महान पुरुषों के पूर्वापर की चर्चा !

भोर का तारा -नरेन्द्र मोदी.

उपन्यास – अंश :-

कुल मिला कर कांग्रेस का खूब बैण्ड बजा है , मित्रो !

कुल ४४ सीटें मिलीं हैं . इन की कभी इतनी शर्मनाक हार नहीं हुई …? पटनायक बच गए . ममता की भी इज्जत बच गई . लेकिन जय ललिता की जीत और अरविन्द केजरीवाल की हार महत्व रखती हैं ….?

लो जी ! मुझे अब बधाई -सन्देश आने लगे हैं . देश में बी जे पी की जीत के डंके बज रहे हैं ! लोग जश्न मना रहे हैं . बधाई -सन्देश भी आने लगे हैं . एक उत्सव उठ खड़ा हुआ है . एक प्रसन्नता की लहर है – जो गाँव-गाँव …गली-गली …शहर-शहर …और डगर-डगर चलती ही चली जा रही है ….और देश-वासियों को ख़ुशी से ओत-प्रोत कर शुभ-सन्देश सुना रही है !!

अरे,रे ! मेरे तो कान बज उठे हैं …? मैं ये क्या सुनने लगा हूँ …? देश से ही नहीं – विदेश से भी …बधाई-सन्देश …? अमेरिका से ओबामा जी का सन्देश है …तो ब्रिटैन से कोम्रान बोल रहे हैं ! ‘गोधरा’ काण्ड की वजह से मेरा आना-जाना रोकना शायद उन्हें अब बुरा लगा होगा …? पाकिस्तान से नवाज़ शरीफ का सन्देश है ..बंगला देश से सन्देश है …और सन्देश आते ही जा रहे हैं ….

“ओह,अमित …..! क्या करिश्मा कर डाला …तूने ….मेरे ….” मैंने लपक कर अमित को बांहों में भर लिया है . “ओह, मोदी के मन-मीत ….मेरे राजदूत ….तू महान है,मेरे …….!!” मैं कहता ही जा रहा हूँ . “असंभव को तूने …संभव कर दिखाया , मेरे मित्र …!” मेरी आँखें सजल हो आईं हैं .

“मैंने तो कुछ भी नहीं किय ….” अमित की आँखें भी छलछला आई है ! ” मम….माँ …से मिलने का …प्रश्न है …? कब ….?” वह कह नहीं पा रहा है . पर चेतावनी है -उस की जिस से पहले कि मैं …फिर भूल जाऊं …?

“चलते हैं ….???” मैंने तुरंत ही स्वीकार में सर हिला दिया है .

अचानक ही मेरी आँखों के सामने मेरा विगत उग आता है !!

६३ साल का मैं -नरेन्द्र मोदी …अपनी ९० साल की बूढी -माँ -हीरा बैन से मिलने जा रहा हूँ …? उस हीरा बाई से मिलने जा रहा हूँ – जिसे मैंने पडौस में बर्तन रगड़ते देखा है …हम छह भाई-बहिनों को पालते-संभालते देखा है …? मैं पलकें ढालता हूँ …तो पाता हूँ …कि हम कृष्ण-बलराम …कंस -बध के बाद …यशोदा -माँ के पास लौट रहे हैं …!!

हंस पड़ा हूँ,मैं ….और अमित चौक पड़ा है ….!!

शनिवार १७ मई है …और हम बडोधरा …में लोगों के साथ …जीत का जश्न मना रहे हैं ! ठीक आठ बजे हमें दिल्ली के लिए रवाना होना है . दस बजे दिल्ली हवाई अड्डे पर हमारा स्वागत हुआ है ! और अब आठ अलग-अलग स्थानों पर लोगों से मिलते हुए …पार्टी आफिस हो कर …साढ़े दस बजे हम यहाँ पहुंचे हैं ! लोगों से मिलने के बाद हम ने पार्लियामेंट्री बोर्ड की मीटिंग अटेंड की है ! और अब हम वाराणसी के लिए निकले हैं ! यह हमारी संस्कृति का उत्कृष्ट बिंदु है – बनारस ! लोगों का किया स्वागत …और दिया सौहार्द अविस्मर्णीय हैं ! गंगा आरती का उत्सव बे-जोड़ है ! और अब हमारा लौटना भी एक ऐतिहासिक घटना जैसा ही है …!!

पार्टी को २८२ सीटें मिलीं हैं ! एक इतिहास ही रचा गया है …१९९८ …के बाद …!!

“हम मानते हैं …कि …हम हारे हैं ….!!” सोनिया और राहुल जी के बयान हैं . “हम जिम्मेदार हैं – इस हार के ….!!” कह कर वो लोग अंदर चले गए हैं .

कोई क्या कर लेगा ….? पार्टी उन की है ….उन्हीं की रहेगी …? है कोई माई का लाल जो …..

मुझे ही क्यों आप को भी तो याद होगा …श्री मणिशंकर का वो बयान …. जो उन्होंने …मेरा नाम पी एम् के लिए आते ही दिया था …..

“मैं दावे के साथ कह सकता हूँ,मित्रो ! कि ये श्रीमान मोदी जी …२१-वीं …शदी में तो …प्रईमिनिस्टर बन ही नहीं सकते …?” तालियाँ बजीं थीं …और बजती ही रहीं थीं ! “हाँ,भाई !” तालियाँ रुकीं थीं तो वो फिर बोले थे .” एक निमंत्रण मैं ..उन्हें अपनी ओर से दिए देता हूँ !” जमा लोगों के कान खड़े हो गए थे . “लकी चांस है – हम लोगों के बीच चाय बेचने का ,,,?” लोग फिर हँसे थे . “चूंकि ये …चायवाले हैं ….इन्होने स्टेशनों पर चाय बेचीं है …? हाँ,हाँ …!”

“पार्टी की केन्टीन का ठेका दे देते हैं,इन्हें ….?” भीड़ में से कोई बोला था . “चाय …वाले भी …चले हैं – पी एम् बनने ?”

इस के बाद तो मेरा खुल कर ही उपहास हुआ था ….!! प्रिंस राहुल के साथ मुझे बिठा कर लोगों ने खूब ही मेरी गरीबी में जूते मारे थे ….!! कहाँ …राजा भोज ….और कहाँ …कंगला तेली …..???? विचित्र वक्त था ….

बहुत आहात को गया था मैं ,मित्रो ! मेरा स्वाभिमान तो लहूलुहान हो सड़क पर लेट गया था …उठने से नाट गया था …और जंग करने पर उतारू था …!! और तब ..हाँ,हाँ तब मैंने कांग्रेस के विरिद्ध जंग छेडने की सोची थी …और तभी १५ सितम्बर २०१३ को मैंने पहली बार रेवाडी में …जनरल वी के सिंह को साथ ले कर …सेवानिब्रत -सैनिकों से अपनी बात कहने का साहस किया था .

” मैं जानता हूँ दोस्तों ! कि हमारा देश चारों ओर से दुशमनों से घिरा है ? और मैं यह भी जानता हूँ ,दोस्तों कि …हम हैं किस हाल में …? लेकिन मुझे गर्व भी है कि …हमारे सैनिकों ने हमेशा ही देश की लाज बचाई है ….और वो कारनामे किए हैं – जिन्हें असंभव कहा जा रहा है …? मैं वचन देता हूँ कि … सैनिकों का वेल्फैअ र …देखना मेरी प्राथमिकता होगी ….और …….”

खूब तालियाँ बजीं थीं ! उसी दिन …जी हाँ, उसी दिन मुझे याद है कि मेरा और सैनिकों का एक खून का रिश्ता कायम हो गया था ! मुझे लागा था कि मैं इन्हीं में से एक हूँ …एक लड़ाका हूँ …जिसे न अपनी जांन की परवाह है …और न मान की !!

और इन सैनिकों द्वारा उत्साहित हुआ में …लौटा था और २९ सितम्बर को ही दिल्ली में ‘विकास-रेली’ को सम्बोधित कर रहा था ! मैं दिल खोल कर बोला था . मैंने सब से पहले अपनी गरीबी को दिल्ली की सडकों पर लोगों के मुआईने के लिए बखेर दिया था ! मैने खुले शब्दों में कहा था कि मैं …’कांग्रेस-प्रिंस’ की तरह मुंह में सिल्वर -स्पून ले कर पैदा नहीं हुआ हूँ ! कि मैं तो मज़दूर हूँ …आप में से ही एक हूँ …पर हूँ मैं ..लड़ाका …काल -उन का जो चोर हैं …देश को लूट रहे हैं …ढो-ढो कर बाहर ले जा रहे हैं …और जिन्होंने …देश खाली कर दिया है …..और ….और …? मुझे कहते हैं – -‘कर ले केन्टीन में नौकरी …चाय वाले की …?’ हँसे थे -लोग ….खूब हँसे थे ! कांग्रेस के अहंकार पर हँसे थे …लोग ….!!

चहरे उड़ गए थे उस दिन …कांग्रेसियों के ….!! सुपर हिट थी -विकास -रैली …!!!!

अब प्रेस हरकत में आया था ! मेरे कहे को मिटाने के लिए …और मोदी का नाम मिटाने केलिए एक जुट हो ….अखबार ,टी वी …और मीडिया ये बताने लग पड़े थे कि …मोदी का कद बहुत छोटा था …और राहुल – ‘वाज़ ए नेचुरल चोईस’ ! लोग चाहते ही राहुल को हैं …फिर मोदी …? बी जे पी अभी भी अपनी की गलती सुधार् ले तो …ये देश हित में होगा ? विदेश तो पहले ही मोदी के नाम से कूदता है ….????

“अरे,हाँ ! अमित …वो ‘कोब्रा -पोस्ट’ और ‘गिलोल’ कहाँ पहुंचे …? ” मैं अचानक ही पूछ बैठा था. बहुत दिनों से मेरे ‘चरित्रहनन ‘ की कोई कोशिश नज़र न आई थी ? “क्या हुआ उस नए …’शगूफे’ का ….?” मैने पूछा था .

कई लम्बे पलों तक अमित मुझे घूरता ही रहा था ! न जाने क्या था उस की उस द्रष्टि में …जो मुझे डरा गया था …? कुछ सोच कर अमित बोला था .

“कहने को तो …बहुत बुरा हुआ ? पर जो हुआ ….सो भी ठीक हुआ ….!!” अमित एक दार्शनिक की तरह बोल रहा था . “पकड़ा गया ….!” वह रुका था . “अपनी बेटी की सहेली के साथ ….इस बदकार ने …बदफैली की …?” रोष था ,अमित की आवाज़ में . “मोदी को चरित्रहीन साबित करते-करते खुद चरित्रहीन बन गया …? अब तो इसे …राम भी नहीं बचा सकता …?” चुप हो गया था ,अमित .

“घटिया तो है …?” मैंने स्वीकारा था . “लेकिन ये व्यवसाई है -पत्रकार नहीं ? कांग्रेस से खूब कमाया है …लेकिन ….अब तो आसमान से गिरे …और खजूर में भी नहीं अटके ….? गए …रसातल को ….??” मैं तनिक टीस आया था ! गिरता आदमी मुझे कभी से भला …नहीं लगता .

“नीच लोगों का मज़मा है ! बदलेगा तो कभी नहीं !!” अमित कह रहा था. “अभी भी …वो अनिरुद्ध बहल …और आशीष खेतान …लगे हुए हैं …लेकिन …”

“बंबई की महा-गर्जना -रैली में ….अगर …गर्जना ही न हो …तो कैसा रहेगा ..?” सोनिया जी की किचिन कैबिनेट का प्रश्न था .

सारे नए- पुराने खिलाडी …इस प्रश्न का उत्तर लाने के लिए दौड़े थे ….!!

“अब की बार हमें सफलता अवश्य मिलेगी …?” ‘गुलेल’ के मालिक आशीष खेतान कह रहे थे . “मैंने पूरा एविडेंस फीड कर दिया है ! उठने दो इस बार पर्दा …! नरेन्द्र मोदी जेल में बैठे नज़र आएँगे ….?” वो हंस रहे थे .

“इस के बाद हम भी तो हैं …? हैड लाईन्स में नाम छपेगा …और वो वाले ‘फोटो’ भी …? बच्चू को कहीं बैठने तक के लिए जगा नहीं मिलेगी …?” हिन्दू के सम्पादक बोल रहे थे .

“वास्तव में दम तो है …?” अरुणा राय ने स्वीकृति दी थी . “चरित्रहीनता में एक बार इस का नाम आ जाए ….? फिर तो हम इस का राक्षसीकरण …कर डालेंगे ….???”

“ये बैठे हैं – हमारे कर्णधार -श्री भूषन जी …?” टाईम्स आफ इण्डिया के प्रधान सम्पादक मनोज मिटता ने सब का ध्यान आकर्षित किया था . “इन का मानना है कि …इस बार …सुप्रीम कोर्ट इन के पक्ष में …ज़रूर कोई निर्णय लेगा ….?”

“रोना तो इसी बात का है ….?” प्रशांत भूषन कराह उठे थे ! “सुप्रीम कोर्ट …अब हम सब को …संदिग्ध निगाहों से …देखता है …? अब उन के लिए …हम सब चोर ….मोदी और अमित शाह ….शाह हैं !” उन की आवाज़ में करुना थी . “करें …तो क्या करें …? हमें सोसल मीडिया से भी लगातार …चुनौती मिल रही है ….?”

लेकिन इस निराशा का उत्तर भी उन्होंने खोज लिया था ….!!

“दाउद को सुपारी दे दी है ! उस ने अपने शार्प-शूटर को टारगेट दिखा दिया है ! बंबई-रैली में भरपूर वार होगा ! शाहिद बिस्तरा भी अपनी शाहीन फ़ोर्स को लेकर ..रोकेट -लैंचरों से हमला करेगा …तो बंबई में …वाहनों से वाहन टकराएंगे …और ….?” अनुमान लगाए जा रहे थे . “बंबई से अच्छा …बैटिल – ग्राउंड …और है कहाँ …?’

“फिर देख लेंगे ,,,बंबई की रैली को …?’ अफवाहों को कान देते हुए …हमारे कार्यकर्ताओं ने …बात को बहा देना चाहा था .

“मैं मरने से नहीं डरता ,मित्रो !” मैंने कहा था और ठाठ से रैली की थी !!

“२६ मई शाम छह बजे ..के .बाद शपथ-ग्रहण समारोह होना है …?” अमित ने मेरा सोच तोडा था . मैं यथार्थ में लौटा था . मुझे याद आ गया था कि अब वक्त आ गया था -जब मुझे शपथ लेनी थी …दायित्व ओटना था …और …देश का प्रधान मंत्री बनना था …? “कैबिनेट का स्वरुप क्या रखेंगे …?” अमित का औपचारिक प्रश्न था .

“छोटा रखते हैं ! उस के बाद ….” मेरा सुझाव था .

“बेहतर …!” अमित बोला था और एक आश्चर्य की तरह उस ने सारे नाम गिना दिए थे …लिस्ट बता दी थी और …और कहा था ,”४००० हज़ार …गणमान्य लोगों की लिस्ट बनती है – आप के बताए ….?”

“आने दो ! देखने दो संसार को भारत का वैभव …?” मैं चहका था .

“अपना कोई नहीं है ,लिस्ट में …?” अमित ने सूचित किया था ,मुझे .

“ठीक है ! मैं नहीं चाहता कि वो लोग आएं ? ये देश का समारोह है …और ….”

आमित चुप रह गया था .

समारोह ठीक ६ बजे आरम्भ हुआ है …और सात बज कर दस मिनिट पर सब तय भी हो गया है ! मैंने शपथ ग्रहण की है और अब हमारे मनोनीत मिनिस्टरों ने शपथ ली है ! एक छोटी और साफ़-सुथरी कैबिनेट का हमने गठन किया है ! हमने कांग्रेस की किसी भी रीति-नीति को नहीं लिया है …न माना है …? हमारा मन है – एक अलग व्यवस्था देने का …???

पूरे समारोह में मीडिया मेरे अपनों को खोजता रहा है ? लेकिन सफलता न मिल ने पर मेरे पास ही आ गया है …!

“आप का …अपना …कोई …?” प्रश्न मेरे सामने है .
“ये सब मेरे ही तो हैं …?” मैंने हंस कर उत्तर दिया है .

अब एक चुप्पी लौट आई है . सब शांत है . और में इस खामोशी के पेट में प्रजातंत्र का बीज रोपता हूँ. में पत्रकारों से कहना चाहता हूँ कि …’वंश-वाद’ बुरा है …! नेता -देता है …लेता नहीं ! और जो लेता है – वह घोर स्वार्थी है …अँधा है – जो अपनों को ही रेवड़ियां …बांटता है ….और देश का अहित करता है ! यही तो हो रहा है – आप की नज़र के नीचे ,हुजूर …?

आज मैं प्रधान मंत्री बन गया हूँ . ये प्रधान मंत्री बनने का सपना ही तो था -जो …जो मेरी आँखों में हर रोज लहक जाता था …? झुनझुने की तरह बज-बज कर मुझे उत्साहित करता था …? फिर बहुत थकाता भी तो था …?

“अरे, तू …? तेरी ये औकात कि …तू …?” कोई मुझे ललकारता . “नरेन्द्र ! इतना बड़ा सपना क्यों ..देखते हो ….?” प्रश्न आता .

लेकिन मैं क्या करता …? मेरे परमेश्वर ने मुझे प्रेरणा दी …और मुझे हारने भी नहीं दिया …? न जाने कितना कुछ नहीं घट गया है ….लेकिन न तो मैं थका हूँ ….और न ही हारा हूँ …?

“मेरी आँखों में आज भी नींद क्यों नहीं है ….?” मैं पूछ रहा हूँ . “क्या है – जो मुझे सोने नहीं दे रहा है …?”

“साब …?” मुझे किसी ने पुकारा है . “दो …लोग हैं …! आप से मिलना चाहते हैं …? ” उस ने मुझे अपने आने का सबब बताया है . पर मैं समझ ही नहीं पा रहा हूँ. रात के इस नीरव पल में …कौन हैं , ये …जो मुझ से मिलने चले आए हैं ? “कौन हैं …?” मैंने उसे ही पूछा है .

“ये कोई …र-की-बी …और एक औरत है – निक्का …!” उस ने बताया है . “कहते हैं – वह सुबह से ही परेशान हैं ….! किसी ने उन्हे…अंदर ही नहीं आने दिया ….?”

मैं उछल पड़ा हूँ ! मैं द्रवित हो गया हूँ ! मैं प्रसन्नता से कूदना चाहता हूँ . मैं ….मैं ….

“बुलाओ,इन्हें ….!” मैंने आदेश दिया है . मैं बिस्तर से कूद कर बाहर आ गया हूँ . और अब देख रहा हूँ कि रकीब और निक्का …मेरे सामने खड़े हैं ! “त …त ..तुम….! रकीब ….? निक्का ….? ” मैंने उन दोनों को अपनी बांहों में समेट लिया है ! “मेरे …अपने ….?” मैंने कहा है . “तुम …दोनों ….?” मैं कहता रहा हूँ . “अब्बा …?” मैंने प्रश्न किया है .

“नहीं ….रहे ….!!” निक्की बोली है . मेरा दिल-दिमाग एक हादसे को चुप से सह गया है .

आ गया न ….मेरा परिवार ….? और …बिन बुलाए …आया है …????

“इन्हें खिलाओ…पिलाओ …और सुलाओ ….!!” मने आदेश दिए हैं .

फिर अकेला हूँ,मैं …? मैं अब आसमान पर उगे भोर के अकेले तारे को देख रहा हूँ ! और अब आदेश दे रहा हूँ – जब तक सूरज न निकले …तुम टिमटिमाते रहना …? मैं भी अब सोऊँगा नहीं …! घात लगा कर बैठे ये बैईमान …सब सटक जाएंगे …?पूरे देश को निगल जाएंगे …?

“अगर तुम सो गए , नरेन्द्र ? तो सोटी -लँगोटी …सब चली जाएगी ..?” गुरु जी के बोल हैं .

“अब सोना नहीं,बेटे ….?” दादा जी हैं – मेरे पास आ बैठे हैं .

और मैं जाग्रत हूँ ….सचेत हूँ ….अगली जंग के लिए तैयार हूँ ….!!

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श्रेष्ठ साहित्य के लिए -मेजर कृपाल वर्मा साहित्य !!

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