“डूडो मेरी जान की प्यासी है।” फरमान बता रहा था। वह एक चुस्त चालाक आदमी था। उसकी चंचल आंखों में एक नया संसार नाचता लग रहा था।

“कौन डूडो?” सोफी ने उससे पूछा था।

“रूस की रानी! जालिम की बड़ी बेटी।” फरमान का उत्तर था।

लगा था कोई पहाड़ टूट कर खिसल पड़ा था। जैसे कहीं भूचाल आ गया था। पहली बार ही था कि उन दोनों को अप्रत्यक्ष रूप से जालिम दिख गया था। उनकी एक मुराद जैसी पूरी हो गई थी। फरमान काम का आदमी था शायद। उसने जालिम के बहुत सारे राज खोल कर रख दिए थे।

“डूडो तुम्हारी जान क्यों लेना चाहती है?” राहुल ने अहम प्रश्न पूछा था।

“इसलिए कि मैंने उसके प्रेमी की हत्या की है।” फरमान ने हिचकते हुए बयान किया था।

“लेकिन क्यों?” सोफी ने उत्सुकता से पूछा था।

“क्यों?” राहुल भी बीच में बोला था।

“इसलिए कि मुझे आदेश मिले थे हत्या करने के।” फरमान ने संक्षेप में बताया था।

“किस्सा क्या है?” सोफी ने पूरा वृत्तांत जानना चाहा था।

“मैंने जॉनी ग्रिप की हत्या की थी क्योंकि ..” फरमान ने किस्सा बताना आरंभ किया था।

“यू मीन जॉनी ग्रिप?” सोफी बमक पड़ी थी। “वो .. वो मशहूर गायक? वो तो .. वो तो” सोफी भावुक हो आई थी। “वह तो प्रेम गीत गाता था, वह तो देश दुनिया को जगाता था। फिर उसकी हत्या की तुमने?” सोफी आपा खो बैठी थी।

जॉनी ग्रिप के साथ हुई अपनी मुलाकात और कभी उसपर निसार हुआ अपना बागी मन सोफी के पास आ बैठा था। वह भी तो पागल हो जाना चाहती थी जॉनी ग्रिप के लिए। अफीम जैसे नशे का नाम था – जॉनी ग्रिप। महिलाएं उस पर मरती थीं। गाता था तो गजब हो जाता था।

“डूडो उसे प्यार करती थी।” फरमान बताने लगा था। “डूडो बला की खूबसूरत है। जॉनी ग्रिप उसे दिल दे बैठा था। दोनों ने शादी का वायदा कर लिया था। एंगेजमेंट की अंगूठियां पहन ली थीं। जग जाहिर हो गया था कि दोनों शादी करेंगे। डूडो भी जॉनी ग्रिप के साथ प्रेम गीत गाने लगी थी। श्रोता डूडो को स्टेज पर आते ही पागल हो जाते थे। जालिम को अपना सारा साम्राज्य ढहता लगा था।”

“तो क्या जालिम ने तुम्हें ..?”

“नहीं! मुझे आदेश रूडो से मिले थे। रूडो जालिम का तीसरा बेटा है। ये इंडोनेशिया का राजा है। मैं भी इंडोनेशिया का हूँ। रूडो ने मुझे चुना था क्यों कि मैं उसका सबसे बड़ा विश्वास पात्र था।”

“कैसे मारा जॉनी ग्रिप को?” राहुल ने पूछा था।

“जहर दे कर!” फरमान का उत्तर था। “पीटर्सबर्ग के एक होटल में मैंने उसे बुलाया था। कहा था – डूडो का प्रेम पत्र ले कर आया हूँ। आप आइए। वह दौड़ा-दौड़ा चला आया था। उसे उम्मीद थी कि डूडो ने जरूर शादी की तारीख लिखी होगी। उसने आते ही पत्र मांगा था। मैंने कहा एक कप चाय तो बनती है। चाय आई थी। मैंने चुपचाप चुटकी से चाय के प्याले में मौत का पैगाम भेज दिया था।”

“क्या लिखा था पत्र में?” सोफी की जिज्ञासा थी।

“कोरा कागज था। लिफाफे के भीतर!” हंस गया था फरमान। “इन प्रेम के पंछियों को उल्लू बनाना बड़ा सहल होता है मैडम।” उसने सोफी को सीधा आंखों में देखा था।

सोफी लजा गई थी। उसने हिम्मत जुटा कर राहुल को देखा था।

राहुल के मुख मण्डल पर भी सोफी के प्रेम की प्रति छाया छा गई थी।

फरमान को स्काई लार्क में भरती कर लिया गया था।

“मैं रस्टी का नम्बर दो था। उसका राज्य मेरे द्वारा चलता था। रस्टी के जालिम राज की मैं कुंजी था। मैंने न जाने कितनों को निहाल किया और न जाने कितनों को बरबाद किया। और अब आकर मैं आपसे प्राण दान मांगने पर मजबूर हूँ। मेरा गुनाह केवल इतना कि ..”

“तुम्हें मारना कौन चाहता है?” राहुल ने पूछा था।

“रस्टी!” ऐलान ने सीधा उत्तर दिया था। “बैठे बिठाए मौत गले पड़ गई जनाब!” ऐलान उदास था। “मैं तो .. मैं तो राजा ही था फ्रांस का।”

“तुम और राजा थे फ्रांस के?” सोफी ने तड़क कर पूछा है। “बंडलबाजी नहीं ऐलान, हमें तो वो आदमी चाहिए जो ..”

“मैं झूठ नहीं बोल रहा हूँ मैडम।” ऐलान गिड़गिड़ाया था। “फ्रांस में रस्टी का राज है और मैं रस्टी का सबसे बड़ा विश्वास पात्र था।”

“ये रस्टी कौन है?” राहुल का प्रश्न था।

“जालिम का बड़ा बेटा है।” ऐलान ने उत्तर दिया था। “कहें तो आज की तारीख में यही फ्रांस का मालिक है।”

“वो कैसे?” सोफी ने पूछा था। “फ्रांस की सरकार क्या अंडे देती है?” नाराज थी सोफी।

“है सरकार – मौजूद है। लेकिन बूढ़ी सरकार है। फ्रांस के लोग बूढ़े हुए। उनके बच्चे साथ नहीं आए। अब वो जालिम के साथ हैं।”

“तुमने रस्टी का साथ क्यों छोड़ दिया?” राहुल का प्रश्न आया था। उसे ऐलान पर शक होने लगा था। डींगें मारता ऐलान उसे जंचा नहीं था।

ऐलान चुप हो गया था। वह अचानक ही बगलें झांकने लगा था। नर्वस लगा था। उसकी समझ न आ रहा था कि राहुल के प्रश्न का उत्तर दे के न दे। कहीं उसके मन प्राण के भीतर अभी भी उसे लूसी ही नजर आती थी। उसका प्रेम तो सच्चा था – पवित्र था। वह तो लूसी को मन प्राण से चाहता था। लेकिन लूसी ..

“लूसी जासूस निकली।” ऐलान ने संभलते हुए बताया था। “मेरी प्रेमिका थी लूसी। मैं उसे दिल दे बैठा था। मैं उस पर जान निछावर करने लगा था। लूसी बहुत सुंदर थी। बड़ी ही प्यारी-प्यारी चीज थी लूसी। हम दोनों शादी करने वाले थे। लेकिन ..”

“लेकिन ..?” सोफी ने प्रश्न दागा था।

“लूसी की हत्या हो गई।” ऐलान ने गंभीर होते हुए बताया था। “हत्या तो मेरी होनी थी लेकिन मैं बच गया। मुझे शक हो गया था। लूसी तो मुफ्त में मारी गई।”

“फिर क्या हुआ?” राहुल का प्रश्न आया था।

“रस्टी को मेरा यों एक जासूस के साथ प्रेम करना संगीन खतरा लगा था। जालिम राज में गद्दारी की सजा मौत होती है। अब तो ..” ऐलान चुप हो गया था।

“तो क्या फ्रांस में जालिम राज है?” राहुल ने चिंता व्यक्त की थी।

“मान लीजिए कि है।” ऐलान ने स्पष्ट कहा था। वह तनिक हंसा था। “जिसके हाथ में घोड़ी की लगाम होती है, घोड़ी उसी के लिए नाचती है। फ्रांस की लगाम रस्टी के हाथ में है।” ऐलान ने दो टूक उत्तर दिया था।

“मैं नहीं मानती ऐलान कि फ्रांस .. यों ..?”

“घर पुराना हो जाता है तो बैठ जाता है, मैडम!” ऐलान बताने लगा था। “फ्रांस वालों को अब फ्रांस नहीं सुहाता।”

“लेकिन देश भक्तों को तो अभी भी ..” राहुल ने चुटकी ली थी।

“काहे के देश भक्त जनाब। पेट भर जाए तो कोई देश भक्त नहीं रहता। मैं भी जब भूखा मरता था तो कुछ भी करने को तैयार था। लेकिन एक बार जब मैं ..”

“अब क्या हो?” सोफी पूछती है।

“बिकाऊ!” ऐलान, ऐलान करता है। “खरीद लें आप मुफ्त में। हो जाऊंगा आप का।”

“लेकिन क्यों?” राहुल पूछ लेता है।

“जान प्यारी है जनाब। आप के सिवा कोई बचा नहीं पाएगा मुझे। जालिम के हाथ बहुत लंबे हैं – उसको मुझसे ज्यादा कोई नहीं जानता।” ऐलान सच-सच बयान करने लगता है।

ऐलान की भी भरती हो जाती है – स्काई लार्क में।

Major krapal verma

मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड

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