राम चरन भाग एक सौ अड़तालीस

राम चरन भाग एक सौ अड़तालीस

हैदराबाद को देख राम चरन को लग रहा था जैसे दो विपरीत विचारधाराएं जन्म ले चुकी हैं और शहर में दोनों समानान्तर बह रही हैं। राष्ट्र प्रेम की पवित्र विचारधारा का प्रतीक सुमेद का क्रांति वीर संगठन सर उठाए पूरे हैदराबाद पर हावी होता जा रहा था। होने वाले सम्मेलन में पूरे भारत...
राम चरन भाग एक सौ अड़तालीस

राम चरन भाग एक सौ सैंतालीस

राम चरन आया था तो उन दोनों की अभिलाषाओं के चिराग रोशन हो उठे थे। “सॉरी सर, लेट हो गया।” राम चरन ने माफी मांगी थी। “वो काम ही इतना है कि ..” उसने अपनी व्यस्तता बखानी थी। “कबाब ठंडे हो गए हैं।” रोजी ने शिकायत की थी। वो तीनों जोरों से...
राम चरन भाग एक सौ अड़तालीस

राम चरन भाग एक सौ छियालीस

सात नम्बर बंगला आज गुलोगुलजार था। आई विल डू इट – अंग्रेजी गाने की धुन पूरे वॉल्यूम में बज रही थी। बड़े दिनों के बाद आज जनरल फ्रामरोज ने अपनी पुरानी मस्ती को पुकार लिया था। आज वह फिर से यंग एंड बबलिंग आर्मी ऑफीसर था और चीफ बन कर रिटायर होने का सपना उसके पास आ...
राम चरन भाग एक सौ अड़तालीस

राम चरन भाग एक सौ पैंतालीस

“आठ दिसंबर का बर्थ डे है – श्याम चरन का, याद है न?” सुंदरी ने ऑफिस जाते राम चरन से पूछा था। “भाभी जी और भाई साहब का मन है कि श्याम चरन का जन्मदिन इस बार हम ..” “नो, नो, नो!” राम चरन गरजा था और उसने सुंदरी को वर्ज दिया था।...
राम चरन भाग एक सौ अड़तालीस

राम चरन भाग एक सौ चवालीस

राम चरन को अचानक हैदराबाद आया देख सज्जाद मियां सकते में आ गया था। राम चरन के माथे पर जो चिंता रेखाएं खिची थीं वो इस बात का गवाह थीं कि जरूर कुछ न कुछ ऐसा वैसा हो गया था। सज्जाद मियां भी डर गए थे। बड़ा ही नाजुक वक्त चल रहा था। और कुछ तो था जरूर जो राम चरन को बेचैन किए...