by Major Krapal Verma | Mar 31, 2021 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
अभी तक ये तय नहीं हुआ था कि मृत सिकंदर लोधी को कहां पनाह मिलेगी लेकिन ये तो तय हो चुका था कि अब सिकंदर लोधी का साम्राज्य बंटेगा! दिल्ली में जैसे कोई मेला लगा था – सारे हिन्दुस्तान में आये तुर्क और अफगान सिकंदर लोधी के अंतिम दर्शन के लिए चले आये थे। बहलोल लोधी से...
by Major Krapal Verma | Mar 28, 2021 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
“मुझे जलालुद्दीन का सर कलम कर के ला दो!” इब्राहिम लोधी हेमू के सामने उसके खेमे में खड़ा मांग कर रहा था। हेमू के कानों को एक बारगी विश्वास ही न हुआ था कि वो जो सुन रहा था क्या वो सच भी था? जलाल इब्राहिम का भाई था – इतना तो हेमू जरूर ही जानता था! और कल...
by Major Krapal Verma | Mar 25, 2021 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
सिकंदर लोधी का सूरज उदय होने वाला था! ग्वालियर का सूरज अस्त हो चुका था! हेमू खड़ा खड़ा एक धूप छाव को आते जाते देख रहा था। एक क्रम था – जो अपने आप को दोहराता चला जा रहा था! जीत हार का क्रम, गमों और खुशियों का क्रम, वैभव और पराभव का क्रम, और ये क्रम ही न जाने...
by Major Krapal Verma | Mar 24, 2021 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
दिल्ली में जश्न जैसा कुछ मनाया जा रहा था! “अब न पड़ेगी महामारी!” चर्चा जोरों पर थी। “पंडित ज्ञानेश्वर ने कील दिया है महामारी को!” सूचनाएं हवा पर सन्नाती-मन्नाती सुनाई दे रही थीं। “इनकी मॉं – अम्बा के गुरु जी हैं ज्ञानेश्वर!”...
by Major Krapal Verma | Mar 15, 2021 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
सिकंदर लोधी अब चार आंखों से देख रहा था! “दक्खिन तक अब जाना मुनासिब होगा!” उसने अपने विचार को अब बड़ा किया था। “अब हम उलेमा को बता देंगे कि हम खलीफा के कितने बड़े मददगार हैं। अब हमारा परचम पूरे हिंदुस्तान पर फहराएगा!” हंसी बिखर गई थी सिकंदर लोधी...
by Major Krapal Verma | Mar 10, 2021 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
“मैंने सुना है कि आप हाथी को सूंड़ से पकड़ कर बिठा देते हैं?” हेमू का प्रश्न था। एक अफवाह की तरह यह बात हेमू के पास उड़ कर चली आई थी। गढ़ी कौशल में लोग मुरीद अफगान का नाम एक इज्जत के साथ लेते थे। बड़ा सन्मान था उनका। और तभी किसी ने जिक्र किया था उनके इस...