by Rachna Siwach | Jan 15, 2020 | Uncategorized
” वाओ! आज तो साड़ियों में से कितनी अच्छी खुशबू आ रही है”। और अपनी नाक माँ के हेंगरों पर टंगी सारी साड़ियों से रगड़ दिया करते थे। बहुत प्यारी चार्ली परफ्यूम की खुशबू आया करती थी.. उन साड़ियों में से! माँ-और पिताजी कहीं भी पार्टी में जाने के लिए, तैयार...
by Rachna Siwach | Jan 14, 2020 | Uncategorized
एक प्लास्टिक का पेंसिल बॉक्स हुआ करता था.. एक जॉमेट्री बॉक्स होता था। पाँचवी क्लास तक जब तक pen शुरू नहीं हुआ था.. तब तक तो पेंसिल बॉक्स ही होता था.. पेंसिल, रबर और शार्पनर लिए। छठी क्लास में pen शुरू हुआ.. सबकुछ नया-नया सा लगने लगा था.. नए-नए ink-pen रखने लगे थे.....
by Akhileshwar Mishra | Jan 11, 2020 | Uncategorized
एक खूबसूरत सी शाम थी और माँ गँगा की घाट थी जहाँ बैठा मैं कुछ सोच रहा था यादों में कुछ खोज रहा था देख रहा था इक किरदार चमकता था वो पिताजी का चेहरा दमकता जो मेरे सपनों के आधार बने थे मेरे हर इच्छाओं के साथ खड़े थे हमेशा निराशा में आशा जगाते मिलते हमेशा हौसला बढ़ाते वो...
by Rachna Siwach | Jan 10, 2020 | Uncategorized
” दिखाना हाथ..!”। ” बाद में..! चुप! इस पीरियड के बाद.. अभी मैडम देख रहीं हैं!”। ” अपना राइट हैंड दिखाना.. ठीक है!”। कक्षा में मौका मिलते ही.. हमारी यह अजीब सी चर्चा चालू हो जाया करती थी। चर्चा का विषय कोई ख़ास न होकर.. एक दूसरे के...
by Rachna Siwach | Jan 8, 2020 | Uncategorized
बिलोरी बिना चटनी कैसे बनी गाना और इसके मायने तो सही हैं.. पर हमनें बड़े होने तक, यह बिलोरी वाली चटनी की न बात सुनी.. और न ही चटनी खाई थी। घर में तो mixie से बनने वाली हरे धनिए और नारियल की चटनी का ही स्वाद चखा था.. था..! हमारे घर में भी था .. वो पत्थर चटनी वगरैह पीसने...
by Surinder Kaur | Jan 8, 2020 | Uncategorized
क्या बताये मिले हैं दोस्त हमे कैसे कैसे।कुछ दुआओ जैसे तो कुछ दवाओं जैसे ।दीदार एक तेरा इबादत बना है बस मेरीशख्स तो मिलते है रोज मुझे कैसे कैसे।हम ने ही गिला न कभी तुम से है कियाअजीयते सह गये सारी , हम जैसे तैसे।सादगी मेरी देखो तो खुदा तुमको माना,झुके सजदे में रहे हम...