भोली होती जंग को स्थिर हुई आंखों से देख रही थी। उसके दो दुश्मन लड़ रहे थे। दोनों के बीच में आना उसे उचित न लगा था।

पृथ्वी राज और तेजी दोनों प्रसन्न थे। उन्हें नकुल की जीत होने में कोई संदेह था ही नहीं। अखाड़ा बने आंगन में अब वार पर वार होने लगे थे!

नकुल ने वार बचाया था और शेष नाग की पूंछ पर अपने पैने दांत का एक घाव जड़ दिया था। फिर वह हवा में उछला था। उसने सीधा शेष नाग के फन को निशाना बनाया था। शेष नाग भी नकुल का पैंतरा ताड़ गया था। उसने अपने फन को दाएं घुमाया था और नकुल में टक्कर मारी थी। नकुल फर्श पर लुढ़का था ओर कई पलोटियां खा गया था!

लेकिन अब वह फिर से संभल कर सामने आ गया था।

दोनों ने एक दूसरे को नई निगाहों से तोला था। नकुल अबकी बार शेष नाग की पीठ पर हमला करना चाहता था और शेष नाग सोच रहा था कि जैसे ही नकुल पीठ की ओर आये उसे कुंडली में कैद कर लिया जाये! एक बार कुंडली में फंसने के बाद तो नकुल के प्राण निकाल देना शेष नाग के लिए कोई बड़ी बात नहीं थी!

दोनों ही अपने अपने पक्के इरादों के साथ एक दूसरे पर टूट पड़े थे!

पृथ्वी राज और तेजी ने अपनी सांसें रोक ली थीं। भोली की तो आंखें ही बंद हो गई थीं! अबकी बार अवश्य ही कुछ हो जाना था – वह सब सोच रहे थे!

जैसे ही शेष नाग ने अपने शरीर की कुंडली में नकुल को कसा था तो नकुल ने उसकी पीठ में तीखा घाव मारा था। असह्य पीढ़ा से शेष नाग की पकड़ ढीली पड़ गई थी। मौका पाते ही नकुल भागा था और फिर पैंतरा बदल कर खड़ा हो गया था।

“मूर्ख हो!” कीमती लाल कबूतर ने हांक लगाई थी। “आपस में लड़ लड़ कर ही तो मरे हो!” उसने उन दोनों को कोसा था। “और ये जो भोली बनी बैठी है ..” उसने इशारे से भोली की तरफ देखा था। “इसकी लगाई आग तो समुंदर भी सुखा देती है!” उसने आंखें मटकाई थीं। “बंद करो ये जंग!” अब वह ऐलान कर रहा था। “सांप और नेवला भी अब साथ साथ भाइयों की तरह रहेंगे!” उसने कहा था। “काग भुषंड जी का ये नया फरमान है!” वह उड़ा था और दूसरे खंबे पर जा बैठा था।

“ये काग भुषंड होता कौन है राजा बनने वाला?” शेष नाग ने कीमती लाल को ललकारा था। “शेष नाग कब से धरती को फन पर उठाए खड़ा है! और जानते हो अगर हमने किराया भी मांग लिया तो ये कौवा लाएगा कहां से?”

नकुल यों थम गई जंग के बीचोबीच खड़ा कुछ समझ ही न पा रहा था! दुश्मन को छल बल से परास्त करना तो उसे आता था लेकिन ये राजा और प्रजा की बात उसकी समझ में ही ना आई थी!

“कीमती लाल जी!” नकुल ने बड़े आदर से कहा था। “ये राजा और प्रजा .. और ये नेवले और सांप का एका क्या है सब?”

कीमती लाल ने अवसर पाकर काग भुषंड का संदेश नेवलों तक पहुंचाने की बात आगे बढ़ाई थी!

“जंग सांप और नेवलों की नहीं होगी!” कीमती लाल ने शब्दों को चुन चुन कर कहा था। “अब जंग होगी आदमी से .. हम सब की जंग होगी और हम सब एक साथ मिल कर ..” उसने अब सब को एक साथ घूरा था। “अब हम सब संकट में हैं भाई! पूरा चराचर ही आदमी के पेट में समाता चला जा रहा है! किसी और को तो वह अब यहां सांस लेने तक की इजाजत नहीं देता है!”

“लेकिन काग भुषंड कैसे लड़ेगा – ये इतनी बड़ा जंग?” नकुल सकते में आ गया था।

“हम सब उसी का साथ देंगे भाई! हम उसके साथ लड़ेंगे! साथ मरेंगे .. साथ जीएंगे!” कीमती लाल भावुक था।

“लेकिन धरती का राजा तो मेरा मित्र पृथ्वी राज है?” अब नकुल संभल कर बैठ गया था। “जो भी हो – पृथ्वी राज की देख रेख में हो!” नकुल ने ऐलान किया था।

पृथ्वी राज ने मुड़ कर तेजी को देखा था। तेजी की आंखों में खुशियों के झरने बह निकले थे। नकुल वास्तव में ही उनका मददगार साबित हुआ था। नकुल ने कितने कांटे की बात की थी?

“ये तो बात जमी नहीं – नकुल दादा!” भोली ने आंखें तरेर कर कहा था। “ये तुम्हारा पृथ्वी राज .. और इस धरती का राजा?”

“तेरा पेट तो ये ही भरता है भोली!” जोरों से हंसा था नकुल। “बिना चूहे खाये तो तुझे नींद ही नहीं आती!”

“मैं तो काशी जा रही हूँ रे!” भोली मुसकुराई थी। “कह दे अपने मित्र से कि हम बिल्लियों को तो कोई शिकायत है ही नहीं भाई!” भोली ने हाथ झाड़ते हुए कहा था। “कोई राजा रहे – कोई प्रजा, हमें क्या?”

तभी भोली की तलाश में हलकान होती संतो दृश्य पर उजागर हुई थी। संतो को देखते ही शेष नाग थर्रा गये थे। वह जानते थे कि संतो ने उन्हें देख लिया तो उनकी जान गई! एक हाथ में लिटा देगी सेठानी – वह जानते थे!

नकुल भी पृथ्वी राज के साथ बिल में घुस गया था! लेकिन कीमती लाल अपनी कीमती आंखों से संतो सेठानी को देखे ही जा रहा था!

“तू यहां है – री!” संतो ने लपक कर भोली को गोद में उठा लिया था। “डॉक्टर आ गया है! अब वो ही देख लेगा – तुझे भूख क्यों नहीं लगती?” संतो बड़बड़ा रही थी!

लेकिन भोली की भूख का राज संतो को कौन बताता?

तेजी ने मुड़ कर संतो को घूरा था। उसने अपने बटुए से मुंह को मरोड़ डाला था। पृथ्वी राज अपने मित्र नकुल के साथ मिल कर आगामी रण नीति तैयार करने की सोच रहा था!

“कितनी फूहड़ है – ये?” तेजी ने संतो को देख कर्कश स्वर में कहा था। “मन आ रहा है कि इसके मुंह पर लप्पड़ मार कर कहूं – तुझे अभी आना था? हम राजा बनते बनते रह गये, मूर्ख! नकुल भाई साहब तो आज ही फैसला कर देते!”

आज नहीं तो कल मैं यह फैसला कर दूंगा कि राजा तुम्हीं होगे पृथ्वी राज – नकुल कहता ही रहा था ..

मेजर कृपाल वर्मा

मेजर कृपाल वर्मा

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