हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग उनचास

हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग उनचास

हेमू को गांव में घुसने से पहले ही वहां का नजारा समझ आ गया था। अपार भीड़ थी – जैसे कोई उत्सव मनाने आई थी – गांव में भरी थी। हेमू के दौड़ते घोड़ों की टापों की आवाजें सुनते ही लोग अल्हाद से भर आये थे। सात सवारों के साथ दौड़ता आता उन्हें अपना हेमू किसी अवतार...
हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग उनचास

हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग अड़तालीस

सुलतान इब्राहिम लोधी के लगे दरबार का दृश्य हेमू भूल नहीं पा रहा था! महाराजा विक्रम जीत सिंह का बुझा बुझा चेहरा और कांपते होंठ उसे किसी बेबस रहस्य के छोर हर बार पकड़ा कर भाग जाते! और फिर उभरता आजम खान शेरवानी का मचाया शोर – उसकी मांग – ग्वालियर प्राप्त करने...
हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग उनचास

हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग सैंतालीस

हेमू हिन्दू संस्कृति के प्रतीक जैसे ग्वालियर के वैभव को ऑंखें भर भर कर देख रहा था। क्यों हारा ग्वालियर – वह इस प्रश्न का उत्तर खोज रहा था। जैसे साथ साथ चलते महाराजा विक्रम जीत, हारे थके विक्रम जीत और परास्त हुए विक्रम जीत हेमू को अच्छे न लग रहे थे! एक अपराध बोध...
हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग उनचास

हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग छियालीस

अंजान और अनाड़ी सा सामने खड़ा ग्वालियर आजम खान शेरवानी को भोला, सच्चा ओर सीधा एक हिन्दू जैसा लगा था – जो बलिदान देने के लिए तैयार खड़ा था! आजम खान शेरवानी की ऑंखें चमक उठी थीं। उसे अपना सपना आज पूरा होता लगा था। ग्वालियर की फतह उसकी पहली फतह होगी और यहीं से उसने...
हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग उनचास

हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग पैंतालीस

सिकंदर लोधी की सल्तनत के वारिसों में ग्रह युद्ध छिड़ गया था! जैसे सभी बहलोल लोधी और सिकंदर लोधी के भाई भतीजे उसकी मौत का इंतजार कर रहे थे और अब गीदड़ों और गिद्धों की तरह सल्तनत की कमाई पर अपने हक जमाने के लिए पूरी शिद्दत के साथ टूट पड़ थे! सब को पता था कि यही मुबारक...
हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग उनचास

हेम चंद्र विक्रमादित्य भाग चवालीस

“सिकंदर तक का राज-पाट हम सब का शामिल था!” दीपालपुर का शासक असब खान कह रहा था। “अब इसे बांट लेते हैं।” उसका सुझाव था। “उसके बाद जो जितना चाहे – खाए!” उन्होंने ऐलान जैसा किया था। उनकी बात का विरोध किसी ने नहीं किया था। मन था...