सात नम्बर बंगला आज गुलोगुलजार था। आई विल डू इट – अंग्रेजी गाने की धुन पूरे वॉल्यूम में बज रही थी।
बड़े दिनों के बाद आज जनरल फ्रामरोज ने अपनी पुरानी मस्ती को पुकार लिया था। आज वह फिर से यंग एंड बबलिंग आर्मी ऑफीसर था और चीफ बन कर रिटायर होने का सपना उसके पास आ बैठा था।
“आप एशियाटिक अंपायर के चीफ ऑफ अंपायर आर्मी होंगे।” राम चरन का किया प्रॉमिस जनरल फ्रामरोज को बार-बार याद आ रहा था।
आज न जाने कितने दिनों के बाद उसके मन से ऐशियाटिक अंपायर का बैटल प्लान तैयार किया था। उम्र भर का अनुभव उसने इस बार ऐशियाटिक अंपायर की जंग जीतने के लिए खर्च किया था। राम चरन डिनर पर आ रहा था। जनरल फ्रामरोज ने पूरे कैंपेन को नक्शे पर उतार कर दीवार पर टांग दिया था। राम चरन देख कर हैरान रह जाएगा उन्हें इस बात का विश्वास था।
राम चरन बार-बार अपनी पीठ थपथपा रहा था। जनरल फ्रामरोज को यों देश का तख्ता पलट करने के लिए मना लेना और ग्यारह जनरल्स के साथ ऐशियाटिक अंपायर जीत लेना – दूर की कौड़ी लाने जैसा था।
“भूखे आदमी के सामने भोजन रख दो तो कब तक नहीं खाएगा वह?” राम चरन अपने सफल हुए प्रयोग पर प्रसन्न था। “जनरल फ्रामरोज एक लुटा पिटा रिटायर्ड आर्मी ऑफीसर था। उसके पास न घर था न घूरा। कब तक नहीं लेता वह उसका ऑफर? मुझे तो नेवी की लड़ाई लड़ना ही आता है।” वह सोचे जा रहा था। “लेकिन जनरल फ्रामरोज और उसके ग्यारह जनरल्स तो ग्राउंड वॉर फेयर में ट्रेंड हैं – टू दी हिल्ट।” उसने सफलता के सूत्रों को टटोला था। “वी विल विन दि बैटल एंड फॉर्म दी ऐशियाटिक अंपायर।” वह मान रहा था।
रोजी के पैरों में आज पर लग गए थे। सात नम्बर बंगले को सजाने के बाद अब वह शाम का डिनर तैयार कर रही थी। राम चरन जो आ रहा था। और अकेला नहीं बल्कि ऐशियाटिक अंपायर को साथ ले कर आ रहा था।
रोजी को अपना पूरा सैनिक जीवन याद हो आया था। चीफ बनने का उन दोनों का सपना कितना-कितना रिझाता था उन्हें? लेकिन फ्रामी चीफ नहीं बना। फ्रामी सबसे ज्यादा टैलेंटेड था। लेकिन उसकी दौड़ भाग के बावजूद भी किसी ने उसको चीफ नहीं बनाया।
“भला हो राम चरन का!” रोजी मुसकुराई थी। “अब हम एक विशाल अंपायर के मालिक होगे।”
रोजी ने बड़े चाव से डिनर तैयार किया था। बहुत दिनों के बाद उसने सींक कबाब स्नैक्स के लिए बनाए थे और न जाने कितने दिनों के बाद आज रोगन जोश बनाया था। शिवाज रीगल विस्की की बोतल बार पर सजा कर रख दी थी। राम चरन को क्या पसंद था – वह जानती तो न थी लेकिन उसने अपने अनुमान से ही बटर चिकिन भी बनाया था जो फ्रामी को बहुत पसंद था।
राम चरन आया नहीं था। शायद किसी कारण वश वह लेट हो रहा था।
“मुझे तो डर लग रहा है, फ्रामी।” रोजी ने जनरल फ्रामरोज की बांह पकड़ कर कहा था।
“तुम पहली बार लड़ाई देख रही हो न?” हंस रहा था जनरल फ्रामरोज। “पहला गोला फायर होने तक भी डर लगता है, रोजी।” वह बताने लगा था। “एक बार भिड़ंत हो जाए तो फिर सब सहज हो जाता है।” हंस रहा था जनरल फ्रामरोज अपनी बहादुरी पर।
“मुझे तो लगता है कहीं ये राम चरन .. हमें ..?”
“अरे नहीं। हीरा है हीरा।” जनरल फ्रामरोज ने रोजी को बांहों में भर लिया था। “हमारे लिए तो राम चरन गॉड है, माईटी गॉड। कुछ दिया है तो इसी ने दिया है। बाकी सब ने तो हमें लूटा ही लूटा।” जनरल फ्रामरोज एक कड़वी सच्चाई बयान कर रहा था।
मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड