कोर्ट-कचहरी

कोर्ट-कचहरी

न्याय अन्याय के इस खेल मेंशामिल हैं सभीजो मुकदमा डालता हैअपने बचाव में फिर जो चारों तरफ भागता है पुलिस भी खेलती है खेल यहनज़र से उसकी क्या बच पाता है?फिर वकील पहन काला कोटमैदान मै आ जाता हैन्याय होया हो अन्यायकोई भी दाग, उसके दामन कोन छू पाता हैये समाज ही, हर बारहार...