“सेना में सारा जीवन तुम्हारे साथ बिताया फ्रामी लेकिन इतना दिलदार आदमी मैंने आज तक नहीं देखा।” नाश्ते की तैयारियों में जुटी रोजी बड़े ही सहज अंदाज में अपनी प्रसन्नता का बयान कर रही थी। “दिस मैन – राम चरन इज हैल ऑफ ए चैप।” उन्होंने समर्थन के लिए जनरल फ्रामरोज की तरफ देखा था।
“कुछ लोग होते हैं – एक्स्ट्रा ऑरडिनेरी।” जनरल फ्रामरोज ने सादा स्वभाव में राजी की बात की पुष्टि की थी। “मुझे भी ये आदमी बेहद पसंद है।” वह तनिक से मुसकुरा दिए थे।
एक तूफान की तरह राम चरन बंगला नम्बर सात में भर गया था।
“आज मैं आपको एक महत्वपूर्ण विचार के सम्मान में मनाने आया हूँ।” राम चरन ने नाश्ता खाते-खाते जनरल फ्रामरोज को सचेत किया था। “बात है कि मैं सोचता हूँ – हमारे सैनिक देश के लिए कितनी कुर्बानियां करते हैं। लेकिन हम ..?” उसने जनरल और उनकी पत्नी दोनों को एक साथ घूरा था।
“लेकिन ..?” इस बार प्रश्न रोजी ने किया था।
“हम उन्हें देते क्या हैं?” राम चरन ने फिर प्रश्न किया था।
“क्या देना चाहते हो?” जनरल फ्रामरोज ने सीधा सवाल पूछा था।
“सैनिकों के लिए सम्मान।” राम चरन मुसकुराया था। “ढोलुओं के सारे कंसर्नस में हम कहें कि सैनिकों के लिए खाना, रहना और अन्य सुविधाएं फ्री?”
“बजट ..?” सीधा सवाल था जनरल फ्रामरोज का।
“वी हैव इनफ।” हंसा था राम चरन। “और फिर इस दिए सम्मान के बदले हमारी फर्मों को जो पब्लिसिटी मिलेगी – वह? इत्ता मिलेगा जनरल साहब कि आप गिन नहीं पाएंगे।” राम चरन ने आश्चर्य जाहिर किया था।
“आइडिया इज नॉट बैड!” रोजी ने राम चरन का समर्थन किया था। “फ्रामी! अवर पूअर सोल्जर्स अगर गाहेबगाहे फाइव स्टार का मुंह देख लें तो हर्ज भी क्या है।” वह हंस रही थी।
और तब तय हो गया था कि इस बारे इश्तहार जनरल साहब की ओर से जाएगा और वही प्रेस को भी हैंडल करेंगे।
आग की लपटों की तरह जब खबर फैली थी तो सुंदरी ने इस विचार को अव्यवहारिक बताया था।
“क्यों सुंदा?” राम चरन ने तर्क किया था। “अगर एक सैनिक फाइव स्टार में हनीमून मनाए तो क्या हर्ज है?” वह हंस रहा था। “तुम तो स्वयं भी समाज सेविका हो, माई डियर?” उसने सुंदरी को याद दिलाया था। “और हां! अगले चुनाव में कुंवर साहब आसानी से जीत हासिल कर लेंगे। और फिर तो हम जवानों के साथ किसानों को भी ..?”
“मरने के काम कर रहे हो चन्नी! लोग गले पड़ जाएंगे – तुम्हें नहीं मालूम।” सुंदरी ने चेतावनी दी थी।
लेकिन जब बात कुंवर साहब तक पहुंची थी तो वह महा प्रसन्न हुए थे।
“यू नो चन्नी! सर छोटू राम ढोलू के परदादा जनरल दिलबाग सिंह राणा सांगा के साथ दिल्ली की लड़ाई में लड़े थे। राणा सांगा ने ही ये जागीर उन्हें इनाम में अता की थी। हमारा तो सैनिकों के साथ बहुत पुराना रिश्ता है भाई।” वह जोरों से हंसे थे। “जय जवान जय किसान का नारा मुझे बहुत अच्छा लगता है।”
“अगली बार चुनाव से पहले किसानों के लिए भी घोषणाएं करेंगे।” राम चरन का सुझाव था।
देर रात मंदिर के गर्भ गृह में बैठे राम चरन ने अपनी पीठ थपथपाई थी। वह मान गया था कि हिन्दुओं को फतह करना कठिन काम नहीं था। उसने बटन दबाया था और हैदराबाद हथियार भेजने के आदेश दे दिए थे।
सज्जाद मियां ने गोलकुंडा का किला निन्यानवे साल के लिए लीज पर ले लिया था। पुरातत्व विभाग के साथ मिल कर पुरातन की रिसर्च होने का उद्देश्य था।
लेकिन गोलकुंडा के किले में अंडरग्राउंड शूटिंग रेंज तैयार हो चुका था।
हथियार आते ही जिहादियों की ट्रेनिंग शुरू हो जानी थी।
मेजर कृपाल वर्मा रिटायर्ड