by Major Krapal Verma | Dec 13, 2024 | रजिया
लैरी आज आ रहा है! एक लंबे इंतजार के बाद आज आशा किरन लौटी है। इंतजार करना भी एक अजीब बात है। इंतजार करना भी जैसे एक आर्ट है। तरह-तरह के विचार आते हैं। कुछ आ कर डराते हैं तो कुछ आ कर धीरज बंधाते हैं। आशा और निराशा दोनों अखाड़े में उतर आदमी को अपने वश में कर लेती हैं।...
by Major Krapal Verma | Dec 11, 2024 | रजिया
“अगर सोफी ने इस बार मेरी बात नहीं मानी अंकल तो ..!” राबर्ट कह रहा था। उस का चेहरा बुझ सा गया था। आंखों में घोर निराशा थी। “तो .. तो .. मैं मर जाऊंगा अंकल!” वह रुआंसा हो आया था। “और .. और मैं यह लिख कर मरूंगा कि मेरी मौत की जिम्मेदार सोफी...
by Major Krapal Verma | Dec 7, 2024 | रजिया
“माइक ..! माइक ..! माइक ..!” कहकर मैंने जाेराें से टेबुल पर मुक्के मारे हैं। क्राेध का एक सागर मेरे हिये में हिलाेरें ले रहा है। एक निराशा है जाे मुझे इस सागर में डुबाेए दे रही है। एक ग्लानि है – असफल हाे जाने की ग्लानि, जाे मेरा गला घाेंट देना चाहती...
by Major Krapal Verma | Dec 5, 2024 | रजिया
मैं फिर से एक खयाल के साथ लाैट आई हूॅं। जालिम का नशा फिर से मेरे दिमाग पर तारी है। “पागल हाे जाऒगी इस जालिम का पीछा करते-करते।” राॅबर्ट मुझे काेस रहा है। “यह भी काेई सनक हुई यार?” वह मेरी आंखाें में देखता है। “लाेगाें काे प्यार में पागल...
by Major Krapal Verma | Oct 29, 2024 | रजिया
“जैसे ही जफर ने तुम्हें अमेरिकन जासूस कहा था और बांहाें में भरने चला था, वह सही वक्त था उन तीनाें काे शूट करने का।” डैडी सर राॅजर्स साेफी काे समझा रहे हैं। “कुछ कमजाेरियां हाेती हैं। ये मानव मन की आम कमजाेरियां हैं, साेफी।” उन्हाेंने कहीं दूर...