by Major Krapal Verma | May 8, 2016 | Parchaiyan
घमंडी पारुल के यों अचानक चले जाने से राजन के लौटने की उम्मीद पर पानी फिर गया लगा था. सावित्री टीस गई थी. न जाने क्यों ….अगर कभी राजन को कोई काँटा भी चुभा तो …घाब सावित्री को लगा …! राजन को हुई तनिक सी पीड़ा भी सावित्री सह नहीं पाती थी. राजन के...
by Major Krapal Verma | Apr 15, 2016 | Parchaiyan
राजन लौटा था. समूची रात को एक युग की तरह जी कर , पी कर ,जीत कर और अपनी जीत का जश्न मना कर – वह लौटा था! जीते धन के अम्बार कांख में दबाए – वह एक तूफ़ान की तरह पारुल के पास आया था- उसे उड़ा ले जाने के लिए ! उस के पास पारुल को प्रसन्न करने के प्रसंग थे –...