“आठ दिसंबर का बर्थ डे है – श्याम चरन का, याद है न?” सुंदरी ने ऑफिस जाते राम चरन से पूछा था। “भाभी जी और भाई साहब का मन है कि श्याम चरन का जन्मदिन इस बार हम ..”
“नो, नो, नो!” राम चरन गरजा था और उसने सुंदरी को वर्ज दिया था। “नहीं सुंदा नहीं।” उसने फिर से कहा था। “अरे यार, चुनाव दरवाजे पर खड़े हैं। हमें इस मौके पर पब्लिक को अपनी वैल्थ नहीं दिखानी, डार्लिंग। लैट इट बी ए ..”
“ए वॉट?” सुंदरी तनिक दरक गई थी। उसकी आवाज तल्ख थी।
“ए सिंपल अफेयर।” राम चरन मुसकुराया था। “सी, आठ तारीख को कई इंपोरटेंट अपोंइंटमेंट हैं, मसलन कि काशी में ढोलू रिजोर्ट्स का उद्घाटन। फ्रांस से पार्टी आ रही है, दिल्ली। मेरा उस पार्टी के साथ अपोंइंटमेंट है। और ..”
“यू मीन तुम भी ..?”
“हूंगा, जरूर हूंगा डार्लिंग। ठीक नौ बजे मैं हाजिर हो जाउंगा। आप सब लोग तब तक केक वेक काट लेना। मैं डिनर पर हाजिर हूंगा और फिर हम सब ..”
“यार। मजा नहीं आएगा चन्नी।” सुंदरी तड़प गई थी।
“कम ऑन सुंदा। श्याम चरन तो तुम्हारा बेटा है। बर्थ डे भी हर साल आएगा ओर अगले साल जब कुंवर साहब पी एम होंगे और आप होंगी गृह मंत्री तो .. तब हम श्याम चरन का बर्थ डे ग्रेट पॉम्प एंड शो के साथ मनाएंगे। अब तो हंसो ..?”
“यू आर ए ड्रीम मर्चेंट चन्नी।” सुंदरी हंस रही थी।
“तभी तो फ्रांस वाले मेरे पास दौडे़-दौड़े आए हैं।” राम चरन ने अपनी शेखी बघारी थी।
“और हां। जन्मेजय भाई आठ की सुबह फ्लाइट पकड़ काशी के लिए प्रस्थान करेंगे। शाम को उद्घाटन का समारोह अटेंड करेंगे और अगले दिन नौ को दिल्ली लौट आएंगे।” राम चरन चुप रहा था। “मैं जा नहीं पाउंगा इसलिए भाई जी जा रहे हैं।”
सुंदरी प्रसन्न थी। राम चरन ने उसे गृह मंत्री जो बना दिया था।
लेकिन राम चरन के दिमाग में आठ और नौ दिसंबर की तारीखें – दो एटम बबों की तरह जड़ गई थीं। वह बार-बार अपने दिमाग में आठ और नौ दिसंबर की घटनाओं का रिहर्सल कर रहा था।
आठ तारीख की शाम साठे आठ बजे वह ढोलू पैलेस के लिए रवाना होगा। नाइन ओ नाइन पिस्तौल में दस गालियों की मैगजीन चढ़ी होगी। नौ बजे वह पैलेस में पहुंचेगा और डाइनिंग टेबुल पर डिनर के लिए बैठे ढोलू परिवार पर हमला करेगा। पहली दो गोली कुंवर साहब की, दूसरी दो गोली भाभी साहिबा की, तीसरी दो गोली सुंदा की और एक-एक गोली शिव चरन और श्याम चरन की – टोटल आठ गोलियां चलेंगी। शेष बचेंगी दो गोली।
वह मंदिर लौटेगा। कस्तूरी किरन से गर्भ गृह में मुलाकात करेगा और उससे कहेगा कि नौ तारीख रात दो बजे की तैयारियां पूरी करे। कस्तूरी किरन जब उसे हैदराबाद जाने के लिए कार तक छोड़ने आएगा तब कोई साठे दस बज रहे होंगे।
कस्तूरी किरन को शेष दो गोलियां मार वह एयरपोर्ट के लिए रवाना होगा। नाइट फ्लाइट पकड़ कर वह साठे बारह बजे या एक बजे हैदराबाद में होगा।
उसके बाद अगला नम्बर प्लान नम्बर दो का आएगा और ..
रोती बिलखती संघमित्रा को वो आगोश में ले लेगा। उसकी भीगी-भीगी पलकों को चूम कर उसे मनाएगा और बताएगा कि अब वो कोई यतीम ब्रह्मचारिणी नहीं थी। कोई हिन्दू नहीं थी और न अब उसे किसी साधना करने की आवश्यकता थी। अब वह मलिकाए आलिया थी। अब वह ऐशियाटिक अंपायर की मालिकिन थी। अब वह बहुचर्चित मलिका थी और ऐशियाटिक अंपायर की ..
राम चरन का साकार होता सपना उसके सामने आ खड़ा हुआ था।
“और कोई हुक्म हो तो मेरे लायक ..?” राम चरन की प्रारब्ध जुहार कर उसे पूछ रही थी।
मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड