by Major Krapal Verma | Jan 23, 2024 | राम चरण
कुंवर खम्मन सिंह ढोलू ने महसूसा था कि आज हिंदू राष्ट्र का राजा छोटूमल ढोलू का सपना फिर से लौट कर देश के द्वार पर आ खड़ा हुआ था। “इट्स कम्यूनल!” नेहरू ने चीखते हुए राजा छोटूमल ढोलू को ललकारा था। “हिन्दू राष्ट्र से मतलब ..?” वह प्रश्न पूछ रहे थे।...
by Major Krapal Verma | Jan 12, 2024 | राम चरण
बिना राम चरन के कालू की जंग कठिन हो गई थी। ढोलू शिव का मेला भरा था। अपार भीड़ थी। ग्राहकों की लाइन ही न टूटती थी। बिना राम चरन के कालू ही सारा काम संभालता। हां, भोंदू भी साथ था लेकिन राम चरन की तो बात ही और थी। कालू ने महसूसा था कि अंजाने में उसने भी देख-देख कर ही राम...
by Major Krapal Verma | Jan 12, 2024 | राम चरण
इंद्राणी एक बारगी अकेली पड़ गई थी। कुंवर साहब पर चुनावी भूत सवार हो गया था। पहली बार ही था जब वो इस तरह अपनी सुधबुध भूल गए थे। लगा था जैसे राजा छोटूमल ढोलू की अपूर्ण अभिलाषा को तिरंगे की तरह हाथ में थामे वह भारत निर्माण पर निकल पड़े थे। उन्हें एहसास था कि आज ये घड़ी...
by Major Krapal Verma | Jan 11, 2024 | राम चरण
कच्ची जमीन पर खड़ा राम चरन पक्के मनसूबे बांध रहा था। मंदिर के गर्भ गृह का ये एकांत उसे असीम आजादी बांटता था – चाहे जो सोचने की और चाहे जो मंसूबे बनाने बिगाड़ने की। यहां तक पहुंचने का एक ही बड़ा कारण था – उसकी अपनी महत्वाकांक्षा। वह मोर्चे मारना चाहता था...
by Major Krapal Verma | Jan 7, 2024 | राम चरण
ढोलू सराय का किला आज गजब की गहमागहमी से सजग हो उठा था। चुनाव आते थे तभी किले में इस तरह की भीड़ बढ़ती थी और देश प्रेम तथा देश भक्ति के नारे गूंज उठते थे। कुंवर साहब बढ़ चढ़ कर चुनाव में हिस्सा लेते थे और आज तक कभी भी चुनाव न हारे थे। ढोलू सराय की सीट उनके पिता राजा...