by Major Krapal Verma | Nov 26, 2017 | Kahani
मैं बोलूँगा ही नहीं ! ये मुझे पहली बार ‘बेईमान’ के सेट पर मिली थी ! क्या अल्हड जवान थी ! इस के अंगों का सोष्ठव् बेजोड़ था . इस की मुस्कान पर जगत-जहान निछावर था . इस की हंसी जब रात रानी के फूलों की तरह झर-झर …..झरर-झरर …झरती थी तो सुनने वाले...
by Major Krapal Verma | Nov 12, 2017 | Kahani
पल्प फिक्शन !! “बगुला भगत …..चन्दन का टीका लगा कर …जनता को गुमराह करता ….ये सी एम् साधू नहीं है ….ये इमानदार भी नहीं है …देश-भक्त नहीं …निरा पेट-भक्त है , योर हॉनर ! ये अव्वल नम्बर का अइयाश है ……” तनिक ठहर...
by Major Krapal Verma | Oct 29, 2017 | Kahani
अमरबेल !! “हर बार आता हूँ , खाली हाथ चला जाता हूँ !” मैं गरजने लगा था . मुझे क्रोध चढ़ आया था . “जब देखो …तब चोथा नहीं है …! मिलाता ही नहीं है ….” “जब भी आते हो ….खाली हाथ चले आते हो …!” मेरे सामने पदम्...
by Major Krapal Verma | Oct 15, 2017 | Kahani
भेड़ की खाल में छुपे भेड़िए !! ‘दोस्तों ! ‘कस्तूरी लाल की किताब’ आप को ही नहीं , देश-विदेश में सभी को पसंद आया है …प्यारा लगा है ! कारण – मैंने इस किताब में ….अपनी उम्र की कमाई उड़ेल दी है . मैंने अपने वो उद्गार लिखे हैं जो...
by Major Krapal Verma | Aug 27, 2017 | Kahani
सच्चा सौदा ! बंद किले में बैठ कर अगला चुनाव जीतने की योजना बने जा रही थी . “ये हमारी टीम है, धरम जी !” उल्लास बोल रहा था . “चुनाव क्या है, क्यों है ….किस लिए है …से लेकर हमें ये तक आता है कि …चुनाव कैसे लड़ें …कब-कब हारें-जीतें...
by Major Krapal Verma | Jul 22, 2017 | Kahani
गोविन्द खैर पुर गाँव की खबर-सुध लेने आज कोई युगान्तर के बाद ही आया था ! एक रौनक-सी उठ बैठी थी – हवा में ! देश-भक्ति के गीत सन्नाने -मन्नाने लगे थे . झंडे फहराए जा रहे थे . पोस्टर भी लगे थे . न जाने क्या था जो होनेवाला था . सूरत मुखिया समझ ही न पा रहे थे . उन्हें...