by Major Krapal Verma | Apr 27, 2020 | Parchaiyan
गतांक से आगे :- भाग – ५६ तीन जुआरी थे – जो आज अपना सब कुछ दाव पर लगा कर ‘ब्लाइंड’ खेलने पर उतारू थे …!! आँखें बंद कर दाव पर दाव लगाना और लगाते ही जाना .. परिणाम की बिना परवाह किये आगे बढ़ते ही जाना .. बड़ी जीवट वालों का काम होता है ! अपना...
by Major Krapal Verma | Apr 26, 2020 | Parchaiyan
गतांक से आगे :- भाग -५५ काम-कोटि जैसे कोई तीर्थ था …!! आगंतुकों के टोल-के-टोल चले आ रहे थे ! आज का आयोजन सर्वथा नया था ! लोग उत्सुक थे – देखने के लिए …..खेलने के लिए …और दर्शन -मेला के लिए ! हवा मैं अजब-सा कोलाहल था …जिज्ञासा थी …और...
by Major Krapal Verma | Apr 25, 2020 | Parchaiyan
गतांक से आगे :- भाग – ५४ कलकत्ता मैं अजब-गजब की धूम मची थी !! चन्दन बोस कलकत्ता का जाना माना नाम था .. कलकत्ता का ही था और अब एक बार फिर कलकत्ता वासिओं के सामने आ रहा था ! मुकाबले में थीं – नारी नश्वर, बिहार की समाज सेविका जो आज के जगत में अपना जोड़ न रखती...
by Major Krapal Verma | Apr 24, 2020 | Parchaiyan
गतांक से आगे :- भाग -५३ ‘नर नहीं ! नारी को पूजो !!’ लेख ने कलकत्ता में ही नहीं …पूरे समाचार जगत मैं …एक भू-डोल भर दिया था ! वक्त की मांग थी. विश्व भर में प्रताड़ित नारी समाज के प्रति संवेदना के स्वर उभर कर आ रहे थे. नारी स्वतंत्रता का समय नजदीक...
by Major Krapal Verma | Apr 23, 2020 | Parchaiyan
गतांक से आगे :-…. भाग – ५२ पारुल का मन-मयूरा फिर से अपने प्रेम-देवता को टेर बैठा था ….!! न जाने कैसे संभव को भूल उसने इस बार चन्दन को पुकारा था. चन्दन के शरीर की सुगंध न जाने कैसे उस तक आ पहुंची थी. न जाने क्यों उसका तन-मन अब हर पल .. हर क्षण केवल...
by Major Krapal Verma | Apr 22, 2020 | Parchaiyan
गतांक से आगे :- भाग -५१ कलकत्ता ब्रिज-मंडल बना खड़ा था ! कृष्ण जन्माष्टमी का महोत्सव था. प्रकृति कलकत्ता पर अब की बार कुछ ज्यादा ही प्रसन्न थी. काले-काले बादलों के हुजूम आसमान पर टहलते नज़र आते थे. वर्षा की भारी और मीठी-मीठी पड़ती फुहारें मेघ मल्हार जैसी गाती फिर रही थी....