by Major Krapal Verma | Mar 22, 2022 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
घोड़े पर सवार केसर घुप्प अंधेरे के गर्भ में डूबी चुपचाप खुली आंखों से सामने घटते दृश्य को सांस साधे देख रही थी। केसर की आंखों में आंसू न थे – बल्कि ज्वालामुखी जल रहे थे। यू सफलता के सारे सोपान चढ़ने के बाद सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य का इतना दर्दनाक अंत आएगा...
by Major Krapal Verma | Mar 10, 2022 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
जिस विध्वंसकारी तूफान को लेकर सम्राट विक्रमादित्य ने पानीपत में डटी मुगल सेना पर आक्रमण किया था और जो तूफान पल छिन में दुश्मन को पराजित कर सफलता के सोपान चढ़ने वाला था अनायास वही तूफान दिशाहीन हो गया था, बिगड़ गया था और अब उसे अपने पराए की सुध ही न रही थी। शोर था...
by Major Krapal Verma | Mar 1, 2022 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
उठी अंगड़ाई के साथ साथ ही सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य के अधूरे अरमान भी उठ खड़े हुए थे। “इस बार नहीं!” वह स्वयं से कह रहे थे। “इस बार तो काबुल तक खदेड़ना है और समूल नष्ट कर देना है इन निशाचरों को।” वह तनिक मुसकुराए थे। “अच्छा होता अगर...
by Major Krapal Verma | Feb 24, 2022 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
अबकी बार ऊंट पहाड़ के नीचे आ गया था। सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य के हाथों हुई हार ने मुगल सल्तनत की कमर तोड़ दी थी। सारी सेना या तो मर-खप गई थी या हतोत्साहित हुए सैनिक भाग गये थे। जब से बैरम खां ने तारदी बेग का सर कलम किया था तब से मुगल सेना और उसके सेनापतियों में एक...
by Major Krapal Verma | Feb 23, 2022 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
“जहांपनाह!” तारदी बेग ने कांपती उंगलियों से अकबर को पत्र लिखना आरम्भ किया था। “हेमू माने कि सम्राट हेमचंद्र विक्रमादित्य ने तूफान की तरह चढ़ाई कर दी है। काली आंधी की तरह अंधाधुंध वेग से आक्रमण कर उसने बयाना, इटावा, संभल और बंगाल फतह कर लिए हैं। कालपी...
by Major Krapal Verma | Feb 14, 2022 | हेम चंद्र विक्रमादित्य
आज सासाराम में एक भिन्न प्रकार की हलचल थी। विशाल धर्मसभा का आज आयोजन था। धर्म सभा एक सप्ताह तक लगातार चलनी थी। सप्ताह के अंत में ये सुनिश्चित हो जाना था कि हिन्दू राष्ट्र का धर्म, ध्वजा और भाषा कौन सी होगी। इसके लिए पूरे भारत वर्ष से विद्वान और विचारकों को आमंत्रित...