“नहीं! श्याम चरन नहीं सुंदा!” राम चरन के स्वर बड़े ही कोमल थे। “बेटे का नाम रक्खेंगे शिव चरन!” वह मुसकुराया था। “ढोलू शिव की कृपा है जो हमें पुत्र रत्न प्राप्त हो रहा है।” वह गंभीर था। “शिव का सुमन शिव को अर्पित करते हैं।”

सुंदरी ने राम चरन को स्नेहमयी निगाहों से देखा था। राम चरन का आग्रह सही था। राम चरन भी तो उसे ढोलू शिव ने ही दिया था। इतना परम प्रतापी पुरुष किस-किस को नसीब होता है। राम चरन ने ढोलुओं के नाम और काम को एक नई दिशा दे दी थी।

“दूसरे बेटे का नाम श्याम चरन रख लेंगे।” राम चरन ने जैसे सुंदरी को उसकी मुराद सौंपी थी। “शिव चरन और श्याम चरन ..” राम चरन का उल्लास उमड़ता ही चला जा रहा था।

“दाऊ और कन्हैया की जोड़ी – यू मीन?” सुंदरी ने एक परम प्रिय स्वप्न को छू दिया था। “ओ चन्नी ..!” सुंदरी राम चरन से लिपट गई थी। “यू आर ए जीनियस!” वह कहती रही थी।

राम चरन का मन मयूर अचानक उड़ा था और दूसरी डाली पर जा बैठा था।

“क्या नाम रक्खेंगे बेटे का मुनीर?” सलमा शेख के स्वर खनक उठे थे।

“जहांगीर!” उसने तुरंत उत्तर दिया था। “और दूसरे बेटे का नाम रक्खेंगे चंगेज खान!” वह हंसा था। “सच कहता हूँ सल्लो! मेरा मन करता है कि पूरा जहान जीत कर तुम्हारे नाम लिख दूं!”

“रोका किसने है?” सलमा भी उससे लता की तरह लिपट गई थी। “तुम महान पुरुषार्थी पुरुष हो चाहोगे तो चीफ बन कर रिटायर होगे।” सलमा उसका मनोबल बढ़ा रही थी।

सलमा श्रेष्ठ थी। परम सुंदरी थी – सलमा। चर्चे थे सलमा के। दीवाने भी थे सलमा के! लेकिन वही एक था जिसने जीता था सलमा का मन! और .. और जब सलमा प्रेगनेंट हो गई थी .. तब ..!

“फांस लिया था उसने सलमा को!” राम चरन मुसकुराता रहा था। “जैसे कि सुंदरी फंस गई थी .. और अब ..?”

अचानक राम चरन की निगाहों के उस पार दो नरम और गरम धाराएं बहने लगी थीं। दोनों के अलग-अलग नाम थे, स्वभाव थे, सोच थे और महत्वाकांक्षाएं थीं। जहां सुंदरी एक शीतल और पवित्र जलधारा थी वहीं सलमा सेक्स का बहता गरम-गरम दरिया थी। सलमा के साथ सहवास में वह पागल हो जाता था। वह उस तरह हमला करती थी – मानो कोई भूखा शेर था और हाथ लगे शिकार को साबुत ही निगल जाने को तैयार था। लेकिन सुंदरी के साथ जो सुख मिलता था – जो साहचर्य का आनंद उमड़ कर आता था वह तो बेजोड़ था। सुंदरी उसे संभालती थी जबकि सलमा ने उसे उजाड़ कर ही छोड़ा था।

“मेरा मन उड़ा-उड़ा लगता है चन्नी!” सुंदरी शिकायत कर रही थी। “पता नहीं ये प्रेग्नेंसी कैसे-कैसे ..”

“यही हाल होता है मां बनते वक्त!” राम चरन ने स्वीकार में कहा था।

“तुम्हें कैसे पता?” सुंदरी ने मुड़ कर प्रश्न पूछा था।

राम चरन संभला था। रात-रात भर सलमा की तीमारदारी करता मुनीर भाग खड़ा हुआ था। उसने सुंदरी के गेसुओं में मुंह छुपा लिया था। एक अनन्य सुरक्षा का एहसास पा कर राम चरन सुंदरी की बगल में शिशु की तरह सो गया था।

“ये क्या करने जा रहे हो मुनीर?” उसकी आत्मा जाग उठी थी। “हिन्दुओं को मार कर तुम्हें क्या मिलेगा?”

“इस्लामिक स्टेट! दिस टाइम वी आर कमिटिड टू विन ओवर इंडिया एंड द वर्लड! अल्लाह का अमल और खुदा की खैर ..”

“लेकिन तुम्हें क्या मिलेगा?” वही प्रश्न फिर लौटा था।

“दुनिया में दो परचम लहराएंगे! जहांगीर और चंगेज खान दोनों मेरे बेटे मालिक होंगे पूरी की पूरी कायनात के!” वह सोते-सोते हंस रहा था। “सुंदरी के साथ शादी तो सौदा है!” उसने खुलासा किया था। “शिव चरन और श्याम चरन तो ..”

“क्या हुआ चन्नी?” सुंदरी की नींद खुल गई थी। उसने हंसते राम चरन को अचरज भरी आवाज में पूछा था।

लगा था जैसे किसी ने गरम दूध में खट्टा डाल दिया था। राम चरन था कि सुंदरी की आवाज के आघात से दही सा जम गया था।

राम चरन अब आंखें खोलना नहीं चाहता था।

मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड

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