by Major Krapal Verma | May 3, 2021 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
“क्या था .. जो मेरे पास नहीं था?” एक लंबी सोच विमोच के बाद सुलतान इब्राहिम लोधी ने स्वयं से ही प्रश्न पूछा था। खतौली में हुई करारी हार कांटे की तरह चुभ रही थी उसे! “हेमू ..!” एक छोटा सा बारीक उत्तर उसके दिमाग में टपका था! आया उत्तर सुलतान...
by Major Krapal Verma | Apr 30, 2021 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
शेख शामी सपरिवार बिहार जा रहे थे। सिकंदर लोधी की अता की जागीर उन्हें मिल गई थी। सासाराम के साथ ही उनकी जागीर थी – परेली। धनाढ्यों का इलाका था। शेख शामी मालामाल तो हो ही जाने थे, साथ में उन्हें और भी बहुत सारी सहूलियतें मिल जानी थी। उन्हें तीस हजार सैनिक रखने और...
by Major Krapal Verma | Apr 27, 2021 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
इब्राहिम लोधी को आज लोधी सल्तनत का तीसरा सुलतान चुना गया था। दरबार में भीड़ बहुत थी। सारे अफगान सरदार और जागीरदार जमा थे। सभी ने अपने अपने मनसूबे कांख में दबाए थे और इससे पहले कि इब्राहिम लोधी को वो सुलतान मान लें – अपनी मांगें मनवा लेना चाहते थे! सब एकजुट थे,...
by Major Krapal Verma | Apr 26, 2021 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
“आगरा आने का फरमान है – आपके लिए!” हरकारा सुबह सुबह ही सूचना लेकर आन पहुंचा था। “फौरन आने को कहा है – सुलतान ने!” बात स्पष्ट कर दी गई थी। कुल एक रात ही तो गुजरी थी केसर के साथ। “जाना तो पड़ेगा केसर!” अंगड़ाई तोड़ते हुए...
by Major Krapal Verma | Apr 24, 2021 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
केसर का आगमन एक घटना थी जिसे देखने नर नारियों के हुजूम जुड़ गये थे! और कमाल ये था कि पार्वती ने केसर को सात तालों के भीतर बंद कर दिया था। हेमू ठगा सा पार्वती के चालाक चेहरे को देखता ही रहा था। “ये कोई बादल गढ़ नहीं है!” पार्वती ने हेमू को फटकार दिया था।...
by Major Krapal Verma | Apr 22, 2021 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
केसर की ढाणी में दंगल जुड़ा था! अषाड़ के पहले सप्ताह में हर वर्ष केसर की ढाणी में दंगल लगता था और ये एक संयोग ही था कि हेमू का गौना इसी सप्ताह में आ पड़ा था। सारे आगंतुकों को दंगल देखने का निमंत्रण था। हेमू को भी आग्रह पूर्वक बुलाया गया था! बहुत रौनक थी। दूर दूर से...