राम चरन भाग एक सौ पैंतीस

राम चरन भाग एक सौ पैंतीस

भूली याद की तरह अचानक ही राम चरन को जनरल फ्रामरोज की याद हो आई थी। अच्छा चल पड़ा था जनरल फ्रामरोज। वह हिन्दू न था। वह हिन्दुओं से ज्यादा खुश भी न था। उसकी बेटी ने किसी जर्मन से शादी की थी। सेना के साथ उसका रसूख अच्छा था। हैप्पी गो लक्की जनरल फ्रामरोज उसे एक अमूल्य...
राम चरन भाग एक सौ पैंतीस

राम चरन भाग एक सौ चौंतीस

एक सप्ताह से रह रहा था राम चरन हैदराबाद में लेकिन अभी भी उसका मन न भरा था। दिल्ली उसे याद ही न आई थी। दिल्ली को तो उसने दिमाग से कब का कब्रगाह में बदल दिया था। उसने निर्णय ले लिया था कि दिल्ली को एशियाटिक अंपायर की मक्का मदीना बनाएगा। सारे के सारे दुनिया भर के...
राम चरन भाग एक सौ पैंतीस

राम चरन भाग एक सौ तैंतीस

“तुम्हारे लौटने के बाद दोनों को एक साथ फांसी पर लटका देंगे।” राम चरन शगुफ्ता की आवाजें साफ-साफ सुन रहा था। हवाई जहाज लंबी उड़ान पर था। लेकिन राम चरन का सोच आज उसके ही आस-पास आ बैठा था। “ये तो तुम्हें काम होते ही हैंडओवर कर देंगे। कोई खलीफात नहीं...
राम चरन भाग एक सौ पैंतीस

राम चरन भाग एक सौ बत्तीस

मुनीर खान जलाल को शगुफ्ता के साथ रोता बिलखता छोड़ राम चरन अकेला इस्लामिक सम्मेलन में शरीक होने चला आया था। राम चरन जमा इस्लामिस्टों के लिए नया था। लेकिन वह अनाड़ी न था। वह इन पुराने पुरोधाओं के लिए एक नया और चतुर खिलाड़ी था। उसने दो नहीं चार-चार आंखों से सामने बैठे उन...
राम चरन भाग एक सौ पैंतीस

राम चरन भाग एक सौ इकत्तीस

सम्मेलन में ग्यारह बजे पहुंचना था। पूरी दुनिया के पुरोधा सम्मेलन में भाग लेने के लिए पधारे थे। आज दुनिया के दो सौ करोड़ मुसलमानों ने एक अहम वक्त नियुक्त करना था – जब उन्हें चारों ओर से गोलबंदी कर काफिरों पर गिद्धों की तरह टूट पड़ना था और उन्हें तबाहो-बर्बाद कर...