होली है :-
हाँ,हाँ ! मानते है – होली है ….रंगों का त्यौहार है और भांग-मृदंग …ढोल-मजीरे के साथ-साथ बांसुरी और अलगोजे भी बज रहे हैं ! सब के स्वर हैं …सब के सन्देश हैं और सब के भाव-न्याव हैं. लेकिन इस होली मैं एक अलग प्रसन्नता का पुट है …एक अलग-सा उल्लास है …कुछ है तो ज़रूर जो अन्य होलियों से अलग है !
आप समझ रहे हैं …मान भी रहे हैं …और जान भी रहे हैं कि इस होली पर कुछ अजब-गजब हुआ है। वास्तव मैं ही इतिहास रचग्या है, इस होली पर और वो भी हम सब के सामने …हम सब के द्वारा …और हम सब की सहमति से ! चमत्कार तो होते हैं …पर हमने तो खुली आँखों इस चमत्कार को होते देखा है.
हम सौभाग्यशाली है …जो इस युग-परिवर्तन को होते देख रहे हैं !
कल की ही तो बात है कि हम मान नहीं रहे थे कि …ये नरेंद्र मोदी कुछ खात -पानी कर पाएगा। हवा में दुर्गन्ध भरी थी कि ..इस ने नोट -बंदी कर गरीबों को डुबो दिया ! हम सुनने लगे थे कि ये आदमी कुछ नहीं कर पाएगा – और भांग के भाड़े जाएगा। हमारे विरोधी दलों के नेताओं के पास मारक दलीलें थीं। उन के गठबंधन हमें लुभा रहे थे – और बता रहे थे कि वो मिल कर ऐसे-ऐसे पहाड़ ढाएंगे – जो हमारी हर मुशीबत को लील जाएंगे ! वो ज़बान हैं …कि वो महान नेताओं के नाती-पोते हैं …कि राजनीती तो उन की रग-रग में समाई है …कि उन के बना तो इस देश का जहाज ही डूब जाएगा ! और ये एक अनाडी आदमी …जनता को मझधार में ले जा कर डुबोयेगा !
देश बचाओ – के नारों से दिगंत गूंजने लगा था.
मैं तो कुछ जानता नहीं। न ही मुझे कुछ आता है ! पर मैं तो अब की बार आप के किये करिश्मे पर मुग्ध हूँ. प्रसन्न भी हूँ कि आप अपने इस महान देश को न अब डूबने देंगे …और न ही पिछड़ने देंगे। न जाने कैसे इतने शोर-शराबे के बीच भी आपने उस आवाज़ को सुना जो सही है …जो न्याय-संगत है …और जो देश हित में है !
भारत …आज का आप का -भारत अब कोई गुड़ का पुआ नहीं है जिसे लोग सटक जाएंगे ! सर्जिकल स्ट्राइक के बाद ये विदित है कि हम हर हरकत का मुंह तोड़ जबाब देंगे। हमने यह भी जता दिया है कि भारत का जनतंत्र अब एक समर्थ तंत्र है. इसे बांटना, छांटना , काटना और हड़पना अब संभव नहीं है. इस बात के प्रमाण है – हमारे मुस्लिम जिन के ऊपर बार-बार और हर बार दोषारोपण करते हैं …देश-द्रोह की बात करते हैं। लेकिन आज का प्रत्यक्ष प्रमाड़ यह सिद्ध करता है कि हमारे मुसलमान हमारी एकता के गर्व हैं। ..हमारे देश-प्रेम के प्रतीक हैं.
हिन्दू राष्ट्र का स्वप्न …एक बहुत बड़ी बात की और इशारा करता है. आज के विश्व को हमारी संस्कृति की, हमारे संस्कारों की और हमारे विचारों की दरकार है. आज के विश्व के पास परमाणु अस्त्रों के अलावा और कुछ दिखाने के लिए नहीं है. और ये अस्त्र-शस्त्र एक को नहीं – हम सब को ही समूल नष्ट करेंगे। हमें बचाएंगे नहीं , बसाएंगे नहीं …हमें संम्पन्न भी नहीं करेंगे …और न हम पर तरस ही खाएंगे ! क्यों कि ये तो भावना-विहीन हैं और जड़ हैं. इस स्थिति में भारत का दर्शन ही मानवता की रक्षा कर पाएगा। वसुधा को कुटुंब मान कर भारत के लोग ही चल पाएंगे …अन्य नहीं। घोर स्वार्थी हैं , वो लोग !
इस होली पर …आज के दिन आएं हम और प्रण लें कि इसी तरह का न्याय हम हर बार करें …हर पार्टी के साथ करें …और हर व्यक्ति के साथ करें !
हमारो रंग केसरिया …..
मुझे न कुछ आता है . न कुछ जाता है …
होली का ये शुभ पर्व आप के लिए अनुमान से भी आगे – शुभ हो !!