राम चरन भाग तीस

राम चरन भाग तीस

तीन बसें बदली थीं। एक घंटा मंगी के घर पहुंचने के लिए पैदल चली थी। दिल्ली के गरम माहौल ने उसे खा-खा लिया था। कई बार पसीना आ कर सूख गया था। लेकिन काम ही ऐसा था कि श्यामल के पैर थमे न थे। अंग्रेजी पढ़ लिख कर दोनों बेटे अरुण वरुण अगर कलक्टर बन जाने थे तो घाटा क्या था? यही...
राम चरन भाग तीस

राम चरन भाग उनतीस

“अंधे कुंए में छलांग लगाने से पहले सोच लो सुंदरी!” एक चेतावनी थी जो कार चलाते-चलाते सुंदरी के दिमाग में उठ बैठी थी। सुंदरी ने कार में जोरों से ब्रेक मारे थे। कार खड़ी कर इंजन भी बंद कर दिया था। ताजी हवा आने के लिए शीशे खोल दिए थे। चारों ओर उगे पेड़ों की...
राम चरन भाग तीस

राम चरन भाग अट्ठाईस

कालू की आज छुट्टी थी। लेकिन राम चरन को मरने तक की फुरसत न थी। आज शिव चौदस थी। मंदिर में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ जुटी थी। पूजा पाठ चल रहा था। शिव पर लोग दूध चढ़ा रहे थे, बेल पत्र अर्पण कर रहे थे और न जाने कौन-कौन किस-किस तरह की पूजा अर्चना में उलझा था। पंडित जी को भी...
राम चरन भाग तीस

राम चरन भाग सत्ताईस

“क्या बात है? कई दिनों से उदास-उदास रहते हो?” श्यामल ने कालू से पूछ लिया था। कालू कई पलों तक चुप रहा था। उसकी समझ में न आ रहा था कि मन की कुंठा को श्यामल को कैसे कह सुनाए। “क्या राम चरन भाग गया?” श्यामल ने हिम्मत बटोर कर जटिल प्रश्न पूछ लिया...
राम चरन भाग तीस

राम चरन भाग छब्बीस

“अच्छा नहीं लगता राम चरन जी – आप रात को बाहर ही पड़े रहते हैं!” पंडित कमल किशोर ने सौहार्द जताया था। “अब तो आप ढोलू शिव के अनुचर हैं, भक्त हैं और सेवक भी हैं।” पंडित जी ने प्रसन्न होकर राम चरन के गुणों का गुणगान किया था। “क्यों नहीं...