by Major Krapal Verma | May 16, 2020 | Parchaiyan
गतांक से आगे :- भाग – ७३ चन्दन ऑफिस चले गए थे ….!! पारुल घर्षण स्नान कर बाथरूम से बाहर आई थी. उसकी काया एक पल खिली-खिली सी .. स्वर लहरी जैसी चन्दन महल के बीचों-बीच लहरा रही थी. वह बेहद प्रसन्न थी. उसने बालकनी में खड़े होकर बाहर का दृश्य देखा था. उग आये सूरज...
by Major Krapal Verma | May 16, 2020 | Parchaiyan
गतांक से आगे :- भाग – ७४ अब काम-कोटि में दशहरे के स्थान पर दिवाली का उत्सव जोर-शोर से मनने लगा था …!! विचित्र लोक में एक विचित्र प्रकार की हलचल भरी थी. उत्सव से भी आगे की तैयारियां हो रही थीं. राजन के लिए ये दिवाली बहुत महत्वपूर्ण हो उठी थी. उसके इरादे अलग...
by Major Krapal Verma | May 13, 2020 | Parchaiyan
गतांक से आगे :- भाग -७२ “समझा करो , शब्बो….!” खली जोरों से बोला था . “नहीं हो सकतीं ….शादियाँ , शूटिंग से पहले …!!” उस ने एलान किया था . “डेट्स क्लेश कर रही हैं . ये लोग ….” “माँ को बता दिया है...
by Major Krapal Verma | May 13, 2020 | Parchaiyan
गतांक से आगे “- भाग – ७१ “के डी सिंह एंड कंपनी तो …नीलाम हो गई, सर !” गप्पा ने चन्दन को बताया था . आज चन्दन खुश था . लम्बे अरसे के बाद ऑफिस में बैठ रहा था . लेकिन गप्पा की दी खबर ने ..तो उसे बिच्छू की तरह डस लिया था ! वह सनाका खा गया था...
by Major Krapal Verma | May 12, 2020 | Parchaiyan
गतांक से आगे :- भाग – ७० केतकी का जैसे तीसरा नेत्र खुल गया था ! और वो जो देख रही थी – अप्रत्याशित था …..एक अजूबा ही था ….!! सुबह की ब्रह्म मुहूर्त बेला में .. भीगे-भीगे समुद्र तट पर आहिस्त-आहिस्ता .. सधे और संभले क़दमों से एक परछाई चलकर जाती थी...
by Major Krapal Verma | May 11, 2020 | Parchaiyan
गतांक से आगे :- भाग – ६९ चिंता के महा सागर में कविता गहरी डूबी हुई थी ……!! चन्दन के जाने के बाद कंपनी एक गुब्बारे की तरह फूट कर बिखर गई थी. न जाने क्यों सारे के सारे वर्कर्स हाथ पर हाथ रख कर बैठे रहते थे. काम ही न था. कुछ तो चन्दन के पास ही चले गए थे...