“इन आयरन वॉल ऑफ आर एस एस अगेन्सट दी ऑनस्लॉट ऑफ इस्लाम?” राम चरन अपने ऑफिस के एकांत में बैठा-बैठा बार-बार इसी जुमले को दोहरा रहा था।

राम चरन के दिमाग में एक ट्रायएंगल बना था जो उसे डरा रहा था। वह देख रहा था – हैदराबाद में हिन्दू राष्ट्र बनाते सुमेद को, बिहार में आर एस एस का झंडा लिए खड़े कालू के बेटे अरुण और वरुण को और महरौली में पिटते प्रोफेसर ओम प्रकाश को। हिन्दुस्तान का यूथ उसे सही मायनों में इस्लाम के लिए सबसे बड़ा खतरा लगा था।

“बंगला देश से उठा इस्लाम का तूफान जब कलकत्ता पहुंचेगा तो विकराल बनेगा लेकिन बिहार में आ कर अगर आर एस एस से टकरा कर टूट गया तो?”

राम चरन ने अपने चारों ओर देखा था। वह ऑफिस में निपट अकेला था। उसने झटपट बिहार की फाइल खोली थी। उसमें बदलू का नाम पढ़ा था। उसका हुलिया देखा था और वह दंग रह गया था। बदलू तो एकदम ही कोई सिल्ला बिल्ला आदमी था। मछली का व्यापारी था। बहुत धनवान था। लेकिन था तो .. कोई ..? राम चरन की चिंता और भी बढ़ गई थी।

“बिहार में क्या करने जा रहे हो?” सुंदरी ने प्रश्न पूछा था। “वहां कौन सा पांच सितारा होटल बनेगा?” उसने शंका जताई थी।

“पांच सितारा होटल नहीं सुंदा वहां ढोलू फ्री चॉल खोलेंगे!” राम चरन ने हंस कर बताया था। “ये फ्री चेरिटी चॉल होंगी!” राम चरन ने सुंदरी को बांहों में ले लिया था। “अरे भाई! कुछ धरम करम भी तो करोगी कि नहीं?” उसने सुंदरी को खुश करना चाहा था। “यहां ढोलुओं के लिए लोग दुआएं मांगेंगे!”

“विचार तो बड़ा ही पवित्र है।” सुंदरी ने प्रसन्न हो कर कहा था और राम चरन की आंखों में देखा था। “लेकिन ये विचार आया कैसे?” सुंदरी का प्रश्न था।

“अरे भाई! मुझे भी तो ढोलुओं का ऋण चुकाना है।” राम चरन हंस रहा था। “मुझे एक भिखारी से बादशाह बना दिया!” उसने सुंदरी को बांहों में भर कर भींच लिया था।

“गप्पें खूब मारते हो!” सुंदरी बेहद प्रसन्न थी। वह तनिक सी लजा गई थी। “कब जा रहे हो बिहार?” उसने प्रश्न पूछा था।

“आज शाम की फ्लाइट है। चलती हो ..?” राम चरन ने सुंदरी को निमंत्रण दिया था।

“तुम ही चले जाओ! मेरी दो मीटिंग हैं। बड़े दिनों से सोच रही हूँ कि ..”

“कॉनटैक्ट्स को बना कर रक्खो भाई! क्या पता कब सितारे चमक जाएं! कृषि मंत्री की अकेली बहिन हो।” राम चरन ने सुंदरी को फिर से खुश किया था।

हवाई अड्डे पर राम चरन को लेने आए बदलू को देख राम चरन को उबकाइयां आने को लगी थीं। लेकिन उसने अपने आप पर काबू पा लिया था।

“मियां! तुम तो कहीं से भी बदले नहीं, तो फिर नाम बदलू क्यों?” मजाक किया था राम चरन ने।

“ये मजाक तो सभी करते हैं, जनाब! लेकिन मुझे क्या? अल्लाह मियां ने जो दिया है – मंजूर है।” हंस रहा था बदलू।

लेकिन बदलू था तो कमाल का ही बदलू। उसने तो कहीं राम चरन को भी बहुत पीछे छोड़ दिया था।

“यहां के नेता सब काम चोर हैं। दलाली में नाक तक डूबे हैं।” बदलू ने मुद्दे की बात बताई थी।

“और ये आर एस एस?” राम चरन

फौरन मुद्दे पर लौट आया था।

“अरे, ये! ये तो यूं ही सलाम प्रणाम करते रहते हैं। ये हमारे मुकाबले कुछ नहीं हैं, जनाब।”

“देखो बदलू! आइडिया फ्री चेरिटी चॉल चलाने का है! मछली पालन कृषि में आता है। सगे साले साहब मंत्री हैं। और मछली खिलाओ माहौल बनाओ! और वो धर्म परिवर्तन, लव मैरिज और लिंक बनाना है। पैसे की चिंता नहीं। सरकार के खाते में साझा हो जाएगा।” राम चरन ने बदलू को सारा खेल समझा दिया था।

अब बदलू की आंखों में नई रोशनी थी। लालच के सहस्रों चिराग एक साथ जल उठे थे।

“ढोलू फ्री चेरिटी चॉल में .. फ्री मछली चलने दो!” राम चरन ने मंत्र मार कर बताया था।

“बे भाव बिक जाएगा हिन्दू जनाब!” बदलू ने विश्वास दिलाया था राम चरन को।

बदलू के किरदार पर आज पहली बार बलिहारी हो गया था राम चरन। उसे बिहार विजयी हुआ लगा था।

मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड

मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड

Discover more from Praneta Publications Pvt. Ltd.

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading