कातिल को हमारे खुशी मिलती रहे हमेशा,
रोज खुद को नया कफ़न पहनाते है।दुनिया ये सोचती है दिया रोशन करे रहगुजर।
कौन जाने रोज ये दिल के दाग जलाते है।यादो के चिरागों मे अशको का तेल डाल
आह की आग से हम इनको जलाते है।उसकी जफाओ पे अब रोना नही आता
अपनी वफाओ पे खुद को हँसाते है।चले जाते है जो मौसम जीवन से एक बार
लाख चाहो भी तो लौट नही पाते है।
kaur surinder

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