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किंचन का बिजूखा

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यह पुस्तक कई तरह की कहानियों का एक संग्रह है। कहानियाँ कुछ हद तक मानव जीवन का चित्रण करती हैं। जैसे जीवन में सुख, दुख, चतुरता और मूढ़ता, राग, द्वेष आदि का एक मिला जुला रुप है। कुछ कहानियाँ वास्तविक जीवन और समाज का प्रतिबिम्ब देती हैं। कहानियाँ समय, काल और उस समय की समाज की स्थिति का भी चित्रण करती हैं।

Description

यह पुस्तक मेरे लेखन जीवन की पहली संरचना है। मुझे बचपन से कहानियाँ पढ़ने का बहुत बड़ा शौक था। मेरे समझ से हर देश में जब बच्चा छोटा होता है तो सबसे पहले उसके माँ-बाप- बचपन से कुछ न कुछ कहानियाँ सुनाते हैं। मैं भी उन बच्चों में से एक था। मैं इस संदर्भ में शायद कुछ बच्चों से ज्यादा भाग्यशाली हो सकता हूँ कि मुझे माँ-बाप को दोनों का बचपन से प्यार मिला और ज्यादातर मां से खूब सारी कहानियाँ सुना करता था। जब मैं थोड़ा बड़ा हुआ और स्कूल जाने लगा तो मुझे कॉमिक्स भी पढ़ने का मौका मिला। उसके बाद स्कूल और कालेज के समय में भी मैंने बहुत सी कहानियाँ, कॉमिक्स उपन्यास आदि खूब पढ़ा।

समय बीतता गया और पढ़ाई खत्म करने के बाद मैंने जब असली दुनिया में कदम रखा तो मुझे वास्तविक जीवन का एहसास हुआ। वास्तविक की दुनिया समझना इतना आसान भी नहीं है। मेरे समझ से इस दुनिया में कहानियों के पात्रों की तरह लोग भी रहते हैं। बहुत से लोग कहानी की दुनिया से भिन्न रहते हैं। यह दुनिया बहुत तरह के लोगों से मिलकर बनी है। नाना प्रकार की विविधताएं होने के बावजूद भी हम मानव की बहुत सी सार्वभौमिक बातों में समानता रखते है। मानव केवल विचारों से ही एक दूसरे से वास्तविक रुप से भिन्न है।

मेरा मानना है कि कहानियाँ मानव मन की एक असीमित ऐसी परिकल्पना है जो मानव के जीवन बहुत बड़ा रोल अदा करती हैं। मानव मन विचारों से भरा होता है। उसमें हमेशा कुछ न कुछ विचार आते रहते हैं। यह एक सतत प्रक्रिया है। विचार सकारात्मक भी हो सकते है और नकारात्मक भी। दोनों विचारों का अपना-अपना महत्व है। मन के विचार जीवन की आधार शिला रखते हैं। मानव के विकास क्रम में कहानियाँ सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही रोल अदा करती है। इन दोनों का चेक एण्ड बैलेंस होना बहुत जरूरी है। हम केवल कल्पना की दुनिया में नहीं जी सकते नहीं हम केवल मैटेरियलिस्टीक दुनिया में केवल भौतिक नियमों से जी सकते हैं। क्योंकि मानव के विचार केवल भौतिक नहीं है। इसलिए मनुष्य का मन हमेशा कुछ न कुछ संकल्पना करता रहता है। मानव सही और वास्तविक संकल्पना से ही वह भौतिकी की दुनिया को भी जान सका है। वहीं दूसरी तरफ कोरी संकल्पना से मनुष्य अंधकार में जीवन जीता है। तरह-तरह के धार्मिक मान्यताओं और अंधविश्वास में लिप्त रहता है। इसलिए संकल्पना का बैलेन्स होना बहुत जरूरी है।

कहानियों की संकल्पना करने का विचार मुझे वास्तविक दुनिया देख कर आया। मैंने जब देखा कि मनुष्य के जीवन में कहानियां कितना बड़ा रोल निभाती है। मेरी कहानियाँ रचना करने का उद्देश्य मानव मन की संकल्पना के द्वारा मनोरंजन और संरचनात्मक विकास करना है। आशा है कि मेरी यह पहली संकल्पना आप लोगों को पसंद आएगी।

Additional information

ISBN

978-81-937632-6-1

Author

Vijay Singh Kushwaha

Publisher

Praneta Publications Pvt. Ltd.

Book Type

E-Book

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