by Rachna Siwach | Jan 6, 2020 | Uncategorized
” अरे! क्यों इतनी परेशान हो जाती हो! इसके लिए.. कुत्ता है.. ये! बस! दो-चार साल और.. फ़िर मर जाएगी ये!”। बच्चों ने मेरी पालतू डॉगी के लिए.. मुझसे कहा था.. और यह सारे शब्द सुन, मेरा कलेजा हिल गया था। बात तो खैर! जो भी हो. सही थी.. पर न जाने क्यों मुझे कानू...
by Sanskriti Verma | Jan 4, 2020 | Uncategorized
“You have been criticizing yourself for years, and it hasn’t worked. Try approving of yourself and see what happens.” – Louise L. Hay When we talk about love, we usually mean the love we receive from other people or from the outside. I fell in love with my parents,...
by Rachna Siwach | Jan 4, 2020 | Uncategorized
सुबह का समय है.. बाहर आज सर्द हवा ने वातवरण को घेर रखा है.. बाहर निकलते ही, अचानक हवाओं में मैने वो खुशबू महसूस की थी.. जो कक्षा में इंटरवल होने पर सभी के टिफ़िन खुलने पर आया करती थी। हमारी पूरी क्लास परांठों की खुशबू से महक उठती थी.. क्योंकि ज़्यादतर छात्र.. टिफ़िन...
by Rachna Siwach | Jan 1, 2020 | Uncategorized
यह अंगीठी शब्द.. मेरे मन में बढ़ती हुई.. ठंड की वजह से नहीं आया है.. बल्कि, इस सर्दी के मौसम में पोस्ट किए हुए.. इस अंगीठी के चित्र ने उन कड़क रोटियों की याद दिलाई है.. जो हम अंगीठी पर दोबारा सेक कर खाया करते थे। वो दोबारा से कड़क कर-कर रोटियाँ खाने का मज़ा ही कुछ और...
by Rachna Siwach | Jan 1, 2020 | Uncategorized
” अब यह साल तो समझो निकल ही गया! अगले साल दुकान से अच्छी सी क्वालिटी की ऊन खरीद कर.. किसी बुनने वाली से अच्छा सा स्वेटर बनवाऊंगी”। बिटिया ने मुझसे कहा था। ” हाँ! वही सही रहेगा.. हाथ के बने स्वेटरों में ठंड नहीं लगती है”। मैने कहा था, और.....
by Rachna Siwach | Dec 28, 2019 | Uncategorized
Tupperware के बड़े वाले डब्बे में मसाले के पैकेट जचा रही थी.. मैं, कि अचानक से मसाले के पैकेट एडजस्ट करते-करते.. मेरी अंगुलियाँ मेरे स्कूल के बस्ते में, अपनी copies और बुक्स जमाने लगीं थीं.. वाकई! बहुत ही प्यारे से दिन.. और न भूलने वालीं यादें थीं, वो! जब सेशन शुरू...