स्वामी अनेकानंद भाग 10

स्वामी अनेकानंद भाग 10

पटरी पर निष्क्रिय बैठा आनंद आज ऊंघ न रहा था। “जरूर-जरूर राम लाल ने झुग्गी में अकेली बर्फी के साथ बुरा काम किया होगा?” आनंद कयास लड़ा रहा था। “ये आदमी सीधा नहीं है।” उसने मन में सोचा था। “बर्फी ..?” “आनंद बाबू!” कल्लू ने...
स्वामी अनेकानंद भाग 10

स्वामी अनेकानंद भाग 9

“लो! तिकड़म भिड़ा कर मनी ऑडर किया है।” कल्लू ने मनी ऑडर की रसीद राम लाल को थमाई है। “पोस्ट मास्टर जानकार है वरना शाम हो जाती।” वह पसीना पोंछ रहा है। “और वो भी दो।” राम लाल ने कल्लू को घूरा है। “वो – पते की पर्ची!”...
स्वामी अनेकानंद भाग 10

स्वामी अनेकानंद भाग 8

फुरसत में आते ही वह झूठे गिलास धोने लगी थी। मैं उसे टकटकी लगा कर देख रहा था। उसे भी भान था कि मेरा ध्यान उसी पर लगा था। लेकिन वो बेखबर बनने का नाटक कर रही थी। मैंने पाया था कि वह सुंदर थी .. बहुत ही सुंदर थी। यह मेरे जीवन का पहला अवसर था जब मैंने किसी औरत के बारे...
स्वामी अनेकानंद भाग 10

स्वामी अनेकानंद भाग 7

आनंद आज गुरु से नाखुश था। पेड़ों और पौधों के लाख मनाने पर भी उसने किसी से बात न की थी। उसे मां बहुत याद आ रही थी। छोटे भाई का चेहरा बार-बार सामने आता और पूछता – कैसे हो भाई साहब? और मां की याचक आंखें ..? आनंद ने आलीशान बंगले को आंखें भर-भर कर देखा था। और न जाने...
स्वामी अनेकानंद भाग 10

स्वामी अनेकानंद भाग 6

“कहां ..?” आनंद ने भी पूछ ही लिया था। “बाटा चौक।” राम लाल ने प्रसन्न हो कर बताया था। “एक तरह से बियाबान ही था पर मेरी सूझबूझ ने कहा था – ये तुम्हारी मक्का मदीना है। यहीं बैठ जाओ। खोल दो अपना होटल।” “खोल दिया होटल?”...