
खुदा हैं,आप !
बुरा न मानें :-
मुझे तो कुच्छ आता-जाता नहीं !
फिर भी मैं मुह खोलने की जुर्रत कर रहा हूँ. इस लिए नहीं कि मुझे आप से कुछ लेना है. पर इस लिए कि मुझे आप से कुछ कहना है.
चाय पर नहीं …..संग्राम पर चर्चा करेंगे, सैनिक हूँ और मुझे संग्राम से आगे कुछ सुहाता भी नहीं.
“कौन सा संग्राम ….?”
“क्यों ….? सुना नहीं …..! ढोल बज रहे हैं ….नक्कारे पिट रहे हैं ….झंडे फहरा रहे हैं ….और नारे लग रहे हैं ..! ‘जिंदाबाद’ ‘मुर्दाबाद’ के नारों से हवा सन्ना रही है ….और …’संग्रामों’ का एलान भी तो हो रहा है …!!
“हम गरीबी को मिटा कर रहेंगे, मित्रो !” आप सुन नहीं रहे ? “हम गरीबी से लड़ेंगे ….मान-पान के साथ लड़ेंगे ….क्यों कि गरीबी ही हमारा एक मात्र दुश्मन है …जो हमें विदेशों तक बदनाम करता है ! गरीबी ही है – जो हमें पशु-सामान जीवन जीने पर मजबूर करती है ….और ये गरीबी ही है ….”
“कब से काम आरंभ होगा, नेता जी ….?”
“चुनाबों के फौरन बाद, महानुभाव !” उत्तर आता है. “हम विरोधियों से अलग हैं. जो कहते हैं …करते हैं …!!”
करते-कराते तो सब हैं ! लेकिन …वही जो उन के हित में होता है. गरीबी को मिटा कर तो ये खुद मिट जाएंगे. इन्हें फिर पूछेगा कौन ? आप नक्कारों की ओर भी तो ध्यान दीजिए !
“किसान आत्म हत्याएं कर रहे हैं. सरकारें सो रही हैं. देश में दालों के भाव आसमान छू रहे हैं …मंहगाई की मार से आम आदमी परेशान है. लेकिन सरकार …..?”
बात इन की भी सही है. बेचारे किसान का तो बंटा ढार हुआ है. उस ज़मीन के टुकडे का क्या करें ….? ग्राहक हैं , बेच दें …! लेकिन …उस के बाद …? उसे तो कुछ करना-कराना आता नहीं ! जो पैसा मिलेगा …वो तो पंख लगा कर उड़ जाएगा …! वह अकेला इस दुनियां के बीच कैसे जिएगा …?”
“हम उद्योग लगाएंगे ….बेकारी से लड़ेंगे ….हर हाथ को काम होगा ….आप के पास दाम होगा ….”
सपने हैं ! सपने ही सपने हैं …!! हवा में तैर रहे हैं.
“दलित की सुनता कौन है ….?” एक और भी मुद्दा है. “दलितों की दुर्गति हो रही है ….उन्हें न कोई खाने देता है …न नहाने देता है ….और न ही मंदिर में जाने देता है ! उन पर हर रोज़ अत्याचार हो रहे हैं. दलित हैं ….महा दलित भी हैं ….दलित के आगे भी तो दलित हैं …! हमारी पार्टी दलितों के उत्थान के लिए कृत संकल्प है. अगर हम दलित …एक जान , एक प्राण हो कर …चुनाव लड़ते हैं – तो हम विजयी होंगे. और फिर ….हम सब का कल्याण …..
कल्याण सब का नहीं , दलितों का ही होगा !!
“मुसलामानों को पूछता कौन है …, जी ? हमारे मदरसे देखो ….बस्तियां देखो ….रहन-सहन देखो ….! क्या करें ….? हमारे तो लीडर ही चोर हैं ….कफ़न चोर है …! चारों ओर से पैसा खा जाते हैं ….और ….”
“आप के प्रदेश को …ब्राह्मण फेस देने का हमने एलान किया है. आप को हम एक ऐसा मुख्य मंत्री देंगे ….जिस ने काम किया है …..नाम किया है ….! हम दावा करते हैं ….कि आप का प्रदेश ……”
“चोर है ….वो …तो ….?”
“झूंठ है ….प्रोपगंडा है …..विरोधियों की चाल है …! उस जैसा नेता तो …युगों में पैदा होता है ….!”
अब आप की बारी है, ज़नाब ! आप के पाप सब धोने को तैयार खड़े है. हर पार्टी के पास मुद्दे हैं. हर पार्टी के पास सपने हैं. हर घराने के पास उन का राजनैतिक वैभव है. उन के पास पैसे हैं …आंकड़े हैं ….अंटे हैं ! आप का वोट हासिल करना उन्हें आता है. उन के पास सारा सम-टोटल है …!!
कहते हैं – आप का प्रदेश , उत्तम प्रदेश है ! कहते तो ये भी हैं कि यहाँ का वोटर प्रखर है …प्रबुद्ध है …और अपनी सही सोच -समझ रखता है. सभी पार्टियाँ डरी हुई हैं….कि कहीं अजब=गज़ब स्थिति पैदा न हो जाए…?
नई पार्टियाँ हैं ….पुरानी पार्टियाँ हैं ….और कुछ मिक्स्ड ब्रांड भी हैं !
और …आप भी खुद में खुदा है ….! करदें कोई करिश्मा ….अब की बार …जिस से गरीब जनता का कुछ तो भला हो ही जाए !!
भाई, मुझे तो कुछ आता-जाता नहीं …..