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देवसर

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भारत गावों का देश है और गावों में ही भारत की सभ्यता, संस्कृति, यहाँ तक की आत्मा का निवास भी है| आज समूचा विश्व भारतीय परम्पराओं , यहाँ के रीती रिवाजों, यहाँ की परिवार-संस्कृति से अचंभित होकर इसे अनुकर्णीय मानता है, वहीँ पर हमारे यहाँ के कुछेक नेता लोग पथ से भ्रमित होकर पाश्चात्य सभ्यता के प्रचार-प्रसार में लिप्त रहने लगे हैं| जिससे हमारी प्राचीन संस्कृति की हानि हुई है|

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Description

भारत गावों का देश है और गावों में ही भारत की सभ्यता, संस्कृति, यहाँ तक की आत्मा का निवास भी है| आज समूचा विश्व भारतीय परम्पराओं , यहाँ के रीती रिवाजों, यहाँ की परिवार-संस्कृति से अचंभित होकर इसे अनुकर्णीय मानता है, वहीँ पर हमारे यहाँ के कुछेक नेता लोग पथ से भ्रमित होकर पाश्चात्य सभ्यता के प्रचार-प्रसार में लिप्त रहने लगे हैं| जिससे हमारी प्राचीन संस्कृति की हानि हुई है|

इस विघटन की रोकथाम के लिए ही प्रस्तुत उपन्यास ‘देवसर’ में प्रत्येक जिवंत पात्र के माध्यम से लेखक महेंद्र शर्मा ‘सूर्य’ ने सजग प्रहरी खड़े कर दिए हैं| ये पात्र पाठकों के अंतर्मन से ही लिए गए भावनात्मक विचार तत्व हैं, जो उनके अचेतन मन में कहीं न कहीं रचे-बसे हुए हैं| उपन्यास का महानायक महादेव एक कालजयी प्रगतिशील युवक है, जो लेखक का अंतर-हृदयी साहस का ही प्रतिरूप है|

भुत, वर्तमान और भविष्य की उन्नति व् सफलताओं के प्रतिक ये भारतीय गाँव ही हैं, जिन्हें कथा-शिल्पी महेंद्र शर्मा सूर्य ने ‘देवसर’ नामक शशक्त उपन्यास के माध्यम से विश्व श्रेष्ठ कर दिखाया है|

शेष पाठक स्वयम आनंद लें इस कृति का|

 

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