Tham ! Kaun Aataa Hai !!

इतिहास का एक पन्ना ! “थम ! कौन आता है   …?” जोमदार आवाज में मुझे अचानक किसी ने ललकारा था। मैं अपने पैरों पर उचक कर आ खड़ा हुआ था।  मेरे सामने अचानक आ खड़ी हुई मौत मुझ पर भागने के जुर्म में हंस रही थी।  मैं सुध-बुध खो बैठा था।  मैं जानता था कि गोली मेरे...

Lal Saav !

देवता और दानव !! “नाव वहां डूबी जहाँ पानी ही नहीं था , लेखक साव !” लाल साव बता रहे थे. उन की आँखें नम थीं।  चेहरा लटक आया था. हमेशा चुस्त-दुरुस्त दिखते लाल सहाव आज अवसन्न थे। …दुखी थे  ….ग़मगीन थे ! उठते ठहाके और उन की अट्टहास की हंसी न जाने...

Pashchataap

  धृतराष्ट्र आपने पढ़ा – क्या धरा था -दिल्ली में ? अब पढ़ें -समापन किश्त ;- “दिल्ली दिल है , हिंदुस्तान का !” लच्छी बता रही थी. “तुम चीफ मिनिस्टर बनोंगे   …और मैं  ….उस के बाद – प्रायमिनिस्टर बनूंगी।  अभीष्ट, एक बात द्यान...

Pashchataap

                             धृतराष्ट्र आपने पढ़ा :- अमृत मैं विष की बूँद बो दी थी , लच्छी ने ….!! दूसरी किश्त – “मैं इन्ही की बेटी हूँ। मेरा नाम सुवर्णा नहीं  …..जो मैं इस मँहगाई का मूं न तोड़ दूं   …!” वह माइक पर लरज-लरज कर लोगों को...

Pashchataap

                                                                       धृतराष्ट्र “मैं मंच पर उस समय तक पैर नहीं रखूंगी जब तक कि ..आप ..के चरण उठ कर नहीं चलेंगे  …और मंच पर आप विराजमान नहीं होंगे !” सुवर्णा जिद पर अड़ी थी।  “आप ने एक विचारधारा...

और फिर –

प्यासा मैं लौट आया था ! उसे तो मेरे आने का भान भी न था।  वह आदमी भी मुझे पहचान न पाया था. लेकिन केतकी जान गई थी कि मैं उसकी चाल को ताड़ गया था. अब उसे मुझे कोई झांसा देना था. उस आदमी का अर्थ बताना था. कहना था कि वो -अलां फलां आदमी उस का यार नहीं। …उस का प्यार...