” अरे! क्यों इतनी परेशान हो जाती हो! इसके लिए.. कुत्ता है.. ये! बस! दो-चार साल और.. फ़िर मर जाएगी ये!”।

बच्चों ने मेरी पालतू डॉगी के लिए.. मुझसे कहा था.. और यह सारे शब्द सुन, मेरा कलेजा हिल गया था।

बात तो खैर! जो भी हो. सही थी.. पर न जाने क्यों मुझे कानू से इतना लगाव हो गया है.. कि इसके जाने की बात सहना मुश्किल था।

कुत्ता नहीं! एक रिश्ते की डोर के साथ मेरे संग बंध गयी है.. मेरी कानू!

छह साल की हो गयी है.. और वो कुत्ते वाली बात भी सही है.. पर इस आत्मा संग यह लगाव बहुत गहरा हो चला है.. अगर इसे कुछ हुआ तो! इस बिना कैसा होगा मेरा जीवन..

इसकी जगह फ़िर कोई कैसे ले पाएगा.. मेरे लिए चिंता का विषय बन गया है।

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