर शहंशाह शेर शाह सूरी को गौर से देखा था। “और ये भी खबर है – बड़ी...
by Major Krapal Verma | Oct 14, 2021 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
“आपका सब से बड़ा कांटा निकल गया सुलतान।” पंडित हेम चंद्र सुलतान शेर शाह सूरी को खुशखबरी सुना रहे थे। “बादशाह हुमायू हिन्दू कुश पार कर गये और फारस चले गये।” “लेकिन .. लेकिन हम तो चाहते थे कि ..?” “हो नहीं पाया सुलतान!”...
by Major Krapal Verma | Oct 8, 2021 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
“क्या करें पंडित जी?” शेर शाह सूरी की आवाज में बेबसी थी। उसकी आंखों के सामने अंधेरा था। चेहरे की चमक जाती रही थी। उसे सम्मुख खड़ी हार बुरी तरह हरा रही थी और डरा रही थी। पूछा प्रश्न भी उसकी निपट लाचारी थी। “आक्रमण!” पंडित हेम चंद्र कह उठे थे।...