कहते हैं.. दूध- घी का निकलना या फ़िर बिगड़ जाना अपशकुन होता है. अब होता है, या नहीं.. ये तो पता नहीं.. पर सुनिता इस बात में विश्वास रखने लगी थी। वैसे तो माँ से फ़ोन पर बातचीत से सुनीता को अनिताजी के बारे में तसल्ली नहीं हुई थी.. पर सोचा.. हो सकता है.. कि आवाज़ में ढीलापन उसे ही महसूस हो रहा हो.. पर अनिताजी वैसे ठीक-ठाक हों। खैर! अब सुनीता ने अपने वहम पर काबू पाते हुए.. माँ को बार-बार फ़ोन करना बंद कर दिया था.. और अपने दिमाग़ को परिवार में वयस्त कर लिया था।

फ़िर एकदिन अचानक सुनीता का दूध गैस पर से उबलते वक्त निकल गया.. और सुनीता का दूध निकलने वाला वहम एकबार फिर नया हो आया था..

मन नहीं माना और सुनीता अपने पिता मुकेशजी को फ़ोन लगा बैठी थी..

” अरे! बाकी सब तो ठीक है! पर तुम्हारी माँ I.C.U में भर्ती ही गईं हैं!”।

” क्या.. बताया क्यों नहीं! आप लोगों ने! “।

” चिंता वाली कोई भी बात नहीं है.. बस! अभी कल ही तो भर्ती करवाया है.. थोड़ा बुखार जो आ गया था!”।

माँ बीमार हैं.. ये बात तो सुनीता को पता चल चुकी थी.. पर कितनी बीमार हैं.. यह नहीं पता था। रही I.C.U में भर्ती होने वाली बात. तो उसमें तो कोई भी परेशान होने वाली बात नहीं थी.. आजकल अपना बिल बनाने और पैसे के लिए मरीज को I.C.U में रख भी लेते हैं। और फ़िर पिताजी ने भी अनिताजी को बिल्कुल भी सीरियस नहीं बताया था।

” मैं इस शरीर का क्या करूँ..!!”।

” आप जल्दी ही ठीक हो जाओगे! आप तो पूजा-पाठ वाले हो.. आप को कुछ नहीं हो सकता!”।

” हाँ! मैं ठीक हो जाऊँगी!”।

सुनीता ने अस्पताल में भर्ती अपनी माँ से कुछ इस तरह बातचीत की।

” अभी अपनी माँ से मिलने मत आना..!!”।

आगे का हाल खानदान के साथ।

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