by Major Krapal Verma | Sep 29, 2017 | Samrajya Ka Soch
केसर क्यों नहीं लौटी ? केसर क्यों नहीं लौटी ? मुझे तो जल्दी है …मैं तो चाहता हूँ कि ..उस के आते ही हम हिन्दू राष्ट्र का शिलान्यास करें …आरंभ करें अपनी यात्रा …जो जब अधूरी रह गई थी !! दिल्ली का मौसम मुझे अचानक ही पुकार लेता है . रिम-झिम...
by Major Krapal Verma | Sep 22, 2017 | Samrajya Ka Soch
हम तो जब जानें …… हिन्दुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए ऐसा क्या लिख दिया होगा पूर्व राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने अपनी २०१६ में लिखी किताब में जो कुछ लोग न्यायालय तक पहुंचे और गुहार लगाईं कि वो विषय-वास्तु इस किताब से निकाल दी जाए और फिर मामला...
by Major Krapal Verma | Aug 8, 2017 | Samrajya Ka Soch
प्रेम – पत्र !! “सच केसर, आज तुम्हारी बहुत याद आ रही है !” “रक्षाबंधन है , इस लिए …?” अनायास ही केसर की हंसी मैं सुनता हूँ . हंसी है या कि कोई चक्रवात ….या तूफ़ान …या कोई दहला देने वाला दानव ! शदियों के बाद आज अचानक केसर...
by Major Krapal Verma | Apr 13, 2017 | Samrajya Ka Soch
देश-भक्त ! ज्वालामुखी – उपन्यास अंश :- मुंह फाड़े। ..खड़ी हिन्दू-मुसलमान की दरार ..दहाड़ मारते ..’काफिर’ …..और मज़बी जैसे शब्द …लताड़ता समाज …शशिकांत के भीतर …एक बहुत गीला-सा लिज़लिज़ापन भर देता है। कैसे टूटे ये भ्रम –...
by Major Krapal Verma | Apr 10, 2017 | Samrajya Ka Soch
बेटी तो बाहर बैठी है ! प्रश्न कब नहीं उठा ? अब तो प्रश्न-चिन्ह प्रश्नों का पीछा करनेवालों पर लगा है। ये कि उन अनुयाइयों ने किसी आंतरिक डर की वजह से , किसी के लिहाज़ के लिए, या कि किसी बड़ी सामाजिक उपलब्धि के सोच के तहत इस प्रश्न को गहराई से नहीं उठाया ! वो शायद...
by Major Krapal Verma | Oct 11, 2016 | Samrajya Ka Soch
अमर – शहीद अब आ कर एक हुंकार ने जन्म लिया है. अब आ कर भारत आज़ाद हुआ है. अब आ कर लगा है कि …..प्रधान मंत्री की कुर्सी पर एक समर्थ पुरुष आ कर विराजमान हुआ है ….!! और अब आ कर लगा है कि …..भारत का तिरंगा ….विश्व में फहराएगा …अपने में...