आप के मन की बात !!

कि अब हम जाग्रत हैं ….कि अब हम समर्थ हैं ….कि अब हम हरगिज़-हरगिज़ गुलाम नहीं बनेगे ….कि अब हम अपने भारत की संरचना अपने रंग-ढंग से करेंगे ….और अब हम मानेंगे नहीं ……

हम ….अब …जंग लड़ेंगे …..!!

आप मान लो ….आप जान लो ….कि अब हम जुल्म नहीं सहेंगे ….! आप हमें मौतें देंगे तो …हम भी आप को तबाह कर देंगे ….बर्बाद कर के धर देंगे ….और हम आप का नामो-निशाँ मिटा देंगे …अब की बार !

अब हम अपना माल तुम्हें खाने नहीं देंगे ….अब हम किसी भी ऐसी बंदिश को नहीं मानेंगे जहाँ तुम हमारा ही माल खाओ और हमें ही आँखें दिखाओ ….?

नहीं,नहीं ! अगर तुम्हारा मन हमारे दुश्मन के साथ रहने का है —तो रहो ! हम अब खुशामद नहीं करेंगे तुम्हारी ….! हाँ,हम अब वो खातिर करेंगे तुम्हारी कि तुम …दोस्ती और दुश्मनी के मतलब समझ जाओ ! तुमने हमें लूटा था …अब हम तुम्हें लूटेंगे ….तुमने हमारी आँखें फोड़ीं थीं ….अब हम तुम्हारे दीदे निकाल देंगे ….तुमने हमें गुलाम बनाया था …अब हम तुम्हें ……गुलाम के साथ-साथ इंसान भी बना देंगे !!

हाँ,हाँ ! मानते हैं -तुम हिन्दू ही थे ….! तुम्हें जोर-जबरदस्ती मुसलमान बनाया था -सब जानते हैं ! तो हमने ना कब की कि हम तुम्हें वापस नहीं लेंगे ….? हिन्दू हो कर खैर-ख़ुशी आ मिलो हमारे साथ – कौन मना करता है ? लेकिन स्लाम के साथ रहने का अब हमारा मन नहीं है ….मान नहीं है ! तुम आओ ….हमारे भाई बन कर आओ ….सगे सहोदर बनो …और साथ-साथ रहो !!

लेकिन ये मू में राम ….बगल में छुरी वाली बात अब नहीं चलेगी ….?

जो हुआ है -शुभारंभ है ! हमने पहले कभी हाथ नहीं खोला था ….? लेकिन आप की ये करतूतें हैं …जो हम से कह रही हैं कि …हम अब तुम्हें तबाह कर दें ….वरना तो तुम हमें फिर खा लोगे …? हाँ,हाँ ! हमारी ये आज की आवश्यकता है …कि हम अपने दुश्मन को जिन्दा ना छोड़ें ….वरना तो वह ….?

सन्देश है ….समझो …..सोचो …..?

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श्रेष्ठ साहित्य के लिए -मेजर कृपाल वर्मा साहित्य !!

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