जिंदगी खेल ही तो है!
खेलो, जी जान से
सोचो तो मुश्किलें हैं बहुत
ना सोचो तो आसान है
जो करना है
ध्यान उसका करो
क्यों? अगर है पता तो
कैसे? आसान है
अच्छा क्या है
और क्या है बुरा
बस एक नज़रिया ही तो है
बदल लो नज़रिया तो
जिन्दगी बदल जाती है
हवा, आग, पानी
मिटटी और आकाश
बस बदलता रहता है रूप-स्वरुप
कभी उदय तो
कभी होता है अस्त
ना जन्म पर कोई अधिकार
मृत्यु भी है अटल
जिन्दगी क्या है?
खेल ही तो है!
- आशीष वर्मा