महान पुरुषों के पूर्वापर की चर्चा !

भोर का तारा-नरेन्द्र मोदी .

उपन्यास -अंश:-

“भाई जी ! शिवराज सिंह चौहान – सी एम् मध्यप्रदेश ….विरोध में खड़े हो गए हैं ?” मुझे सूचना मिल रही है . “कहते हैं -चाहे जो हो ….पर मोदी नहीं …!!”

मैंने घड़ी में समय देखा था . वक्त ११ बज कर ३५ मिनिट का था ! और वक्त का चेहरा लाल था …..!!

“नया क्या है,नरेन्द्र ….?” आवाज़ दादा जी की थी . “अपने ही तो हराते हैं ….वक्त पर दगा देते हैं …?”

आहत हुआ था -मैं ! मुट्ठियाँ कस आईं थीं ,मेरी ! शिवराज सिंह चौहान का चालाक चेहरा मेरी आँखों के सामने था . लेकिन मैं धीरज खोना न चाहता था …?

“शरद यादव ने …पार्टी से १७ साल पुराना सम्बन्ध तोड़ने की धमकी दी है ! नितीश का सन्देश भी निगेटिव है !! कहा जा रहा है कि …एन डी ए …टूट जाएगी …?” एक और भी बम-विस्फोट हुआ था !

मैंने रीते-रीते आसमान को याचक निगाहों से निहारा था ….!!

टूटता देश ….बंटता हिन्दू ….और भागता स्वराज …मुझे द्रष्टि गोचर हो रहे थे ! नई बात न थी ….और न ही नया कोई कारण था …? ये हमारी – हम भारतीयों की …हिन्दूओं की …आम आदत थी ! हमें अपनो से ही परहेज़ था ….? बहर का कोई भी आए …हम गुलाम बनने को …तैयार खड़े थे …?

“आप को नरेन्द्र मोदी से परहेज़ क्यों है …?” राजनाथ सिंह ने अडवानी जी के सीने पर सीधा प्रश्न अडा दिया था . “होनहार है ….देश-धरम का है …और जनता की आँखों का तारा है …?”

“टूट …जाएगी ….पार्टी , राज !!” अडवानी जी ने भी अपना दुःख व्यक्त किया है . वक्त जा रहा है ! एक बजके बाबन मिनिट हो चुके हैं …! अभी तक कोई राय नहीं बन पाई है ? “मुझे कहना तो नहीं चाहिए …पर जसवंत जी …शौरी …सुषमा …और यहाँ तक कि ….शायद …अटल जी भी ….नहीं चाहते कि ….” रुके थे ,अडवानी जी . “मेरी बात मानो ? वक्त का इंतज़ार करते हैं …? एक सहमती …बनेगी ….तो ….?”

“सहमती तो बन चुकी है, अडवानी जी ….!” राजनाथ सिंह ने उन्हें सूचना दी थी . “जन-जन मोदी को ही चाहता है …! देश ….समाज …और वक्त की मांग है – मोदी ….!! हम चार आदमी न भी चाहें तो क्या होता है ….?”

“जो ठीक समझो …करो !” अडवानी जी का स्वर असम्प्रक्त था . “मैं नहीं आऊँगा …!!”

“आईए …आप …? आशीर्वाद दीजिए …! मेरी गुजारिश है कि ….” कहते हुए चले गए थे – राजनाथ सिंह .

मैंने फिर से समय देखा था ! दो बज कर छह मिनिट हो चुके थे ….?

“मुबारक हो,भाई जी !!” अकाली दल के नेता – प्रकाश सिंह बादल की आवाज़ थी ! “बहुत..बहुत ….बधाई ….? मिलते हैं ….!! दिल्ली में ….” कहते-कहते फोन कट गया था .

क्या था – ये ….? आशा किरण थी ….? या कि कोई चलता-भागता बरसात का झोंका था …? या था -झकझोर देने वाला …झंझावात …? मेरा साहस अब चुकने लगा था ! निराशा फिर से पास आ बैठी थी . में उद्विग्न होने लगा था …!!

“भाई जी ….? मुबारक …!!” ….”भाई जी …? बधाईयाँ …!!” भाई जी ….भाई जी ….भाई जी ….और हाँ …बधाईयाँ …” अनेकानेक सन्देश आने लगे थे . “आप देश के …भविष्य हैं …देश के प्राण हैं ….शान हैं ….और ….” सब कुछ होने लगा था …पर दिल्ली से कोई सन्देश नहीं था …?

“हाँ,हाँ ! विलम्ब है …!!” लो, दिल्ली से भी सन्देश आ गया था . “सुषमा जी …कह रही हैं कि …शायद आज मीटिंग …न हो …? अडवानी जी ………”

दो बज कर पंद्रह मिनिट का समय था ! मेरा हिया काँप उठा था ! मैं सुषमा के सन्देश में किसी साज़िश को तलाशने लगा था !

रह-रह कर मुझे पश्चाताप हो रहा था कि …जिस अडवानी जी की मैंने …राम-भक्त हनुमान जी की तरह …सेवा की …जिन का हर काम किया …हर मुहीम को सिरे चढ़ाया …और हर-हर माईनों में साथ दिया …वही अडवानी जी आज …मेरा रास्ता रोक कर क्यों खड़े हो गए थे …? ये देखिए – उन्हीं का लिखा – ‘मेरा जीवन -मेरा देश’ उन की आत्म-कथा में -पढ़िए ….

“लोगों के समर्थन से दुष्प्रचार के किसी भी अभियान को पराभूत किया जा सकता है – और इसे नरेन्द्र मोदी ने कर दिखाया है ! ” और वही आगे लिखते हैं ,” मैंने पिछले ६० वर्शों के दौरान …भारतीय राजनीति में …ऐसा कोई नेता नहीं देखा है …जिसे राष्ट्रीय … व अन्तर -राष्ट्रीय …इस्तर पर …निरंतर इतने घ्रणित …व् अनैतिक तरीके से बदनाम किया गया हो …जितना कि मोदी को …वर्ष २००२ से किया गया है …? सोनियां गाँधी ने तो सारी मर्यादाएं …पार करते हुए …उन्हें ‘मौत का सौदागर’ तक कह दिया …?” फिर क्या कारण था कि …अडवानी जी ..अपना लिखा …अपना कहा ….और अपना सोचा …सब भूल गए थे …?

और अटल जी तो बीमार थे ….? लेकिन मैं तो जानता हूँ कि …अगर लौह-पुरुष हिल गए हैं …तो ..युग-पुरुष भी दहला गए होंगे ….? पर क्यों ….???

“भाई जी …!” दिल्ली से फोन था . मैं उछल पड़ा था . “चल पड़ो …!” आदेश था . “मीटिंग का समय पाँच बजे से …साढ़े पाँच बजे हो गया है ! पर मीटिंग होगी …अवश्य !!” फोन कट गया था .

मैंने फिर से समय देखा था ! तीन बज के बाईस मिनिट हुए थे ! और हाँ…! वक्त का मुंह मुझे …अब हरा-हरा लगा था ! आई आवाज़ में भी दम दिखा था ? कुछ हुआ लगा था ! मेरा मन तनिक प्रसन्न हुआ था . चेहरा भी खिला था ….? और मैं अहमदाबाद छोड़ कर …दिल्ली की ओर चल पड़ा था ! और मैं देख रहा था कि मेरे प्रशस्त हुए यात्रा -पथ पर …जसोदा बैन पुष्पानजलियाँ …बिछाए मुझे विजय श्री को पाने का वरदान दे रही थी ? उस ने मुझे अजेय बना दिया था …और अपने तप के तेज से …अजर-अमर होने को कहा था !!

अचानक ही मेरा डर जाता रहा था ! मैं स्वस्थ और समर्थ हुआ – नरेन्द्र मोदी , दिल्ली की ओर चल पड़ा था ! मैं ठीक पाँच बज के उनतीस मिनिट पर -गुजरात भवन -दिल्ली पहुंचा था ….और मुझे पता चला था कि …अडवानी जी घर से ..पाँच बज कर तीन मिनिट पर ..यहाँ आने के लिए निकले थे ! पर लौट गए थे !! उन्होंने राजनाथ सिंह को पत्र लिख कर भेजा था . और कहा था कि …’जो होना था …नहीं हो रहा था …?’ ! और पार्टी के लिए वो अब काम नहीं करेंगे …!!

“आप को पता नहीं ,भाई जी …?” कोई मुझे बता रहा था . “अमेरिका ने ख़ास आप के लिए …बम तैयार किया है ! इस का नाम है – राहुल गाँधी !! बन तो जाएंगे पी एम् …आप …! पर …..”

“बनने तो दो,भाई ….?” मैंने सहज भाव से कहा था ….और अपनी तैयारी में जुट गया था .

बोर्ड की मीटिंग हो रही थी . विचार -विमर्श चल रहा था . सब की राय ली जा रही थी ! मोदी के नाम पर सहमती होती ही जा रही थी . एक के बाद एक बोर्ड मेम्बर …मोदी के पक्ष में अपनी राय देते जा रहे थे !

“मेरे विचार से …हमें नरेन्द्र मोदी से अच्छा …और कोई पी एम् के लिए पार्टी में नहीं मिलेगा …?” मुरली मनोहर जोशी ने बोर्ड के मेंबरों को सम्बोधिर कर कहा था . “क्यों न हम ..सर्वसम्मति से ..उन के नाम की घोषणा कर दें …?”

बात मान्य थी ! वक्त पाँच बज कर इक्कावन मिनिट था !! और वक्त का चेहरा …सफ़ेद था …!!

“व्हाई आर यू …बाईटिंग …ए ..बुलेट , सर ….?” राजनाथ सिंह से फोन पर कोई कह रहा था . “अडवानी जी नहीं आ रहे हैं !!” उस ने नई सूचना दी थी . “आप का अपना भी तो कैरिएर …है …?” दो मुहां प्रश्न था . “आप भी ….तो ….?”

“शट -अप ….!!” क्रोध पूर्ण उत्तर दे कर राजनाथ सिंह ने फोन काट दिया था .

बाल-बाल बचे थे – मोदी जी ….? पीछे बैठे विरोधियों का युद्ध जारी था …! अडवानी का तीर खाली जाते देख …खलबली मच गई थी ! अब और कौन-सा बम था – जिसे वो फोड़ते ….?

ठीक छह बज कर बीस मिनिट पर मैं …११ अशोक रोड पहुंचा था ! मीटिंग चल रही थी . मुझे आया देख ख़ुशी की एक लहर-सी दौड़ गई थी ! जमा लोगों ने मुझे नई निगाहों से देखा था ! मुझे बोर्ड के सदस्यों ने अन्दर बुलाया था . एक हल-चल थी . आमोद-प्रमोद था …! शुभ-शुभ-सा सब कुछ था …?

“आप को जिम्मेदारी …दी जा रही है,नरेन्द्र जी …कि आप २०१४ के चुनाव लड़ेंगे …जीतेंगे ….और इस महान भारत देश के …प्रधान मंत्री का पद -भार संभालेंगे …!!” तालियाँ बजने लगीं थीं . “औपचारिक घोषणा की जा रही है ! आप मनोनीत हैं …!!” मुझे बताया गया था .

वक्त छह बज कर उनतीस मिनिट था ! और अब वक्त का चेहरा केसरिया था !!

“हम दिवाली वाले दिन दिवाली मनाते हैं ….पहले नहीं …?” कपिल सिब्बल ने विरोधियों की ओर से कहा था . लेकिन मेरे लिए कोई संकेत …या कोई सन्देश न था …?

“जाओ ! बुड्ढे …के पैर पकड़ो …! आशीर्वाद लो …!!” राजनाथ सिंह कह रहे थे . “भागो …! और हाँ ….! ठीक साढ़े सात बजे … अटल जी के पास …?” उन का इशारा था .

कौन पार्टी में रहा …कौन भागा …कौन रोया …कौन हंसा …और किस ने कोसा …किस ने परोसा …मुझे कुछ याद नहीं ….?

में तो अडवानी जी के चरण पकडे …उन से आशीर्वाद ले रहा था !!

“अटल जी इंतज़ार में हैं ! जाओ ….!!” अडवानी जी ने कहा था .

और मैं भाग लिया था …….

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श्रेष्ठ साहित्य के लिए – मेजर कृपाल वर्मा साहित्य !!

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