
और हम खड़े-खड़े ………
महान पुरुषों के पूर्वापर की चर्चा !
स्मृति-अंश !!
कवि नीरज आ रहे थे !
मात्र इस खबर ने आगरा कालेज में उन्माद भर दिया था ! आज इतवार के दिन वो आ रहे थे . वो एक निश्चित समय के लिए आ रहे थे . उन का आना एक एतिहासिक घटना जैसा ही था ! उन का नाम था ….उन का सम्मान था …उन का ये उत्कर्ष था ….और उन का युग था ….!!
जी, हाँ ! मेरे कालेज के समय में नीरज जी एक युग-पुरुष बन चुके थे .
“सात एक साइकिल पर कैसे चलेंगे, ब्बे ….?” हमारे सामने प्रश्न था . साइकिल नई थी . अभी तक टोकन भी न मिला था . जहाँ डबल राइडिंग पर चालान था ….और बिना टोकन के साइकिल जमा हो जाती थी , वहां हम सात ….को एक साइकिल पर बिना टोकन के सफ़र करना था !
अजब बात थी . लेकिन हुआ भी यही था ….और राजामंडी के चौराहे पर खड़ा पुलिस का आदमी हमें आँखें फाड़ -फाड़ कर जाते देखता रहा था !!
“क्या लिखेगा, स्याला …..? सेवेन राइडिंग ….?” नवीन ने कहा था तो हमारी टोली विफर-विफर कर हंसी थी .
आगरा कालेज का प्रांगण नाक तक भीड़ में डूब गया था . अपार भीड़ का जैसे सागर उमड़ पड़ा था ! ‘नीरज जी’ को सुनना जो था ….उन के दर्शन जो करने थे ….उन का आशीर्वाद भी तो प्राप्त करना था ….और आव्हान करना था – उस युग-पुरुष का जो आज हमारे बीच किसी सौभाग्य वश आ रहा था !!
जैसे ही नीरज जी सुबह के सूरज की तरह स्टैज पर उदय हुए थे ….उल्लास उमड़ा था …नारे लगे थे …..और उन की जय-जयकार हुई थी ! एक जौमदार स्वागत हुआ था, नीरज जी का ! उन्होंने घोषणा की थी कि वो हमें अपना एक नया कविता पाठ सुनाएंगे . लेकिन भीड़ चिल्लाई थी – कारवाँ …गुजर गया ….! कारवाँ…!कारवाँ…!! कारवाँ ….!!!
अब कोई क्या करता …? लगे नीरज जी अपने कारवाँ को सुनाने . वास्तव में ही अब तक अमर गीत बन चूका था – ये उन का कारवाँ ! और इस कारवाँ पर कैसा-कैसा रंग नहीं वर्षा था ….? और फिर विद्यार्थियों की मांग पर ….तीन बार नीरज जी ने ‘कारवाँ’ का पाठ किया था ! उस दिन जान छुड़ा कर भागे थे – कविवर ….वरना तो विद्यार्थियों ने उन्हें उस दिन वहीँ रख लेना था ….!!
और फिर उन के जाने के बाद का हुल्लड़ भी मैं आप को ज़रूर बताऊंगा !
लड़कियां ….कवि नीरज की दिवानी लड़कियां …..भारी संख्या में उन्हें सुनने के लिए पहुँचीं थीं . कविवर के जाने के बाद लड़कियों के मित्रों को आज खुला अवसर मिल गया था ….कि उन के साथ भी कुछ गुल-गपाड़ा हो जाय ! उन दिनों लड़कियों और लड़कों में जोर का विभाजन था ! क्या मजाल कि कोई लड़का ….लड़कियों की क्लास के पास से भी गुजर जाए ….? लेकिन आज तो ……
दोनों गेटों पर घिराव था ! अब जिसे जाना हो ….वो जाए ….!!
दमदार लड़कियों ने साहस किया था ! उन पर शब्द-बाणों से पहले प्रहार हुआ था ….फिर धक्का-मुक्की भी उन्हें सहनी पड़ी थी …और फिर कहीं आज़ाद हो कर …गेट तक खिलखिलाती …हंसती …और गरियाती चली गईं थीं !
सच में बड़ा ही आनंद आया था – उस दिन ….!!
लेकिन आज का ये दुखद समाचार ….’कविवर नीरज नहीं रहे ‘ मन को तोड़ कर धर गया …!!
फिल्मों से लेकर कवि-जगत तक उन्हें बेजोड़ सफलता मिली …सम्मान मिला ….मान मिला ! समाज ने उन्हें खूब-खूब आदर दिया . उन्हें परमात्मा ने भी सब कुछ दिया -लम्बी उम्र के साथ . और आज वो हमारे समाज की सीपी के मुंह में …अनमोल मोती-से आ बैठे हैं ….ताकि जब-जब हमें उन की याद आए —वो हाज़िर हो जाएं !!
लेकिन ‘कारवाँ’ तो गुजर ही गया , मित्रो ! और इस ‘कारवाँ’ के साथ ही …मैं देख रहा हूँ कि …दिमाग में धरा वो …हास-परिहास ….चुहल-चहक ….सब चला जा रहा है …
वो ….गए ….वो जा रहे …..गोपाल दस नीरज ….कवि …साहित्यकार …..पदम् भूषण ….देश के प्राण ….और हमारी शान !!
प्रणाम !!.
………………..
श्रेष्ठ साहित्य के लिए – मेजर कृपाल वर्मा साहित्य !! .