by Major Krapal Verma | Dec 30, 2020 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
मैं डरा हुआ था। सच्चाई का सामना करने से पहले मेरी घिग्गी बंधी हुई थी। लेकिन पार्वती – मेरी बहिन ने मुझे झांसा देकर केसर के शयन कक्ष में जोरों से धकेला था और बाहर से दरवाजा बंद कर दिया था! किस्मत का खेल था। मुझे केसर का होना ही था। मुझे केसर से अब आमने सामने होना...
by Major Krapal Verma | Dec 29, 2020 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
हमारी शादी होनी थी। मैं चौकी पर आ बैठा था! मंडप की शान और सजावट देखकर मेरा मन प्राण खिल उठा था। लगा था कि केसर का परिवार बड़े मन से कन्यादान कर रहा था। इस शादी को एक उत्सव की तरह मनाया जा रहा था। मैं तो कभी सोच भी नहीं सकता था कि केसर की ढाणी जैसे बीहड़ में कोई स्वर्ग...
by Major Krapal Verma | Dec 27, 2020 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
हमें छूट थी कि हम अपने सब यारों प्यारों को बारात में लेकर आएं! कुछ ऐसा समा बंधा था कि हर कोई इस बारात में जाने के लिए लालायित था। जो कुछ हुआ था – उसने एक धूम मचा दी थी। लोग लालायित थे कि केसर की ढाणी को जाकर देखें। उन लोगों के ठाठ-बाट देखें। लेकिन मैं सिकुड़ रहा...