by Major Krapal Verma | May 4, 2020 | Parchaiyan
गतांक से आगे :- भाग -६२ कविता की कैद से आज़ाद हुआ -चन्दन बोस आज खुश-खुश लौट रहा था !! कमाल ही था ! कविता जानती थी कि अब चन्दन बोस सड़क पर आ जायेगा .. दर-दर की ठोकरें खायेगा .. नौकरी के लिए भीख मांगेगा और शायद .. शायद क्यों बर्बादी थी कित्ती दूर ..? लेकिन आश्चर्य ही था...
by Major Krapal Verma | May 3, 2020 | Parchaiyan
गतांक से आगे :- भाग -६१ “घर नहीं …आना …?” कविता का फोन था . चन्दन चौंक पड़ा था . जैसे कोई भयानक स्वप्न हो …और उसे दैत्यों ने आ घेरा हो …ऐसा लगा था , उसे ! “उसी के पास रहना है …ता-उम्र ?” कविता का अगला प्रश्न था . वह...
by Major Krapal Verma | May 2, 2020 | Parchaiyan
गतांक से आगे :- भाग -६० कैंनवरा की तीसरी मंजिल पर कौने के कैबिन में आ बैठे थे , दोनों ! कैबिन में व्हिस्की की भीनी सुगंध भरी थी . चन्दन बोस ने कैनबरा के चिकिन -टिक्का खा लिए थे ! लेकिन क्षुधा-शान्ति हुई कब थी …? न जाने आज क्यों उसे …भिन्न प्रकार की भूख लगी...
by Major Krapal Verma | May 1, 2020 | Parchaiyan
गतांक से आगे :- भाग – ५९ बंबई हवाई अड्डे पर खड़ा-खड़ा चन्दन किसी फालिज गिरे पेड़ की तरह सूख गया था ! उस की समझ में न आ रहा था कि …घर और ऑफिस में लगे ग्यारह टेलीफोनों में से एकभी जबाब नहीं दे रहा था ….? घंटियाँ बजतीं …पर उत्तर न आता …! क्यों...
by Major Krapal Verma | Apr 29, 2020 | Parchaiyan
गतांक से आगे :- भाग – ५८ “हमेँ गहरा सदमा लगा है ….महिलाल जी की …इस असामयिक …म्रत्यु पर ….!!” भारी कंठ से पारुल कह रही थी . काम-कोटी का दरबार लगा था . शोक मनाने की मुद्रा मैं बैठी – पारुल ,काम-कोटि की महारानी …एक...
by Major Krapal Verma | Apr 28, 2020 | Parchaiyan
गतांक से आगे :- भाग – ५७ अखबार के मुख-पृष्ट पर चित्र छपा था ! आगवानी करता …चन्दन बोस …और राजमाता -महारानी आँफ ,काम-कोटि -पारुल …मोहक …बे-जोड़ ….और भव्य लग रहीं थीं ….!! लम्बे पलों तक राजन उस चित्र को देखता रहा था .. ऑंखें भर-भर...