हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग उन्नीस

हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग उन्नीस

मैं डरा हुआ था। सच्चाई का सामना करने से पहले मेरी घिग्गी बंधी हुई थी। लेकिन पार्वती – मेरी बहिन ने मुझे झांसा देकर केसर के शयन कक्ष में जोरों से धकेला था और बाहर से दरवाजा बंद कर दिया था! किस्मत का खेल था। मुझे केसर का होना ही था। मुझे केसर से अब आमने सामने होना...
हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग उन्नीस

हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग अठारह

हमारी शादी होनी थी। मैं चौकी पर आ बैठा था! मंडप की शान और सजावट देखकर मेरा मन प्राण खिल उठा था। लगा था कि केसर का परिवार बड़े मन से कन्यादान कर रहा था। इस शादी को एक उत्सव की तरह मनाया जा रहा था। मैं तो कभी सोच भी नहीं सकता था कि केसर की ढाणी जैसे बीहड़ में कोई स्वर्ग...
हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग उन्नीस

हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग सत्रह

हमें छूट थी कि हम अपने सब यारों प्यारों को बारात में लेकर आएं! कुछ ऐसा समा बंधा था कि हर कोई इस बारात में जाने के लिए लालायित था। जो कुछ हुआ था – उसने एक धूम मचा दी थी। लोग लालायित थे कि केसर की ढाणी को जाकर देखें। उन लोगों के ठाठ-बाट देखें। लेकिन मैं सिकुड़ रहा...