आज पहली बार था जब राम चरन को सुंदरी की परम आवश्यकता थी। चांद – लगा था चकोरी के प्यार में पागल हो गया था।

“तुम हो कहां सुंदा?” राम चरन ने फोन पर गुहार लगाई थी। “मैं .. मैं – आई मिस यू भाई!” उसने शिकायत की थी।

सुंदरी का मन मयूर नाच उठा था। आज पहली बार था जब राम चरन ने उसे पुकारा था। अब तक तो वही थी जो राम चरन के पीछे भाग रही थी। लेकिन आज ..? आज इन प्रेमिल पलों में उसे राम चरन ने याद किया था।

“बोलो! कहां से पिक अप करूं?” सुंदरी ने सीधे-सीधे पूछा था।

“परवतिया मोड़ पर आ जाओ!” राम चरन ने आग्रह किया था।

सुंदरी पल-छिन में एक सपने की तरह सच हो गई थी। वह परवतिया मोड़ पर जा पहुंची थी। राम चरन उसके इंतजार में खड़ा-खड़ा सूख रहा था। सुंदरी के मन प्राण खिल उठे थे। आज पहली बार उसे अपना जीना सार्थक लगा था।

“कहां चलें?” राम चरन का प्रश्न था।

“फन एंड फूड चलते हैं। नया जॉइंट खुला है। कहते हैं – स्पेश्यली फॉर लवर्स ..” हंस गई थी सुंदरी। “वी कैन जॉइन दी क्राउड!” उसका सुझाव था।

“एंड वाई नॉट?” राम चरन भी उत्तम विचार पर कूदा था। “आई एम डाइंग डार्लिंग!” उसने सुंदरी को बांहों में भर लिया था। “मैं .. मैं तुम्हें ले उड़ना चाहता हूँ!”

“तो रोका किसने है?” सुंदरी ने राम चरन को आंखों में देखा था।

“काश! मेरा भी कोई होता!” टीस कर बोला था राम चरन। “बाई गॉड सुंदा! मैं तुम्हें ..”

राम चरन झूठ बोल रहा था – ये सुंदरी भी जानती थी। लेकिन इस झूठ सच से ही तो हम और हमारा जीवन चलता है। सच तो राम चरन था। और वह उसके पास था – सामने था।

फन एंड फूड ने उन दोनों को एक साथ मोह लिया था।

बड़ा ही नायाब आइडिया था। पेड़ पौधों के बीच – हरी भरी घास के ऊपर मचक-मचक कर चलते ही रोमांस जगता था। भूल भुलैयाओं में खोए प्रेमी आपा भूल जाते थे। जिंदगी जैसे स्वयं आ कर प्रेमियों से मिलती थी और गम गायले भूल कर जीने के इस अनूठे अंदाज पर हंसने को कहती थी और गाने गुनगुनाने के लिए साथ हो लेती थी।

“ये आर एस एस क्या बला है सुंदा?” राम चरन ने मौका पा कर तीर छोड़ा था”

“देश भक्त हैं! समाज सेवक हैं! सोए समाज को जागृत करने में रात दिन एक कर रहे हैं!”

“गुमराह तो नहीं कर रहे?” राम चरन ने प्रतिवाद किया था। “हम सब – हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई प्रेम से साथ-साथ रहते हैं ..”

“प्रेम से ही तो नहीं रहते – चन्नी!” सुंदरी ने बात काटी थी। “अब तो इन सबकी आंख देश को काटने बांटने पर लगी है।” सुंदरी गंभीर थी। “हिन्दुओं ने नेकी की – सब को पास बिठाया, सबको आदर दिया लेकिन इन सब ने बदला बदी में दिया!” सुंदरी ने राम चरन को घूरा था। “और मुसलमानों और ईसाइयों ने तो खूब ही अत्याचार किये! अब तो हिन्दू राष्ट्र बनेगा, चन्नी!” सुंदरी ने घोषणा जैसी की थी।

“क्या कहती हो सुंदा?” राम चरन तड़प आया था। “सिविल वॉर हो जाएगा!” उसने सुंदरी को डराया था।

“तो हो जाए!” सुंदरी ने तड़क कर कहा था। “यहां डरता कौन है?” उसने पूछा था। “हम से बड़ा बहादुर तो कोई है ही नहीं! इन लोगों ने तो छल कपट से ही राज किया। ये लोग ..”

“छोड़ो यार!” राम चरन ने पासा पलटा था। “इट्स नन ऑफ अवर बिजनिस!” वह सुंदरी के करीब खिसक आया था। “हाऊ डू यू लाइक – दी लवर्स नेस्ट?” हंस कर कहा था राम चरन ने।

“आई एम सॉरी चन्नी!” सुंदरी संभली थी। “यू नो – हम लोग तो खानदानी देश भक्त हैं! मेरे पापा – राजा छोटूमल ढोलू तो महान स्वतंत्रता सेनानी थे। नेहरू जी के बहुत अपने थे। लेकिन देश की खातिर .. कांग्रेस ..”

“बुरा न मानो तो मैं भी अपनी बात कह दूं?” राम चरन ने सुंदरी को आगोश में ले कर कहा था।

“कहो!” सुंदरी तनिक चौंकी थी।

“मेरी सर्वस्व तो मेरी सुंदा है!” राम चरन बेहद आग्रही हो उठा था।

सुंदरी फिर एक बार रास्ता भूल गई थी।

Major krapal verma

मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड

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