लूडो

लूडो

” हम्म….! दो!”। ” चल! अब तेरी बारी!”,। ये..! छह! खुल गई!”। छह या एक पर गोटी का खुलना ही खेल को जीतने का अहसास हुआ करता था। और तो और खेल की शुरुआत में कौन से रंग की गोटियाँ पसंद करनी हैं! ये भी सोचना होता था.. लूडो की गोटियों के कलर भी...
अंडे

अंडे

मेरी जान, मेरी जान मुर्गी के अंडे हाँ! हाँ! मेरी जान मेरी जान, मुर्गी के अंडे। वाकई! में हमारी और हमारे परिवार की जान ही हुआ करते थे, मुर्गी के अंडे। हर रोज़ के नाश्ते पर बारह अंडे तो हमारे परिवार में लगते ही थे। अंडे ब्रेड का ही नाश्ता चला करता था.. हमारे यहाँ। हमें...
Squash

Squash

 कहिए फलों को हाँ! किसान squash है.. जहाँ..!! कहिए फलों को हाँ..!! किसान squash है… जहाँ..!! कुछ याद आया, बहुत पहले.. दूरदर्शन पर यह विज्ञापन आया करता था। हमें तो बस इतना सा ही याद है.. कि यह विज्ञापन orange squash का हुआ करता था.. और मोटे-मोटे ताज़े बढ़िया...
स्वेटर

स्वेटर

” इधर आओ! लाओ..! ठीक से बाजू कर दूं ! तुम्हारी!”। स्वेटर की बाजू ठीक करने के बाद, मेरी कानू हमेशा की तरह खेल में वयस्त हो गयी थी। और थोड़ी देर बाद.. ” अरे! पागल हो गयी हो! क्या काना.. यह क्या किया तुमनें! बाजू में से हाथ निकाल कर, तुमनें स्वेटर में...
गजरेला

गजरेला

बहुत थकान महसूस हो रही है, आज मुझे! क्यों सारा काम जल्दी-जल्दी ख़त्म कर गाजर का हलवा जो तैयार कर डाला है.. इस सीजन का आख़िरी गजरेला। बच्चों को गाजर का हलवा हमेशा से ही पसंद आता रहा है.. हर सीजन ख़त्म होते ही गाजर ख़त्म होने तक, बनाते ही रहते हैं.. हलवा।  वही...

माघ मेला

चलल बा आदमिन क रेला माघ क मेला आईल बा आज बा अमौसा क नहान चलल बा बूढ़े संग जवान आपन धोवे खातिर पाप चलत बा करत करत ऊ जाप आज संगम में नहाके करिह पावन सब अपनाके भरिल गंगाजल क डब्बा कहत हैं देखा दद्दा लइके जात हैं मेला घूमे बुढ़ऊ कीर्तन सुनिके झूमें एक ओर बा चाट समोसा क ठेला...