by Major Krapal Verma | May 20, 2018 | Parchaiyan
दो आवाजें थीं : दो सांपिनें थीं !! उपन्यास अंश :- काम-कोटि में पारुल की बीमारी पर प्रश्न चिन्ह लगा था ! दशहरे का उत्सव बड़े ही जोर-शोर से मना था . समीर सेकिया की प्रतिमा पर काम-कोटि की जनता ने पहली बार अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये थे . समीर के निधन को ले कर...
by Major Krapal Verma | Apr 20, 2018 | Parchaiyan
फोन कट गया था !! उपन्यास अंश :- राजन ने अपने भारत लौटने का मार्ग बदल दिया था ! कितना मन था उस का कि सीधा काम -कोटि लौटे और अपनी सफलता का श्रेय पारुल को दे …पारुल को बताए कि …उस के पास इतना धन है कि …काम-कोटि ……! लेकिन पारुल की आवाज़ अब भी...
by Major Krapal Verma | Mar 27, 2018 | Parchaiyan
जंग जारी रहे ! उपन्यास अंश :- पारुल के पैरों में पंख लगे थे ! वह काम-कोटि के ऊपर जैसे उड़-उड़ कर होती तैयारिओं को देख रही थी . दशहरे के उत्सव का जूनून लोगों के मन-प्राण पर छ-सा गया था . राजा और प्रजा का एक नया समीकरण सामने था . पारुल चाहती थी की उस के राज्य में...
by Major Krapal Verma | Feb 25, 2018 | Parchaiyan
किंग ऑफ़ द किंग्स …!! उपन्यास अंश :- “क्यों भेजा है , ‘प्रकाश’ को ….? और क्यों नहीं भेजा ‘आकाश’ को ….? पागल हो …मजूमदार …! निकाल दूं नौकरी से ….?” राजन आग-बबूला था . उस की आँखों में खून उतर आया था...
by Major Krapal Verma | Feb 6, 2018 | Parchaiyan
आसमान तक देखने आता है …. मेरा खेल ! .उपन्यास -अंश :- विचित्र लोक सतरंगी भीड़ से भरा था ! गाइड राजन का परिचय विदेशी सैलानियों से करा रहा था . "मैं , जूली !" एक बेहद सुंदर और आकर्षक महिला ने राजन से हाथ मिलाया . "एंड …यू आर ए बिजनैस टाइकून...
by Major Krapal Verma | Jan 2, 2018 | Parchaiyan
ओ मांझी रे,नदिया किनारा मेरा किनारा है !! अलसुबह ही शाही टमटम उसे लेने विचित्र लोक आ पहुंची थी ! राजन तैयार था . राजन प्रसन्न था . राजन को उम्मीद थी कि आज की मुलाक़ात में वह पारुल से कुछ न कुछ तय कर लेगा ! वह पारुल को मना लेगा …और ले जाएगा – कलकत्ता !!...