स्वामी अनेकानंद भाग 17

स्वामी अनेकानंद भाग 17

जैसे कोई अहंकार आनंद की जुबान पर आ बैठा था – उसे अंग्रेजी बोलते ही महसूस हुआ था। जुबान मरोड़ कर और मुंह एंठ कर अंग्रेजी के शब्दों को चबा-चबा कर बोलना एक अलग ही कला थी। अचानक उसे पूरा देश दो भागों में बंटा नजर आया था। जो अंग्रेजी बोलते थे वो संभ्रांत लोग थे, सफल...
स्वामी अनेकानंद भाग 17

स्वामी अनेकानंद भाग 16

“पर मेरी समझ में तो कमाई करने की बात अभी तक नहीं आई है।” आनंद कहना चाहता था। और वह पूछना भी चाहता था कि वह कब और कैसे कमाएगा? आनंद को पता था – पता ही नहीं एहसास था कि मां को पांच सौ रुपये राम लाल ने जो भिजवाए थे – वो उसके ऊपर कर्ज थे। और अभी तक...
स्वामी अनेकानंद भाग 17

स्वामी अनेकानंद भाग 15

अंग्रेजी अखबार से सर मारना था या कि दीवारों में सर दे-दे कर मारना था – आनंद के लिए बराबर ही था। छोटा-छोटा तो जब पढ़ता वह तब मोटा-मोटा पढ़ा जाता। फिर भी वह हर कोशिश कर रहा था। कुछ अक्षर उसने जबरदस्ती उखाड़ लिए थे और उन्हें जोर-जोर से बोल कर देख रहा था। उसे कहीं...
स्वामी अनेकानंद भाग 17

स्वामी अनेकानंद भाग 14

अंग्रेजी से मगज मारते-मारते आनंद पागल हो गया था तभी कल्लू उसे लेने पहुंच गया था। “आओ भइया।” कल्लू हंस रहा था। “कैसा पढ़ा ..?” कल्लू ने उसे हुलम कर पूछा था। “ये ससुरी अंग्रेजी भी क्या अनोखी कला है।” उसने हवा में हाथ फेंके थे।...
स्वामी अनेकानंद भाग 17

स्वामी अनेकानंद भाग 13

कल्लू ने आनंद को फ्रांसिस के हवाले किया था और चला आया था। चकित भ्रमित सा आनंद कई पलों तक खड़ा-खड़ा उस मुन्ना कोचिंग सेंटर को देखता रहा था। वहां सब कुछ था। उस घूमती फिरती चहल पहल में आनंद ने महसूसा था कि वहां वही लोग थे जो अंग्रेजी पढ़ने आए थे और वो लोग थे जो उन्हें...