by Major Krapal Verma | Dec 15, 2024 | रजिया
सोफी का मन बहुत अशांत था। लैरी कल ब्रेकफास्ट पर आ रहा था। लैरी ने सब कुछ तय कर लिया था। लेकिन एक वह थी कि अभी तक कुछ भी तय न कर पाई थी। और एक रॉबर्ट था जो पैर में चुभते कांटे की तरह उसे लगातार काट रहा था। रॉबर्ट के साथ जिया विगत अब सोफी को साल रहा था – सता रहा...
by Major Krapal Verma | Dec 14, 2024 | रजिया
क्या रॉबर्ट का सर रॉजर्स के साथ राइडिंग पर जाना कोई अर्थ रखता है? सोफी को यह बहुत बुरा लगा है। वह अकेली है, निपट अकेली। जैसे कि अपने कुछ नापाक इरादों के साथ वह अकेली आ बैठी हो। कोई गुनाह करके छुप रही हो। या कि कोई गलत बात हो कर उसके गले में टंगी हो। या कि कोई ऐसा...
by Major Krapal Verma | Dec 13, 2024 | रजिया
लैरी आज आ रहा है! एक लंबे इंतजार के बाद आज आशा किरन लौटी है। इंतजार करना भी एक अजीब बात है। इंतजार करना भी जैसे एक आर्ट है। तरह-तरह के विचार आते हैं। कुछ आ कर डराते हैं तो कुछ आ कर धीरज बंधाते हैं। आशा और निराशा दोनों अखाड़े में उतर आदमी को अपने वश में कर लेती हैं।...
by Major Krapal Verma | Dec 11, 2024 | रजिया
“अगर सोफी ने इस बार मेरी बात नहीं मानी अंकल तो ..!” राबर्ट कह रहा था। उस का चेहरा बुझ सा गया था। आंखों में घोर निराशा थी। “तो .. तो .. मैं मर जाऊंगा अंकल!” वह रुआंसा हो आया था। “और .. और मैं यह लिख कर मरूंगा कि मेरी मौत की जिम्मेदार सोफी...
by Major Krapal Verma | Dec 7, 2024 | रजिया
“माइक ..! माइक ..! माइक ..!” कहकर मैंने जाेराें से टेबुल पर मुक्के मारे हैं। क्राेध का एक सागर मेरे हिये में हिलाेरें ले रहा है। एक निराशा है जाे मुझे इस सागर में डुबाेए दे रही है। एक ग्लानि है – असफल हाे जाने की ग्लानि, जाे मेरा गला घाेंट देना चाहती...