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पित्र -पुरुष अडवानी जी नहीं चाहते आप का नाम पी एम् के लिए जाए ! क्यों ??

नमो

महान पुरुषों के पूर्वापर की चर्चा !

भोर का तारा -नरेन्द्र मोदी .

उपन्यास -अंश :-

आज की सुबह बहुत ही सुंदर ….सुखद और ….ग्राह्य लग रही है !

मेरा सपना साकार होने को है -और मैं उस के बहुत करीब आ कर खड़ा हो गया हूँ ! मुग्ध भाव से -संसार के आँगन में बिखर गई सुबह को …आँखें भर-भर कर देख रहा हूँ . ‘नमो’ का पराग है …जिस को तितलियों ने अपने कोमल पंखों पर उठा लिया है …और अब अनाम-सी दिशाओं में ले चली हैं ! एक सुगंध है ….मेरे कर्म-फल की सुगंध …जिसे ये सुबह की हवा ओढ़ कर आ खड़ी हुई है ! फूल हैं …कि हँसते ही जा रहे हैं ….सूरज है कि …तपता ही चला जा रहा है …और शोर है कि बढ़ता ही चला जा रहा है – ‘मोदी’ ….’मोदी’ …..’नमो’ ….’नमो’ …..भारत माता की- जय!जय !!

देश के आर-पार आती-जाती हर आवाज़ ….हर हरकत और विचार मुझे सुनाई दे जाता है ….दिखाई दे जाता है ….और कुछ कह जाता है …!! ये मेरी अपनी उपलब्धियां हैं ! जब मुझे देश-विदेश के मीडिया ने घेर लिया था -…और मुझे विवश कर दिया था कि …मैं …उन की ही बात सुनूं …उन्हीं का विश्वास करू ….और तब मैंने अपना ही एक ‘सोशल मीडिया’ वैचारिक मीडिया के रूप में …खड़ा कर लिया था . मेरे इस नेटवर्क के आगे अब मुख्य धारा की मीडिया …बौनी पड गई है ! मुझ से जुडी हर जानकारी आज …फेस-बुक …ट्वीटर….और मेरी वेब साईट पर उपलब्ध है ! मैं अपने सहयोगियों से सीधा जुड़ा हूँ !

“सर !” मेरे शुभचिंतक का फोन है . आप भी सुनिए कि उस के पास क्या सूचना है ? “आज के हर आतंकी का एक ही टारगेट है – नरेन्द्र मोदी !” लो! सुन लो …? “इण्डिया मुजाहिदीन से ले कर ..आतंक फैलानेवाले सभी संगठनों की हिट लिस्ट में आप का ही नाम है !”

“ये तो बड़ी खुश-खबरी है ,भाई…?” मैं जोरों से हंसा हूँ . “कह दो – मैं सुबह उठते ही …मौत से हाथ मिला लेता हूँ !”

न जाने क्यों एक-बारगी मैं और मेरा नाम इतना प्रासंगिक क्यों हो उठा है ? लगता है -कारण तो एक ही है कि …मेरा नाम …हवा के परदे पर स्वतः ही आ कर …. पी एम् के लिए लिख दिया है – किसी ने ….?

“ये देखिए ,सर ! अमेरिका के राजदूत ने ‘व्हाईट हाउस’ को पत्र लिखा है -गुजरात के मुख्य -मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी -बेहद ईमानदार व्यक्ति हैं !”

ये बात गलत नहीं है, मित्रो ! ईमानदार होना मुझे अच्छा लगता है ! और मुझे बुरा लगता है – सब स्वयं के लिए ले लेना ! मैंने अपने परिवार को नहीं पोषा है …न उन के लिए जागीरों का ही जुगाड़ किया है …? जब कि मैं अपने चारों ओर खड़े …उन बड़े लोगों को देखता हूँ …जिन्होंने व्यक्तिवाद …और परिवारवाद …के चक्रव्यूह में फंस कर ….देश की राजनीति को गंदा कर दिया है ! मुझे दादा जी याद आ जाते हैं – जब वो कहते हैं कि – हमारे राजे-रजवाड़ों ने भी …अंग्रेजों का ही साथ दिया, नरेन्द्र ! मैं देख रहा हूँ कि …ये लोग भी उसी तरह देश के साथ गद्दारी कर रहे हैं …धन-माल देश के बाहर ले जा रहे हैं ….इन के बच्चे भी विदेश में ही पढ़ रहे हैं ….और ये यहाँ ….भारत की जनता का शोषण कर रहे हैं ….?

और सच मानिए …कि …यही लोग हैं …इसी प्रकार के लोग हैं …जो मेरा घोर विरोध करते हैं ….मुझे फूटी आँख देखना नहीं चाहते …मेरा तो नाम तक लेना नहीं चाहते …! इन्होने ही मुझे अब तक जी-जांन से …बदनाम किया है ….!!

“हिटलर -है , मोदी ….!!” ये नारा दिया जा चुका है !

ये प्रतिक्रिया मेरी कार्य-शैली को ले कर हुई है ! मैं जब अठारह घंटे काम करता हूँ …तो …अपने सहयोगियों से आठ घंटे काम करने की उम्मीद रखता हूँ …? लेकिन नहीं …! वो काम तो नहीं करेंगे …..विदेश जाएंगे ….धन कमाएंगे ….और ….

और मुझे तानाशाह …राक्षस …हत्यारा …और न जाने कितने-कितने अमानवीय नामों से संबोधित कर चुके हैं …? जितना भी कीचड इन लोगों के हाथ लगा – मुझ पर लगा दिया ….मेरे उजले मुंह को काला किया …और मुझे लांछित किया ….उन लोगों ने जो पढ़े-लिखे हैं ….जो प्रबुद्ध हैं …जो उच्च-स्तर पर हैं …और जिम्मेदार हैं …! पर क्यों …..?

“नरेन्द्र जी ! नमस्कार !!” ये लो ! किसी सहाब का मन मुझ से बातें करने का है . तो देखते हैं – कौन हैं …? “मैं …अय्यर ! कृष्ण अय्यर ….?” वह बता रहे हैं . “याद ..आया …?” उन्होंने पूछा है . “अरे, वही …. सेवानिब्रत न्यायमूर्ति …वी आर कृष्णा अय्यर ….?” उन्होंने अपना पूर्ण परिचय दे डाला है .

भक्क-से उजालों का एक सम्म्पुट मेरे सामने से गुजर जाता है ! भूली याद की तरह मुझे जस्टिस कृष्ण अय्यर याद हो आते हैं ! मुझे याद हो आता है कि …किस तरह सेवानिब्रत जजों के स्वनिर्मित जांच दल ने अपने ‘कन्संर्नेड सिटिज़न ट्रिब्यूनल ‘ ने मुझे दोषी ठहराते हुए …मुझ पर हत्या का मुकद्दमा चलाने की शिफारिश की थी ….और मुझे तुरंत गिरफतार करने …की मांग भी की थी ! मेरे सामने ये एक विकट संकट की घडी थी …..????

विरोधियों की बांछें खिल गईं थीं ….!!! मेरा बचना अब नामुमकिन था …..????

मैं सच की चौखट पर खड़ा रहा था ….और सच भी मेरा हाथ थामे ..मेरे साथ ही डटा रहा था ….!!!!

“नरेन्द्र जी ! मैंने जब उन सारी सच्चाईयों को नज़दीक से देखा …उन्हें समझा …जाना …तो मैं स्वतः ही आप का मुरीद बन गया !” वो बता रहे हैं . “मैंने आप को पत्र लिखा है ! जन्म दिन की मुबारक बाद देते हुए …मुझ से रहा न गया तो …मैं लिख बैठा !” वो तनिक हँसे हैं . “प्लीज़ ! पत्र को पढ़ना अवश्य ?” उन का अनुरोध है .

और ये रहा उन का लिखा पत्र ! चलिए ! साथ-साथ पढ़ते हैं …कि ये सेवानिब्रत जस्टिस कृष्ण अय्यर क्या लिखते हैं …?

“मैं समाजवादी विचारधारा वाला व्यक्ति हूँ . मैं इसलिए आप का समर्थन करता हूँ …कि आप एक सच्चे समाजवादी हैं ! आप सच्चे माईनों में मानवीय मूल्यों ,मानवाधिकारों की रक्षा ,भारत में बंधुत्व ,न्याय और सामाजिक ,आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्र में सच्चे अर्थों में गाँधी जी के समीप हैं !

मैं ह्रदय से और मन से आप का समर्थन और सहयोग करूंगा …! मैं भगवान् से प्रार्थना भी करूंगा कि …अब आप गुजरात की ही तरह …पूरे भारत में शराब बंदी पर अमल करें , भ्रष्टाचार को मिटाएं ….और उन्हीं ..सत्यार्थों का परिपालन करें …जिन से आप ने गुजरात को …एक सम्रद्ध राज्य बना दिया है ?

आप के प्रशाशनिक कौशल को राष्ट्रीय समर्थन मिल रहा है ! आप से अनुरोध है कि आप भारत के प्रधान मंत्री बनने के उपरान्त …स्वराज के महान सिद्धांतों को पारित करें …और इस देश की गरीबी को दूर करें …..

आप को जन-आन्दोलन से जो सम्मान,मान ,प्रेम ,आशीर्वाद ….और सहयोग मिल रहा है …वह बे-जोड़ है ! आप शिखर पर हैं ….सर्वोच्च हैं …और हम सब की आशाओं …और आकांक्षाओं ..के संवाहक हैं !!”

पढ़ा न आप ने ….? मैं तो द्रवित हो गया हूँ . मैं भी इन का मुरीद हो गया हूँ . गलती इन लोगों की नहीं – व्यवस्था ने इन्हें खरीद रखा था …उपकृत कर रखा था …और ये स्वाभाविक ही था कि …ये उन्हीं का साथ देते ….?

“भाई जी !” अमित का फोन है . मैं थोडा चौंका हूँ . मुझे पता है – कहीं -कुछ होगा , तभी मुझे फोन किया है ? “वो वर्ल्ड प्रेस वाले हैं !” अमित बता रहा है . “आप को तंग करेंगे …खूब उकसाएँगे ….! लेकिन …कीप कूल …!!” उसने मुझे चेतावनी दी है . “उन्हें भी आश्चर्य है कि …आप का नाम उठता ही क्यों जा रहा है …? जब कि ‘गोधरा’ …?” वह तनिक हंसा है . “प्रिवेल …आन गुजरात …..नांट …आन ‘गोधरा’ ….?” फोन कट गया है .

मैं सतर्क हूँ . आप भी संभल जाईये ! ये प्रेस वाले चार आँख और बारह सींगों वाले लोग होते हैं ! कौन सी खबर के साथ आप को बाँध कर ….उडाएं , आप तो जांन ही न पाएंगे …?

“भाई ! भारत के विवेकानंद हैं,आप ….?” हमारा वार्तालाप आरंभ हो जाता है . “सुना था भारत का गाँधी ….टैगौर …..लेकिन …आप …और ये ‘नमो’ …..’मोदी’ ….तो कुछ बड़ा ही नया …और नायाब लग रहा है …?”

“विवेकानंद को तो पूरा विश्व जानता है ….?” मैंने विहंस कर कहा है .

“हाँ …! और आप को भी लोग ….शायद उसी गिनती में ले रहे हैं …?” प्रश्न आया है .

“मेरे पथ-प्रदर्शक हैं !” मैंने हंस दिया है . “मैं इन के १०० युवाओं के सपने को ले कर चला हूँ ! भारत को मैं …करोड़ों ऐसे युवा दूंगा ….जो …..”

“गरीबी का ….कुछ करेंगे …..? इस के लिए तो भारत बुरी तरह से बदनाम है ….?” एक युवक ने पूछा है . “कुछ ऐसा ….जो लोगों तक जाए ….और ?”

“गुजरात राज्य इस का समग्र उत्तर है !” मैंने विनम्रता पूर्वक कहा है . “प्रान्त का हर गुजराती …खुशहाल है ….सम्रद्ध है ….और सुरक्षित भी …..”

“सुरक्षित ……?” एक पत्रकार उछल पड़ा है . “गुजरात में ….मुसलमान ….?”

“क्यों …? कोई दंगा नहीं …….! दशकों में …..नाट …ए ..सिंगल केस …..?” मैंने सहजता से कहा है .

“लेकिन गुजरात तो २००२ के साम्प्रदायिक दंगो के लिए …विश्व -विख्यात है …?” फिर प्रश्न आया है . “कहते हैं – हज़ारों लोग मरे थे ….और ९००० लोग …तो अभी भी केम्पों में पड़े हैं ….? मुसलमानों का तो जीना तक हराम है …?” अब पूरे समूह के लोगों ने मुझे एक साथ घूरा है – जैसे मैं कोई दानव होऊँ ? “क्या आप को …इस अमानुषिक घटना का कोई मलाल नहीं ….? क्या आप इस के लिए मांफी नहीं मागेंगे ….?”

“मैं माफ़ी क्यों मांगूं ……?” मेरा पारा चढ़ गया है . मैं पागल होने को हूँ . “२००२ के उन सांप्रदायिक दंगों के लिए …मैं क्यों माफ़ी मांगूंगा ….?” मैंने अपनी बात को दुहराया है . “अगर मैंने अपराध किया है ….तो मुझे फांसी चढा दो ….!!” मैं बौखला गया हूँ . “अगर मुझे किन्हीं राजनीतिक मज़बूरियों के चलते …अपराधी कहा जाता है ….तो मेरे पास इस का कोई इलाज़ नहीं है …?” मैंने भी दो टूक उत्तर थमा दिया है .

एक चुप्पी ने हम सब को आ घेरा है !

चाय आ गई है . मैंने भी पानी पी लिया है . तनिक से अपने आप को संभाला है …संगठित किया है ! अमित नाराज़ होगा – सोचा है ? फिर से अपने नेता के चोले में लौट आया हूँ . और अब ठीक हूँ !!

“हर सरकार का एक मुद्दा होता है ….?” एक अलग से प्रश्न लौटा है . ये लोग भी अब खबरदार हैं . अब शायद ‘गोधरा’ पर न लौटेंगे …? “आप का क्या मुद्दा होगा ,मोदी जी ….?” सब ने मुझे मुस्कराहटों के साथ घूरा है .

“मेरा मुद्दा होगा -‘इण्डिया फस्ट ‘ ….” मैंने तुरंत उत्तर दिया है . “हमारा एक ही धर्म-ग्रन्थ है -भारत का संविधान ….और एक ही भक्ति होगी हमारी – भारत-भक्ति …! एक शक्ति – जन-शक्ति ….और हमारी एक ही पूजा होगी – देश वासियों की भलाई ! और हमारी कार्य -शैली होगी ….सब का साथ – सब का विकास !! ” मैंने बड़े ही सुलझे हुए स्वरों में एक मधुर गान जैसा गा दिया है .

“और आतंकवाद ….?” अब की बार कांटे-सा चुभता प्रश्न पूछा है . “आप ….माने कि …भारत को …आतंकवाद …..?”

“आतंकवाद …युद्ध से भी बदतर है !” मैंने फिर से उद्विगन हो कर कहा है . न जाने क्यों मैं ‘आतंकवाद’ के नाम से ही नाराज़ हो जाता हूँ ? “हमने आतंकवाद के हाथों बहुत कुछ खोया है ….?” मैं बता रहा हूँ . “आतंकवाद का कोई नियम नहीं है ….कोई धर्म नहीं है ….और ….न ….”

“कैसे निपटेंगे ….आप ..इन आतंकवादियों से …..?”

“आँखों में ….आँखें डाल कर ….!!” मैंने अब सीधा उत्तर दिया है .

फिर से चुप्पी लौटी है ! मुझे उदार न पा ये लोग …तनिक चौंक गए हैं …!!

“बी बी सी हिंदी के संवाद दाता -जुबैर ने १५ अगस्त २0१३ को लाल किले से दिए मनमोहन सिंह के भाषण की तुलना आप के भुज के लालन कालेज में दिए …भाषण से तुलना की तो पाया कि …अगर अमेरिका होता तो …मोदी मनमोहन सिंह से बाज़ी मार जाते ? आप का क्या कहना है …???” वो सब हंस रहे थे .

मैं भी तनिक-सा शर्मा गया था ! मैं प्रसन्न तो था …पर …इस प्रश् का उत्तर मैं ‘हां ‘ …या कि ‘ना’ में देना न चाहता था …? मैं इसे अनुत्तरित छोड़ देना चाहता था ! और सच में ही मैंने इस प्रश्न का उत्तर नहीं दिया था ….!!

“ओ,हाँ ….?” फिर से आते प्रश्न ने मुझे जगा दिया था . “आप के …पित्र-पुरुष – लालकृष्ण अडवानी …नहीं चाहते कि ….आप का नाम पी एम् के लिए …आगे आए ….? आप क्या कहते हैं …? क्यों नहीं चाहते …वो ….कि ….आप ….?”

एक साथ उन सब की निगाहें मुझ पर आ कर केन्द्रित हो गईं थीं !!

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श्रेष्ठ साहित्य के लिए – मेजर कृपाल वर्मा साहित्य !!

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