राम चरन भाग एक सौ उन्नीस

राम चरन भाग एक सौ उन्नीस

श्याम चरन राम चरन के साथ खेलने की जिद कर रहा था। लेकिन राम चरन स्टेज पर आ खड़ी हुई संघमित्रा को अपलक घूरे जा रहा था। “मेरा दिल्ली आने का आज का उद्देश्य है – भारत की मांओं को सोते से जगाना।” संघमित्रा की मधुर आवाज ने चराचर को जगा दिया था। “हम...
राम चरन भाग एक सौ उन्नीस

राम चरन भाग एक सौ अठारह

संघमित्रा और राम चरन .. नहीं-नहीं – मुनीर खान जलाल और – और बेगम। नहीं भाई नहीं। खलीफा जलाल और जाने जन्नत की मुहब्बत की कहानी के लिए हिन्दुस्तान में जन्नते जहां कहां बनाया जाए – राम चरन यही तय नहीं कर पा रहा था। आज ऑफिस की छुट्टी थी। अलसाए बदन को आजू...
राम चरन भाग एक सौ उन्नीस

राम चरन भाग एक सौ सत्रह

“मैं तो बचपन में ही बर्बाद हो गई थी सर!” शगुफ्ता ने आज पहली बार अपने जीवन के रहस्यों से पर्दा उठाया था। “मेरे कजिन भाई जान ने मेरी सलवार का नाड़ा खोल दिया था। तब मैं तेरह साल की थी। उसने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया था। उसके मैंने हाथ जोड़े थे। मैं रोई...
राम चरन भाग एक सौ उन्नीस

राम चरन भाग एक सौ सोलह

मुनीर खान जलाल की किस्मत के पाँसे अब सीधे पड़ रहे थे। कभी असंभव लगने वाला सब कुछ अब संभव होता चला जा रहा था। कुमारी टापू पर आ कर उसका मन प्रसन्न हो उठा था। एक छोटा स्वर्ग सा बसा था वहां। चारों ओर समुद्र से घिरे कुमारी टापू की साफ सुथरी बीच और टापू पर उगा लता गाछ...
राम चरन भाग एक सौ उन्नीस

राम चरन भाग एक सौ पंद्रह

आज पहला नवंबर था। मुनीर खान जलाल को याद था कि आज बलूच ने टेकओवर करना था। पाकिस्तान में घी के चिराग जलेंगे या कि बुझेंगे, वह अनुमान नहीं लगा पा रहा था। उसे इतना अवश्य याद था कि उन दोनों के बीच अब सलमा और सोलंकी की लाशें धरी थीं। अगर वह पाकिस्तान लौटा तो बलूच ने उसे हर...