पाउट बनाओ!.. क्लिक करो!.. ये!!!.. कितना अच्छा सेल्फी आया है.. इसको अपने फेसबुक एकाउंट पर अपलोड करेंगें। और सब खुश हो जाते हैं। आजकल के ज़माने में इतनी बिजी ज़िन्दगी होते हुए.. अपने आप को खुश करने का अच्छा तरीका है। आजकल तो सारी दुनिया मीडिया पर ही सिमट कर रह गई है। अपनी और अपने परिवार के साथ तस्वीरें हम लोग अपने दोस्तों के साथ आराम से सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं.. और अपनी खुशी में सबको पल भर में शामिल भी कर डालते हैं। अच्छा तरीका है.. समाज के साथ घुल-मिल कर रहने का। हमारे ज़माने में ये मोबाइल वगरैह तो थे.. नहीं.. घर में कैमरे हुआ करते थे.. जब भी कहीं घूमने गए.. तो फोटो वगरैह खींच कर एल्बम में लगा लिया करते थे.. जब कभी मन हुआ एल्बम खोला और खुश हो लिये। आजकल सभी के हाथों में छोटे से लेकर बड़े तक मोबाइल फ़ोन रहता है.. जब मन चाहे कभी भी पिक्चर क्लिक किया.. और अपनी प्यारी सी फ़ोटो देख कर खुश हो लिये।

हमारे यहाँ भी बच्चे अपने-अपने मोबाइल फ़ोन से फ़ोटो खींचने में व्यस्त रहते हैं।जब मन चाहे जब ही अपना सेल्फ़ी खींच कर अपने फेसबुक अकॉउंट पर अपलोड कर दोस्तों के अच्छे-अच्छे कमेंट्स के खूब मज़े लेते हैं। घर बैठे अपनों के साथ खुशी बाँटने का तरीका बहुत अच्छा है।

एक बात तो नोट करने की है.. और वो ये.. कि हमारी प्यारी सी कानू भी यही चीज़ देखती रहती है.. और सोच में डूब जाती है.. कानू की छोटी सी और प्यारी सी गुलाब जामुन जैसी नाक पर चिन्ता दिखाई देने लग जाती है। कानू अक़्सर यही सोचती रहती है,” ये दीदी भइया.. जब देखो ये बड़ा सा शीशा अपने मुहँ के आगे लेकर खड़े हो जाते हैं.. अजीब सी शक्ल बना कर ख़ुद ही खुश भी हो लेते हैं।

हमनें भी अक्सर यही बात नोट की है.. जब भी हमारे बच्चे सेल्फ़ी ले रहे होते हैं.. तो हमारी छोटी सी बिटिया कानू भी इधर-उधर से प्यारा सा छोटा सा मुहँ बनाकर दीदी और भइया को देखती रहती है.. और अपनी फ्लॉवर जैसी पूँछ हिलाते हुए… अक़्सर उनके पास चली जाया करती है.. थोड़ी सी अपनी गर्दन टेढ़ी कर प्यारी कानू समझने की कोशिश करती है.. कि हो क्या रहा है। कभी-कभी अपनी गर्दन थोड़ा सा ऊपर करके भी देखने की कोशिश करती है.. कानू!

हम दूर बैठे अपनी नन्ही सी गुड़िया को परेशान होता कई दिनों से देख रहे थे.. अब हमसे अपनी छोटी सी बिटिया की परेशानी देखी न गई.. तो हमनें एक दिन कानू को झट्ट से अपनी गोद में बिठा कर एक प्यारी सी सेल्फ़ी ले डाली। कानू के साथ गाल से गाल लगाकर हमारी और कानू की बहुत प्यारी सेल्फ़ी आई थी। कानू को सेल्फ़ी का तो पता न चला था.. पर हमारे गाल से गाल लगाकर प्यारी कानू बहुत खुश हुई थी। हम समझ गए थे.. कि अभी कानू का डाउट क्लियर नहीं हुआ है। इसलिये हमनें बच्चों को भी कानू संग सेल्फ़ी लेने को कहा था.. ठीक उसी तरह जिस तरह से वो अपनी सेल्फ़ी क्लिक करते हैं। बच्चों ने हमारे कहे मुताबिक ही अपनी छोटी बहन कानू संग बहुत सारी सेल्फ़ी क्लिक करीं थीं।

अब कानू तो बचपन से ही इंटेलीजेंट है.. सेल्फ़ी क्लिक करने के तरीके से ही समझ गई थी.. कि दीदी भइया वही कर रहें हैं.. जो कानू उन्हें करते हुए देखती थी। यानी अब कानू-मानू के सारे डाउट क्लियर हो चले थे.. और कानू सेल्फ़ी खिंचवाते हुए.. खुश हो गई थी।

जैसे ही कानू दीदी-भइया के हाथ में मोबाइल फ़ोन देखती.. झट्ट से अपनी फ्लॉवर जैसी पूँछ हिलाते हुए.. सेल्फ़ी खिंचवाने पहुँच जाती।

हम और हमारी प्यारी कानू सेल्फ़ी खिंचवाते हुए.. खुश थे.. हमनें कानू संग ढ़ेर सारी सेल्फ़ी खींचकर उनका बड़ा सा कोलाज बना डाला था.. यूँहीं अपनी प्यारी कानू की यादों को सेल्फ़ी में बटोरते और कानू का प्यार अपने संग अमर करते एक बार फ़िर हम सब चल पड़े थे.. कानू के साथ।