“अमेरिकन ऐम्बेसी में केवल चेकआउट करना है।” लैरी मूडी काे समझा रहा था। “ज्यादा लेना देना वहां हाेगा नहीं।” उसने हिदायत दी थी। “आम ठिकाना ताे हाेटल व्याेम बसेरा है।” लैरी ने निगाहें उठा कर मूडी काे देखा था। “ये दिल्ली के गर्भ गृह में बसा है।” लैरी बताने लगा था। “दूर से देखाेगे ताे कुछ पता न चलेगा लेकिन अंदर जा कर तुम्हें एक जन्नत नजर आएगी।” लैरी हंसा था। “इट्स ए डिसकवरी – जाे मैंने की थी।”
“ऐसा क्या है जाे ..?” मूडी ने उत्सुकता पूर्वक पूछा था।
“वहां वाे सब है जाे और कहीं हाेता ही नहीं।”
“कौन है जाे इसे चलाता है?”
“हाकिम साहब।” लैरी ने नाम बताया था। “बड़े बुजुर्ग हैं लेकिन हैं पहुंचे हुए जादूगर।”
“करते क्या हैं?” मूडी ने पूछा था।
“जाे काेई नहीं करता ये वही करते हैं।” कह कर लैरी चुप हाे गया था।
तनिक घबरा गया था मूडी। उसे व्याेम बसेरा काेई मायाजाल लगा था। न जाने क्याें उसका मन खट्टा हाे गया था।
“आई वि किल द बास्टर्ड।” मूडी तैश में आ गया था।
“मिशन फेल हाे जाएगा।” लैरी हंस पड़ा था। “एंड दैट इज यौर वीकनैस मूडी। सबसे पहले तुम्हारी उंगली ट्रिगर पर जाती है। यू डाेंट कैरी याैर वैपन।” लैरी ने उपाय सुझाया था। “हाकिम साहब इज़ ए मिथ। ही इज़ ए की टू याैर सक्सैस।” लैरी ने मूडी का हाथ दबाया था। “मीट हिम, रीड हिम एंड यूज हिम।” उसने तीन गुरु मंत्र दिए थे। “और उसके बाद है हैदराबाद।”
“क्या ये भी काेई बला है?”
“हां। सारा खेल वहीं हाेता है। ये औरताें की खरीद फराेख्त का असली अड्डा है।” लैरी बताने लगा था। “गुलाम अली इन हाकिम साहब से भी दाे घर आगे है। ही कैन गैट यू ए मून अगर तुम लेना चाहाेगे ताे।”
“क्या तरकीब हाेगी?”
“लालच और लाठी।”
“समझा नहीं!”
“मीन्स मुंह मांगा दाे, नहीं ताे माैत दाे। नाऒ यू कैन केरी याैर वैपन।” हंसा था लैरी। “और अगर चाहाे ताे पंडित परम ब्रह्म से भी मिल लेना।”
“नहीं। मैं इस तरह का भ्रम नहीं पालता – तुम जानते हाे।” मूडी साफ नाट गया था। “आई कॉल ए स्पेड ए स्पेड।” उसने अपना मंतव्य साफ-साफ समझाया था।
“तुम्हें एक औरत क्रिएट करनी हाेगी, ऐसी जाे जालिम काे अपने प्रेम जाल में फसा ले।” लैरी ने अंतिम सुझाव दिया था। “गुलाम अली की मदद से इस औरत काे जालिम काे बेच देना हाेगा ऊंचे दामाें पर। और ये औरत ..” लैरी चुप था। अब वह मूडी काे देख रहा था।
मूडी कहीं गुम था। औरताें के खेल मेल में वाे मार खाता था। औरताें से ताे वाे दूर ही रहता था। लेकिन अब औरत कहां से आए – वाे समझ नहीं पा रहा था।
औरत आदमी काे पागल ताे बना देती है – यह ताे मूडी भी जानता था। लेकिन ऐसी औरत आए कहां से – ये मूडी नहीं जानता था।
“ये लाे फाइल।” लैरी ने अपनी जिम्मेदारी पूरी कर मूडी काे केस फाइल पकड़ा दी थी। “विश यू ऑल द बैस्ट मूडी।” लैरी ने सम्मान पूर्वक कहा था।
मूडी का एक रुतबा कायम हाे गया था। अब सभी मूडी काे दूसरी निगाहाें से देखने लगे थे। अब तक का वाे राउडी और मारा धाड़ा मूडी एक जिम्मेदार और समझदार आदमी बन गया था। मूडी खुश भी बहुत था और चिंतित भी खूब था। एक नए निकाेर सूरमा की तरह वह कमर कस कर दिल्ली रवाना हाे गया था।
आकाश की ऊंचाइयाें पर उड़ता मूडी दाे नामाें के साथ जंग कर रहा था – हाकिम साहब और गुलाम अली। दाेनाें ही बार-बार उसके जहन में आते, संवाद बाेलते और भाग जाते। कई बार मूडी का हाथ बहका था। वह पिस्ताैल खींच लेना चाहता था। लेकिन पिस्ताैल ताे वह लेकर ही न आया था। ये जंग ताे उसे खाली हाथ ही लड़नी थी – उसने मान लिया था।
खाली हाथ लड़ना मूडी के लिए एक नया अनुभव था और एक नई चुनाैती थी। केवल निगाहाें से कत्ल करना उसे अब हर हाल में सीखना था।
मूडी अब एक असली जासूस बनने जा रहा था।
एक और तरह का डर था जाे अकेले बैठे सर राॅजर्स के दिल दिमाग पर तारी हाेता जा रहा था।
सर राॅजर्स जानते थे कि जीटर लेन 86 साल का बूढ़ा था। उसकी कंपनी ग्रेट ग्रेनाइट विश्व की जानी मानी कंपनी थी। दुनिया में काेई ऐसी कंपनी न थी जिसमें ग्रेनाइट का दखल न था। और न काेई ऐसा देश था जिस पर ग्रेनाइट का उधार न था। जीटर लेन ने जाे कमा-कमा कर साम्राज्य खड़ा कर लिया था उसका भी काेई जाेड़ न था। और जीटर लेन का अकेला बेटा पीटर लेन उसका उत्तराधिकारी था।
पीटर लेन हर तरह के शाैक माैज में अपना दखल रखता था। वह रंग रसिया था। और वह नई-नई काराें का शाैकीन था। गाड़ी की ड्राइविंग सीट पर बैठ कर वह हवा में उड़ता था।
“86 साल के बूढ़े जीटर लेन काे लुढकाने में क्या लगेगा?” सर राॅजर्स साेच रहे थे। “लिंडा चाहे जब कंपनी की चाबी ले ले, उसे काैन राेक सकता था? अमेरिका ताे लुटा ही धरा था। पीटर ताे मूर्ख था। उसे ताे अपनी भी सुधबुध न थी, अमेरिका ताे उसके लिए बहुत दूर की बात थी।”
और लिंडा कैराेल ..? ए ग्लैमर गर्ल, लिंडा केराेल अमेरिका के यूथ, नहीं यूथ ही क्याें वह हर दिल की रानी थी। उन्हें याद था जब उन्हाेंने लिंडा की पहली बार फिल्म देखी थी और उस रात वाे साे न सके थे। उन्हें अपने हिए में छिदा प्रेम डंक सताता ही रहा था – रात भर। अपने जीवन के उस प्रेम उन्माद काे वाे भूले कहां थे? उसी के पीछे ताे वाे जान देने वियतनाम पहुंचे थे और जेल में भी वही प्रेम उन्माद उन्हें मरने से राेकता रहा था। वाे हर हाल में लाैट आना चाहते थे। लाैटे भी थे लेकिन ..
“लिंडा कैराेल इस पागल पीटर से प्यार थाेड़ा करती है।” तनिक हंसे थे सर राॅजर्स। “वह ताे भूखी शेरनी की तरह शिकार के साथ आ बैठी है। जब चाहेगी, जिस दिन चाहेगी फाड़ खाएगी पीटर काे। ले लेगी उसकी कंपनी ग्रेट ग्रेनाइट काे और तबाह कर देगी अमेरिका काे। ऒह गाॅड!” टीस आए थे सर राॅजर्स।
एक बार फिर मन हुआ था सर राॅजर्स का कि वाे तेज-तेज भागें और टैड से जा मिलें।
“हैल्प! हैल्प माई डियर फ्रेंड!” वह अनायास ही मन ही मन चिल्लाने लगे थे। “सेव अमेरिका टैड।” वह कह रहे थे। “दिस फूल जीटर एंड हिज सन पागल पीटर ले बैठेंगे अमेरिका काे। ये औरत लिंडा कैराेल इज ए फ्राॅड! ये जालिम की बेटी है टैड। जालिम – वही जालिम जाे अमेरिका काे बरबाद करना चाहता है। मैंने बताया था न तुम्हें?”
अचानक ही सर राॅजर्स रुक जाते हैं। उन्हें याद आ जाता है माइक के साथ किया अपना वादा।
“माइक ही सही है।” उन्हें अहसास हाेता है। “काम बिगड़ जाएगा अगर लिंडा का राज उजागर हाे गया ताे।” सर राॅजर्स भी मानते हैं। “एक अच्छे माैके की तलाश में उन्हें घात लगा कर बैठना ही हाेगा।” वाे मान लेते हैं।
“इट मे बी द टिप ऑफ एन आइसबर्ग।” सर राॅजर्स का शांत हुआ दिमाग बताता है। “जालिम ने भी न जाने क्या-क्या जंजाल राेपे हाेंगे अमेरिका की जान लेने के लिए?” वह मान लेते हैं। “लैट माइक डू हिज जाॅब फर्स्ट।” वह तय कर लेते हैं। “माइक ही सही रास्ते पर है। अभी ताे कुल चार ठिकानाें का पता चला है, सात ठिकाने और भी ताे हैं। और न जाने ये बाकी के सात ठिकाने ..?” कांपने लगते हैं सर राॅजर्स।
“हाहाहा।” अचानक सर राॅजर्स लिंडा कैराेल की खनखनाती हंसी सुनते हैं। उन्हें लिंडा का हुस्न भी याद हाे आता है। एक अनाम उजाला उनके दिमाग में धंस आता है। “हार गए बुढऊ?” लिंडा कैराेल पूछ रही है। “औरत के मुकाबले काैन मर्द है जाे नहीं हारा?” सर राॅजर्स भी लिंडा के सामने हथियार डाल कर बाेले हैं। “मैं ताे ये सब जानता हूॅं।” वह मान रहे हैं। “लेकिन .. लेकिन माइक जरूर ढूंढ लेगा तुम्हारी काेई न काेई काट, काेई ऐसी अचूक दवा जाे तुम्हें ..”
“काैन मानेगा माइक काे?” लिंडा कैराेल पूछती है। “जबकि मेरा हुस्न ताे हर किसी के लिए एक चुनाैती है। तुम अपने आप से ही पूछ लाे।”
सच कहती है लिंडा कैराेल – सर राॅजर्स महसूस करते हैं। न जाने कितने-कितने दुर्दांत दुश्मन हार गए हैं हुस्न के मुकाबले।
“किसी तरह चुपचाप अगर पीटर काे सचेत कर दिया जाए ताे?” सर राॅजर्स फिर से साेचने लगते हैं।
“सारा गुड़ गाेबर हाे जाएगा सर।” माइक का पुरजाेर विराेध आता है। “पीटर ताे लिंडा कैराेल का प्रेमी है और प्रेमी की परिभाषा आप से छुपी नहीं है।” माइक हंस जाता है। “आप ही बूढ़े हुए हैं आप का प्रेम नहीं। हाहाहा! ये प्रेम का नशा नश्वर है श्रीमान।”
सर राॅजर्स भी हथियार डाल माइक के साथ हाे लेते हैं।

मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड